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11 करोड़ लगाकर 2 साल पहले बना 'सेवन वंडर्स' क्यों गिराया गया? सवालों में स्मार्ट सिटी का प्रोजेक्ट

अजमेर में बने दुनिया के 7 अजूबों को गिराए जाने का यह मामला सरकारी अधिकारियों की लापरवाही, अदूरदर्शिता का उदाहरण तो है ही साथ ही साथ यह लोगों के टैक्स के पैसों की बर्बादी भी है.

11 करोड़ लगाकर 2 साल पहले बना 'सेवन वंडर्स' क्यों गिराया गया? सवालों में स्मार्ट सिटी का प्रोजेक्ट
अजमेर में आना सागर झील के पास बने सेवन वंडर में स्थित ताजमहल.
  • अजमेर स्मार्ट सिटी परियोजना के तहत 11.12 करोड़ रुपये में सेवन वंडर पार्क का निर्माण किया गया था.
  • सेवन वंडर में दुनिया के सात अजूबों की प्रतिकृतियां बनाई गईं थी, जिनमें ताजमहल और एफिल टॉवर शामिल थे.
  • पार्क का निर्माण डूब क्षेत्र में हुआ था, NGT ने इसे अवैध घोषित किया फिर सुप्रीम कोर्ट ने तोड़ने का आदेश दिया.
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अजमेर:

Ajmer Seven Wonders Park Demolished: दुनिया के 7 अजूबों में शामिल ताजमहल यूपी के आगरा जिले में है. लेकिन इसकी प्रतिकृति भारत ही नहीं दुनिया के कई देशों में है. अमर प्रेम की निशानी के तौर पर ताजमहल की प्रतिकृति को लोग एक-दूसरे को गिफ्ट भी देते हैं. लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि दो साल पहले करोड़ों की लागत से राजस्थान के अजमेर में बने ताजमहल सहित 7 अजूबों को आज गिराया जा रहा है. अजमेर में स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत 11.12 करोड़ की लागत से सेवन वंडर का निर्माण किया गया था. जो ख्वाजा की नगरी में घूमने आने वाले लोगों की विश लिस्ट में शामिल होता था. लेकिन अब केवल इसकी यादें बच जाएगी.

अजमेर में आना सागर झील के पास बना था सेवन वंडर

दरअसल अजमेर में आना सागर झील के पास स्मार्ट सिटी परियोजना के तहत सेवन अंडर का निर्माण किया गया था. 2023 में इसका निर्माण कार्य पूरा हुआ था. आना सागर झील के बिल्कुल पास स्थित इस पार्क में लोग दुनिया के सभी 7 अजूबों को एक कैंपस में देख सकते थे. यहां ताजमहल के साथ-साथ एफिल टॉवर, स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी सहित सभी 7 अजूबे बनाए गए थे. लेकिन आज इन सभी 7 अजूबों को गिराया जा रहा है.

सेवन वंडर पार्क में स्थित एफिल टॉवर, ताजमहल सहित अन्य अजूबे, जिन्हें अब गिराया जा रहा है.

सेवन वंडर पार्क में स्थित एफिल टॉवर, ताजमहल सहित अन्य अजूबे, जिन्हें अब गिराया जा रहा है.

अधिकारियों की अदूरदर्शिता का उदाहरण

अजमेर के 7 अजूबों को गिराए जाने का यह मामला सरकारी अधिकारियों की लापरवाही, अदूरदर्शिता का उदाहरण तो है ही साथ ही साथ यह लोगों के टैक्स के पैसों की बर्बादी भी है. दरअसल जब इस सेवन वंडर का निर्माण शुरू हुआ था, तभी इसके स्थान को लेकर आपत्ति उठाई गई थी. लेकिन तब भी अजमेर के जिम्मेदार अधिकारियों ने इसे अनसुना किया.

जिसके बाद सेवन वंडर निर्माण के खिलाफ एनजीटी और सुप्रीम कोर्ट को शिकायत दी गई. एनजीटी ने 11 अगस्त 2023 को ही इसके निर्माण को अवैध माना. लेकिन 17 मार्च 2025 को सुप्रीम कोर्ट से आदेश आने के बाद सेवन वंडर को अब गिराया जा रहा है.

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12 मार्च से बंद था अजमेर का सेवन वंडर पार्क

सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर राज्य के मुख्य सचिव ने कोर्ट में एफिडेविट दाखिल कर आदेशों की पालना का आश्वासन दिया था. इसी कड़ी में 12 मार्च को सेवन वंडर को पूरी तरह बंद कर दिया गया और स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी को हाईड्रा मशीनों से उतारने की कार्रवाई की गई थी. अब सुप्रीम कोर्ट से कोई राहत न मिलने पर प्रशासन ने इसे पूरी तरह ध्वस्त करने का निर्णय लिया है.

आना सागर झील के डूब क्षेत्र में निर्माण, NGT और सुप्रीम कोर्ट ने माना अवैध

स्मार्ट सिटी के तहत अजमेर विकास प्राधिकरण (ADA) ने 11.12 करोड़ रुपए खर्च कर सेवन वंडर तैयार किया था और इसका संचालन 87 लाख रुपए वार्षिक ठेके पर दिया गया था. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने मास्टर प्लान और वेट लैंड नियमों की अवहेलना को गंभीर मानते हुए इसे तोड़ने के आदेश जारी किए. बताया गया कि सेवन वंडर का निर्माण अजमेर के आना सागर झील के डूब क्षेत्र में किया गया था.

अशोक मलिक, संजय भाटी, सुशील कुमार पंवार नामक तीन लोगों ने इसकी शिकायत की थी. जिसके बाद एनजीटी और सुप्रीम कोर्ट ने इसके निमार्ण को अवैध माना. जिसके बाद इसे तोड़ने की प्रक्रिया चल रही है.

अजमेर के सेवन वंडर में थे दुनिया के सातों अजूबे

  • स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी (Statue of Liberty) – अमेरिका पूर्व में प्लेटफार्म से मूर्ति हटाई गई.
  • एफिल टॉवर (Eiffel Tower) – फ्रांस
  • लीनिंग टॉवर ऑफ पीसा (Leaning Tower of Pisa) – इटली
  • ताजमहल (Taj Mahal) – भारत
  • पिरामिड ऑफ गीज़ा (Pyramids of Giza) – मिस्र
  • क्राइस्ट द रिडीमर (Christ the Redeemer) – ब्राज़ील
  • कोलोसियम (Colosseum) – रोम

मीडिया पर पाबंदी, सुरक्षा घेरा मजबूत

ध्वस्तीकरण कार्रवाई को लेकर प्रशासन ने सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए हैं. सेवन वंडर के मुख्य द्वार पर स्थानीय पुलिस और ADA कर्मचारियों की तैनाती कर दी गई है ताकि मीडिया कर्मियों और आम लोगों की एंट्री रोकी जा सके. मौके पर जेनेरेटर की व्यवस्था भी की गई है ताकि किसी भी आपात स्थिति में तुरंत कार्रवाई हो सके. राजस्थान में एनजीटी के आदेशों पर धरातल पर यह पहली बड़ी कार्रवाई है, जिससे अन्य जिलों में भी इसी प्रकार की सख्ती शुरू होने की संभावना है.

यह भी पढ़ें - अजमेर में 11 करोड़ के सेवन वंडर्स पार्क पर चला बुलडोजर, सुप्रीम कोर्ट ने 17 सितंबर तक हटाने का दिया था आदेश

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