
- शशि थरूर ने पीएम मोदी को वैश्विक मंच पर भारत का 'प्राइम एसेट' बताया.
- थरूर ने आतंकवाद के खिलाफ भारत के कूटनीतिक अभियान का नेतृत्व किया था.
- शशि थरूर के कांग्रेस से मतभेद बढ़ रहे हैं.
कांग्रेस कार्य समिति (सीडब्ल्यूसी) के सदस्य शशि थरूर ने एक बार फिर से पार्टी को असहज करने वाला बयान दिया है. उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफ करते हुए उन्हें वैश्विक मंच पर भारत का एक प्राइम एसेट बताया है. थरूर ने पीएम की ऊर्जा, गतिशीलता और दूसरे देशों के साथ जुड़ने की उनकी इच्छा को लेकर और अधिक समर्थन दिए जाने की अपील की है.
कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने पिछले महीने 'ऑपरेशन सिंदूर' के बाद संयुक्त राज्य अमेरिका, ब्राजील और तीन अन्य देशों में सत्तारूढ़ भाजपा के आतंकवाद विरोधी कूटनीतिक अभियान का नेतृत्व किया था.

द हिंदू में प्रकाशित एक लेख में, थरूर ने कहा कि सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल के साथ अभियान में, राष्ट्रीय संकल्प और प्रभावी कम्यूनिकेशन का एक मौका था. भारत जब एकजुट होता है, तो स्पष्टता और दृढ़ विश्वास के साथ अपनी आवाज उठा सकता है.
थरूर ने आगे कहा कि प्रतिनिधिमंडलों ने दुनिया को पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत की नपी-तुली सैन्य कार्रवाई को समझाया. साथ ही पाकिस्तान के आतंकवाद से घनिष्ठ संबंधों को भी बताया.
उन्होंने विशेष रूप से अमेरिका में भारतीय और पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडलों के एक साथ पहुंचने का भी जिक्र किया और कहा, "जबकि पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल भी वहां मौजूद था, हमने पाया कि अमेरिकी प्रतिनिधि, हमारी चिंताओं को दोहरा रहे थे और आतंकवादी समूहों के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई का समर्थन कर रहे थे. तथ्यों और लगातार वकालत पर आधारित हमारे तर्क भारत की स्थिति को और मजबूत कर रहे थे."

उन्होंने इस आउटरीच को सफल बताते हुए लिखा, "हमने लगातार देश की सीमा से पार, खतरे की गंभीरता को उजागर किया, जिसका उद्देश्य अपराधियों को जवाबदेह ठहराने के लिए वैश्विक सहमति बनाना था."
पूर्व कांग्रेस सांसद उदित राज ने थरूर को भाजपा का ‘सुपर प्रवक्ता' भी करार दिया था, जब सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल के तहत विदेश दौरे पर गये शशि थरूर ने कथित तौर पर कहा था कि भारत ने पहली बार 2015 में कार्रवाई के लिए नियंत्रण रेखा पार की थी.
शशि थरूर ने प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करने के केंद्र के न्योते को स्वीकार करने के अपने फैसले का बचाव करते हुए कहा था कि जब वह संसद की विदेश मामलों की समिति के अध्यक्ष बने थे, तब उन्होंने यह स्पष्ट कर दिया था कि उनका ध्यान भारत की विदेश नीति एवं उसके राष्ट्रीय हित पर है, न कि कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की विदेश नीति पर.

दरअसल, अमेरिका जाने वाले प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करने के लिए उनकी नियुक्ति की खबर के बाद से ही, कांग्रेस के एक वर्ग ने उन्हें भाजपा के 'पब्लिसिटी स्टंट' के लिए 'सुपर प्रवक्ता' कहा और प्रधानमंत्री मोदी की चापलूसी करने का आरोप लगाया.
जब एनडीटीवी ने उनसे पूछा कि आज वह कांग्रेस के साथ अपने रिश्ते को कैसे देखते हैं, तो थरूर ने कहा कि वह पिछले 16 सालों से पार्टी और इसकी विचारधारा के प्रति वफादार रहे हैं.
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