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This Article is From Aug 23, 2022

'शाहीन बाग एक स्वतंत्र आंदोलन नहीं', पुलिस ने अदालत को बताया

दिल्ली पुलिस (Delhi Police) ने मंगलवार को हाई कोर्ट से कहा कि संशोधित नागरिकता कानून (CAA) के विरोध में यहां शाहीन बाग में हुआ प्रदर्शन ‘स्वभाविक’ या कोई ‘स्वतंत्र आंदोलन’ नहीं था.

'शाहीन बाग एक स्वतंत्र आंदोलन नहीं', पुलिस ने अदालत को बताया
दिल्ली में CAA और NRC को लेकर हिंसा फैली थी जिसमें 53 लोगों की जान चली गयी थी. 
नई दिल्ली:

दिल्ली पुलिस (Delhi Police) ने मंगलवार को हाई कोर्ट से कहा कि संशोधित नागरिकता कानून (CAA) के विरोध में यहां शाहीन बाग में हुआ प्रदर्शन ‘स्वभाविक' या कोई ‘स्वतंत्र आंदोलन' नहीं था. उसने कहा कि शाहीन बाग प्रकरण के पीछे पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) और सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया (एसडीपीआई) थे और स्थानीय लोगों ने विभिन्न स्थानों पर हुए प्रदर्शनों का समर्थन नहीं किया था. उसने कहा कि कुछ लोग ‘विमर्श रचने' की चेष्टा कर रहे थे और उन्होंने लोगों को कुछ खास स्थानों पर पहुंचाया था. 

पुलिस ने फरवरी, 2020 में यहां हुए दंगे के पीछे की कथित साजिश के संबंध में दर्ज यूएपीए मामले के सिलसिले में जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के विद्यार्थी उमर खालिद की जमानत अर्जी का विरोध करते हुए यह बात कही.  विशेष सरकारी वकील अमित प्रसाद ने न्यायमूर्ति सिद्धार्थ मृदुल और न्यायमूर्ति रजनीश भटनागर की पीठ से कहा, ‘‘...शाहीन बाग को एक स्वभाविक प्रदर्शन स्थल के रूप में पेश किया गया था.  लेकिन यह ऐसा था नहीं.  यह कोई ऐसी स्थिति नहीं थी जहां लोग अचानक आये थे.  यह एक सृजित प्रदर्शन स्थल था. ''

उन्होंने कहा, ‘‘ शाहीन बाग की दादियां इसके (प्रदर्शन के) पीछे नहीं थी.  एक गठजोड़ (कई संगठनों एवं व्यक्तियों का) शाहीन बाग के पीछे था.  शाहीन बाग कोई स्वतंत्र आंदोलन नहीं था. ''प्रसाद ने प्रदर्शन स्थलों को तैयार करने के सिलसिले में विभिन्न व्यक्तियों के बीच हुए चैट संवाद का अंश पढ़कर सुनाया जिनमें नामजद आरोपी भी हैं.  उन्होंने कहा कि इन लोगों ने ऐसे स्थानों पर भीड़ जुटायी और उन्हें साथ दिया. 

उन्होंने कहा, ‘‘ शाहीन बाग के पीछे पीएफआई और एसडीपीआई था.... मैंने (अपनी दलीलों के ) पहले दिन इसका जिक्र किया था, कहा था कि इसमें बड़े षडयंत्रकर्ता थे.  बड़े षडयंत्रकर्ताओं में दृश्य एवं अदृश्य तत्व थे.  उनमें एक अदृश्य षडयंत्रकर्ता पीएफआई था. ....''सरकारी वकील ने कहा, ‘‘ स्थानीय लोगों ने समर्थन नहीं किया.  ऐसे लोग थे जिन्हें इन स्थलों पर लाया गया और मैं बातचीत से दिखा सकता हूं कि कैसे लोगों को लाया गया.. शाहीन बाग में जो कुछ हो रहा है, उसमें उनका हाथ था. ....''

फरवरी, 2020 में हुए दंगे में कथित रूप से ‘षडयंत्रकर्ता' होने को लेकर खालिद एवं शरजील इमाम एवं कई अन्य के विरूद्ध अवैध गतिविधि रोकथाम अधिनियम एवं भादंसं की संबंधित धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया था.  संशोधित नागरिकता कानून और राष्ट्रीय नागरिक पंजी को लेकर हिंसा फैली थी जिसमें 53 लोगों की जान चली गयी थी और 700 से अधिक अन्य घायल हो गये थे. 

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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