प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी आज महाराष्ट्र के पुणे शहर के दौरे पर हैं. पुणे पहुंचकर पीएम मोदी ने पुणे के दगडूशेठ हलवाई गणेश मंदिर में पूजा-अर्चना की. इसके बाद एनसीपी नेता शरद पवार ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ मंच साझा किया. इस दौरान पीएम मोदी को लोकमान्य तिलक राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया. पीएम मोदी ने इस अवसर पर कहा कि ये सम्मान मिलना अविस्मरणीय अनुभव है. सम्मान के साथ जिम्मेदारी भी आती है. भारत की आजादी में लोकमान्य तिलक जी का विशेष योगदान रहा है.
पीएम मोदी ने इस अवसर पर कहा, "आज का ये दिन मेरे लिए बहुत अहम है. मैं यहां आकर जितना उत्साहित हूं, उतना ही भावुक भी हूं. आज हम सबके आदर्श और भारत के गौरव बाल गंगाधर तिलक जी की पुण्यतिथि है. साथ ही आज अन्ना भाऊ साठे जी की जन्मजयंती भी है. लोकमान्य तिलक जी तो हमारे स्वतंत्रता इतिहास के माथे के तिलक हैं, साथ ही अन्ना भाऊ ने भी समाज सुधार के लिए जो योगदान दिया, वो अप्रतिम है, असाधारण है. मैं इन दोनों ही महापुरुषों के चरणों में श्रद्धापूर्वक नमन करता हूं. ये पुण्यभूमि छत्रपति शिवाजी महाराज की धरती है. ये चाफेकर बंधुओं की पवित्र धरती है. इस धरती से ज्योतिबा फुले, सावित्री बाई फुले की प्रेरणाएं और आदर्श जुड़े हैं. जो जगह, जो संस्था सीधे तिलक जी से जुड़ी रही हो, उसके द्वारा लोकमान्य तिलक नेशनल अवार्ड मिलना मेरे लिए सौभाग्य की बात है. मैं इस सम्मान के लिए हिंद स्वराज्य संघ और आप सभी का हृदय से आभार व्यक्त करता हूं."
पीएम मोदी ने कहा, "हमें जब कोई अवार्ड मिलता है, तो उसके साथ ही हमारी जिम्मेदारी भी बढ़ती है. और जब उस अवार्ड से तिलक जी का नाम जुड़ा हो, तो दायित्वबोध और भी कई गुना बढ़ जाता है. मैं लोकमान्य तिलक नेशनल अवॉर्ड 140 करोड़ देशवासियों को समर्पित करता हूं. अंग्रेजों ने धारणा बनाई थी कि भारत की आस्था, संस्कृति, मान्यताएं, ये सब पिछड़ेपन का प्रतीक हैं, लेकिन तिलक जी ने इसे भी गलत साबित किया. इसलिए भारत के जनमानस ने न केवल खुद आगे आकर तिलक जी को लोकमान्यता दी, बल्कि लोकमान्य का खिताब भी दिया. इसीलिए महात्मा गांधी ने उन्हें आधुनिक भारत का निर्माता भी कहा."
लोकमान्य तिलक की विरासत का सम्मान करने के लिए 1983 में तिलक स्मारक मंदिर ट्रस्ट ने इस पुरस्कार की शुरुआत की थी. यह पुरस्कार उन लोगों को दिया जाता है, जिन्होंने राष्ट्र की प्रगति और विकास के लिए काम किया है और जिनके योगदान को उल्लेखनीय एवं असाधारण कार्य के तौर पर देखा जा सकता है. यह पुरस्कार हर साल एक अगस्त को लोकमान्य तिलक की पुण्यतिथि पर दिया जाता है.
प्रधानमंत्री मोदी इस पुरस्कार से सम्मानित होने वाले 41वें व्यक्ति हैं. इससे पहले यह पुरस्कार पूर्व राष्ट्रपतियों डॉ. शंकर दयाल शर्मा और प्रणब मुखर्जी, पूर्व प्रधानमंत्रियों अटल बिहारी वाजपेयी, इंदिरा गांधी और मनमोहन सिंह, मशहूर व्यवसायी एन आर नारायणमूर्ति तथा ‘मेट्रो मैन' ई श्रीधरन को प्रदान किया जा चुका है.
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