बिलकिस बानो मामले में दो दोषियों की अंतरिम जमानत याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई से इनकार किया है. सुप्रीम कोर्ट ने याचिका पर सवाल उठाए हैं. कोर्ट ने कहा कि यह कैसे स्वीकार्य है? ये बिल्कुल गलत है. जनहित याचिका में हम अपील पर कैसे बैठ सकते हैं?
याचिकाकर्ताओं ने मांग की थी कि जब तक कि उनकी सजा में छूट पर नया फैसला नहीं आ जाता, तब तक अंतरिम जमानत दी जाए. एडवोकेट ऋषि मल्होत्रा ने कहा कि इस मामले में अब दो कोर्ट के फैसले हैं. अगर मुझे अथॉरिटी से संपर्क करने की अनुमति दी जाए. लेकिन जस्टिस संजीव खन्ना ने कहा कि दूसरा फैसला मान्य होगा.
सुप्रीम कोर्ट ने बिलकिस बानो मामले में दोनों दोषियों की याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया. इसमें शीर्ष अदालत के जनवरी के आदेश को चुनौती दी गई थी, जिसमें सभी 11 दोषियों को दी गई छूट को रद्द कर दिया गया था. सुप्रीम कोर्ट ने याचिका को "गलत" बताया है.
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार पर अपनी शक्तियों का दुरुपयोग करने का आरोप लगाते हुए 2002 के दंगों के दौरान बिलकिस बानो से सामूहिक दुष्कर्म और उनके परिवार के सात सदस्यों की हत्या के मामले में 11 दोषियों को सजा में छूट देने के राज्य सरकार के फैसले को रद्द कर दिया था. दोषियों को जेल भेजने का निर्देश दिया था.
क्या है पूरा मामला
घटना के वक्त बिलकिस बानो 21 साल की थीं और पांच माह की गर्भवती थीं. बानो से गोधरा ट्रेन अग्निकांड के बाद 2002 में भड़के दंगों के दौरान दुष्कर्म किया गया था. दंगों में मारे गए उनके परिवार के सात सदस्यों में उनकी तीन साल की बेटी भी शामिल थी.
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