1991 के बलवंत सिंह मुल्तानी मामले में (Balwant Singh Multani Case) पंजाब पुलिस के पूर्व डीजीपी सुमेध सिंह सैनी (ex-DGP Sumedh Singh Saini) को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है. सुप्रीम कोर्ट ने सैनी की गिरफ्तारी पर फिलहाल रोक लगाई है. कोर्ट ने कहा कि अगले आदेश तक सैनी को गिरफ्तार नहीं किया जाएगा. कोर्ट ने पंजाब सरकार को नोटिस जारी कर दो हफ्ते में जवाब मांगा है. वहीं साथ में कोर्ट ने सैनी को जांच में सहयोग करने को कहा है.
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में सुमेध सिंह सैनी की याचिका पर जस्टिस अशोक भूषण, जस्टिस आर सुभाष रेड्डी और जस्टिस एम आर शाह की बेंच ने मंगलवार को सुनवाई की है. पंजाब के पूर्व डीजीपी सुमेध सिंह सैनी ने सुप्रीम कोर्ट में अग्रिम जमानत याचिका दाखिल की है और पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती दी है. हालांकि, पंजाब सरकार ने इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में कैवियट याचिका दाखिल कर रखी है. पंजाब सरकार ने कोर्ट में अर्जी दखिल कर कहा है कि कोर्ट बिना राज्य सरकार के पक्ष को सुने कोई आदेश जारी न करें.
इससे पहले सात सितंबर को अग्रिम जमानत और जांच सीबीआई या किसी अन्य एजेंसी से करवाने की मांग को लेकर दाखिल दो अलग-अलग याचिकाओं को खारिज करते हुए पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने सैनी को बड़ा झटका दिया था. जस्टिस फतेहदीप सिंह ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रखा था और फिर अपना फैसला सुनाते हुए सैनी की दोनों याचिकाओं को खारिज कर दिया.
बता दें कि 1991 के बलवंत सिंह मुल्तानी अपहरण मामले में पूर्व डीजीपी सुमेध सिंह सैनी आरोपी हैं. पहली याचिका में सैनी ने मामले की पंजाब से बाहर किसी अन्य जांच एजेंसी या सीबीआई से जांच की मांग की थी. सैनी ने याचिका दायर कर आरोप लगाया है कि उनके खिलाफ मोहाली पुलिस ने मटौर थाने में 6 मई को एफआईआर दर्ज की है. यह पूरी तरह से राजनीतिक रंजिश के तहत दायर की गई है. इस एफआईआर पर पंजाब पुलिस निष्पक्ष जांच नहीं कर सकती है, लिहाजा इस मामले की सीबीआई या राज्य के बाहर की किसी जांच एजेंसी से जांच करवाई जाए.
दूसरी याचिका सैनी ने मोहाली की ट्रायल कोर्ट द्वारा 1 सितंबर को उनकी अंतरिम जमानत को खारिज किए जाने के खिलाफ दायर की थी. सैनी ने न्यायालय से अग्रिम जमानत की अपील की थी. इस याचिका में सैनी ने कहा कि एफआईआर जिस घटना से जुड़ी है, वह 29 साल पुरानी है. इस मामले में मोहाली जिला अदालत उन्हें 11 मई को अग्रिम जमानत भी दे चुकी थी. बाद में पुलिस ने उनके खिलाफ दर्ज एफआईआर में धारा-302 को भी जोड़ दिया और अब मोहाली की ट्रायल कोर्ट ने 1 सितंबर को उन्हें दी गई अंतरिम जमानत खारिज कर दी है. सैनी का आरोप है कि उनके खिलाफ यह पूरा मामला राजनीतिक रंजिश के तहत ही दर्ज किया गया है.
पूरा मामला क्या है?
मामला साल 1990 के दशक का है, जब सुमेध सिंह सैनी चंडीगढ़ के एसएसपी थे. 1991 में उन पर एक आतंकी हमला हुआ. उस हमले में सैनी की सुरक्षा में तैनात चार पुलिसकर्मी मारे गए थे, जबकि सैनी खुद भी जख्मी हो गए थे. उस केस के संबंध में पुलिस ने सैनी के आदेश पर पूर्व आईएएस ऑफिसर दर्शन सिंह मुल्तानी के बेटे बलवंत सिंह मुल्तानी को उठा लिया था.
पुलिस ने उसे हिरासत में रखा और फिर बाद में कहा कि वह पुलिस की गिरफ्त से भाग गया. इस दौरान उसकी मौत हो गई जबकि परिजनों का कहना था कि बलवंत की पुलिस के टॉर्चर से मौत हो गई. 2008 में पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट के निर्देशों पर चंडीगढ़ सीबीआई ने इस मामले में जांच शुरू की, जिसके बाद 2008 में सीबीआई ने सैनी के खिलाफ केस दर्ज कर लिया.
हालांकि, बाद में सुप्रीम कोर्ट ने तकनीकी आधार पर एफआईआर को खारिज कर दिया था, लेकिन अब नए तथ्य पर पंजाब पुलिस ने 7 मई 2020 को सैनी के खिलाफ आईपीसी की धारा 364 (अपहरण या हत्या के लिए अपहरण), 201 (साक्ष्य मिटाने के कारण), 344 (गलत तरीके से कारावास), 330 और 120बी (आपराधिक साजिश रचना) के तहत केस दर्ज कर लिया.
Video: पूर्व DGP सुमेध सिंह सैनी की गिरफ्तारी पर फिलहाल रोक
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