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This Article is From May 07, 2024

SC ने बंगाल में 25 हजार से ज्यादा शिक्षकों की नियुक्ति रद्द करने के HC के आदेश पर लगाई रोक

ममता सरकार ने कलकत्ता हाईकोर्ट के फैसले को सर्वोच्च अदालत में चुनौती दी थी. यह मामला साल 2016 में की गई शिक्षण और गैर-शिक्षण कर्मचारियों की लगभग 25,000 नियुक्तियों को रद्द करने के फैसले से जुड़ा है.

SC ने बंगाल में 25 हजार से ज्यादा शिक्षकों की नियुक्ति रद्द करने के HC के आदेश पर लगाई रोक
नई दिल्ली:

शिक्षक भर्ती मामले (Teachers Recruitment Case) में बंगाल सरकार ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) का रुख किया था. इस बीच मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हाईकोर्ट के आदेश के निर्देश के अनुसार सीबीआई की जांच जारी रहेगी. लेकिन सीबीआई कोई दंडात्मक कार्रवाई फिलहाल नहीं करेगी. सुप्रीम कोर्ट ने पिछले आदेश के तहत सशर्त अंतरिम संरक्षण जारी रखा है. इस मामले में अगली सुनवाई 16 जुलाई को होगी. 

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मामले का शीघ्र निपटारा न्याय के हित में होगा, हम अंतरिम संरक्षण जारी रखते हैं, कोई भी व्यक्ति जो अवैध रूप से नियुक्त पाया गया है उसे वेतन वापस करना होगा.

चीफ जस्टिस ने बंगाल सरकार से पूछे तीखे सवाल
चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ (CJI DY Chandrachud) की अगुवाई वाली बेंच ने इस दौरान पश्चिम बंगाल सरकार से कड़े सवाल पूछे. सीजेआई ने शुरुआत में बंगाल सरकार से पूछा कि उसने अतिरिक्त पद क्यों बनाए और वेटिंग लिस्ट वाले अभ्यर्थियों को नियुक्त क्यों किया, जबकि चयन प्रक्रिया को अदालत में चुनौती दी गई थी. 

बंगाल सरकार की तरफ से क्या कहा गया? 
हाई कोर्ट के आदेश को ध्यान में रखते हुए, बंगाल सरकार के वकील नीरज किशन कौल ने पूछा," क्या इस तरह के आदेश को बरकरार रखा जा सकता है. उन्होंने कहा, "यह सीबीआई का भी मामला नहीं है कि 25,000 नियुक्तियां अवैध हैं. टीचर-चाइल्ड रेश्यो सब कुछ गड़बड़ा गया है."

स्कूल सेवा आयोग की तरफ से पेश सीनियर वकील जयदीप गुप्ता ने तर्क दिया कि हाई कोर्ट की बेंच के पास नौकरियां रद्द करने का अधिकार क्षेत्र नहीं है और उसके आदेश इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसलों के विपरीत हैं. जब सीजेआई ने पूछा कि क्या ओएमआर शीट और आंसर शीट की स्कैन की गई कॉपियां नष्ट कर दी गई हैं, तो उन्होंने पॉजिटिव जवाब दिया. इस दौरान सीजेआई ने पूछा कि "इतने संवेदनशील मामले" के लिए टेंडर क्यों जारी नहीं किया गया. 

स्कूल सेवा आयोग को सुप्रीम कोर्ट ने फटकारा
सीजेआई ने कहा कि ओएमआर की डिजिटल प्रतियां रखना आयोग की ड्यूटी है. इस दौरान स्कूल सेवा आयोग के वकील जयदीप गुप्ता ने जवाब दिया कि यह उस एजेंसी के पास है जिसे काम आउटसोर्स किया गया था. इस पर सीजेआई ने पूछा, "कहां? सीबीआई को यह नहीं मिला. यह आउटसोर्स है, आपके पास नहीं. क्या सुरक्षा प्रोटोकॉल का इससे बड़ा उल्लंघन हो सकता है?. सीजेआई ने कहा कि उनको सिर्फ स्कैनिंग के लिए काम पर रखा गया था, लेकिन आपने उन्हें पूरा डेटा रखने दिया, आप यह नहीं कह सकते कि उन्होंने इसे ले लिया, लोगों के डेटा को रखने के लिए आप जिम्मेदार हैं."

सीजेआई ने तब पूछा कि क्या आयोग ने आरटीआई आवेदकों से गलत कहा था कि डेटा उसके पास है. "कोई डेटा (आपके पास) बिल्कुल नहीं है." इस पर वकील ने जवाब दिया, "ऐसा हो सकता है." जब उन्होंने पूछा कि क्या हाई कोर्ट के निर्देश निष्पक्ष थे, तो सीजेआई ने जवाब दिया, "लेकिन यह प्रणालीगत धोखाधड़ी है. सार्वजनिक नौकरियां आज बेहद दुर्लभ हैं, और उन्हें सामाजिक गतिशीलता के रूप में देखा जाता है. अगर उनकी नियुक्तियों को भी बदनाम किया जाता है तो सिस्टम में क्या रह जाता है? लोग विश्वास खो देंगे, आप इसे कैसे स्वीकार करेंगे?"

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