जोशीमठ और इसके आसपास के क्षेत्र प्रति वर्ष 6.5 सेमी या 2.5 इंच की दर से जमीन धंस रही है. इस मुद्दे पर एनडीटीवी ने एक्सपर्ट से बात कर जानना चाहा कि क्यों यह जमीन धंस रही है. भूकंप वैज्ञानिक डॉक्टर विनीत गहलोत ने कहा कि जमीन के खिसकने के 2 तरीके होते हैं. पहला कारण भूकंप का आना होता है. जो सामान्य तौर पर देखा जाता है. लेकिन दूसरा वो होता है जिसमें पहाड़ के जो ढलान होते हैं वो खिसकते हैं. अगर वो बहुत अधिक खिसक जाते हैं तो लैंड स्लाइड हो जाती है. लेकिन कई ऐसे ढलान हैं जो बहुत धीरे-धीरे खिसकते हैं. जोशीमठ जैसे जगहों पर ढलान धीरे-धीरे खिसक रहे हैं.
इस तरह की घटनाओं में प्लेट टेक्टोनिक्स का कोई योगदान नहीं है. ये बहुत नीचे होते भी नहीं हैं. संभव है कि ये 3-4 मीटर नीचे ही हो रहे हों. इस तरह की घटनाओं के लिए प्लेट का कोई योगदान नहीं है. इसके लिए हमारे कार्य जिम्मेदार हैं.उन्होंने कहा कि जिस तरह से निर्माण कार्य पहाड़ी क्षेत्रों में किया जा रहा है वो सही नहीं है. भूकंप वाले क्षेत्रों में जिस तरह से मकान बनाए जाने के लिए गाइडलाइन हैं उसे भी फॉलो नहीं किया जाता है.
इधर, प्रभावित होटलों को गिराने की कार्रवाई मंगलवार को नहीं हो पाई. स्थानीय लोगों और होटल मालिकों की तरफ से सरकार की इस कार्रवाई का लगातार विरोध किया जा रहा है. होटल संचालकों इसे लेकर सरकार से मुआवजे की मांग कर रहे हैं. विरोध प्रदर्शन के बाद प्रशासन ने फैसला किया है कि जिन घरों और होटलों में दरारे आई हैं उन्हें गिराने के लिए बुलडोजर का इस्तेमाल नहीं किया जाएगा. विध्वंस मैन्युअल रूप से किया जाएगा. जानकारी के अनुसार प्रशासन वन टाइम सेटलमेंट प्लान पर भी विचार कर रही है.सरकार ने मकानों को गिराने के लिए उचित योजना बनाने के लिए सीबीआरआई की एक टीम बुलाई है. बता दें कि जोशीमठ में अब तक कुल 731 घरों में दरारें आ गई हैं.
गौरतलब है कि राज्य सरकार ने सोमवार को ‘माउंट व्यू' और ‘मालारी इन' होटलों को गिराने का फैसला किया था. जिनमें हाल में बड़ी दरार आ गईं और दोनों एक-दूसरे की ओर झुक गए हैं. इससे आसपास की इमारतों को खतरा पैदा हो गया है. इलाके में अवरोधक लगा दिए गए हैं और इन होटल और आसपास के मकानों में बिजली आपूर्ति रोक दी गई है, जिससे करीब 500 घर बिजली के अभाव का सामना कर रहे हैं.
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