सरोजनी नगर (Sarojini Nagar) में झुग्गियां तोड़ने के मामले पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में सुनवाई हुई. झुग्गियों को हटाने पर जुलाई तक रोक जारी रहेगी. कोर्ट ने झुग्गीवासियों की जानकारी इकट्ठा कर अदालत को देने के लिए एक नोडल ऑफिसर नियुक्त किया है. ये अफसर सरोजिनी नगर की झुग्गियों के लोगों के पहचान पत्र की तस्दीक, परिवार के सदस्यों की जानकारी, आय और व्यवसाय के बारे में जानकारी लेगा. नोडल अफसर दस दिनों में ये जानकारी इकट्ठा कर कोर्ट को रिपोर्ट के रूप में सौंपेगा. जुलाई के तीसरे हफ्ते में अगली सुनवाई होगी. तब तक झुग्गियों को हटाए जाने पर रोक जारी रहेगी. 25 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने 200 झुग्गियों को तोड़ने पर रोक लगा दी थी. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से गरीब लोगों के प्रति मानवीय रवैया अपनाने को कहा था.
कोर्ट ने कहा था फिलहाल झुग्गी मामले में कोई कठोर कार्यवाही नहीं होगी. अदालत ने केंद्र और अन्य को नोटिस जारी किया था. सुनवाई के दौरान जस्टिस केएम जोसेफ ने केंद्र को नसीहत दी और कहा था कि जब आप उनके साथ व्यवहार करते हैं तो उनके साथ मानवीय व्यवहार करें. एक मॉडल सरकार के रूप में आप यह नहीं कह सकते कि आपके पास कोई नीति नहीं होगी और बस उन्हें बाहर फेंक दें. आप परिवारों के साथ व्यवहार कर रहे हैं.
याचिकाकर्ता के वकील विकास सिंह ने इस मामले में कहा था कि इस तरह हजारों लोगों को उजाड़ा नहीं जा सकता. उनके पुनर्वास के लिए कोई ना कोई योजना होनी चाहिए. याचिकाकर्ता की बोर्ड की परीक्षा चल रही है. इन सभी बच्चों के माता-पिता शहर में काम कर रहे हैं. उन्हें हवा में गायब होने के लिए नहीं कहा जा सकता. इस अदालत को विचार करना चाहिए.
दरअसल दिल्ली हाईकोर्ट के इस फैसले के खिलाफ 10वीं कक्षा की छात्रा वैशाली ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है. उसकी 26 अप्रैल से बोर्ड परीक्षा शुरू हुई है. विकास सिंह ने पीठ को बताया था कि दिल्ली हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने याचिकाकर्ताओं की पुनर्वास मुहैया कराने के बाद ही उजाड़ने की प्रार्थना अस्वीकार करते हुए एकल जज पीठ के आदेश में कोई तब्दीली करने से मना कर दिया था.
गौरतलब है कि दिल्ली हाईकोर्ट ने चार अप्रैल को सरोजिनी नगर में करीब 200 झुग्गी में सैंकडों लोगों की बस्ती खाली कराने का आदेश दिया था. झुग्गीवालो ने दिल्ली झुग्गी पुनर्वास नीति का हवाला दिया है, जिसमें साफ कहा गया है कि एक जनवरी 2006 से पहले अस्तित्व में आई झुग्गी बस्तियों को हटाने से पहले उनका पुनर्वास किया जाएगा, लेकिन दिल्ली हाईकोर्ट ने इस बाबत दिए गए पुराने फैसलों को भी दरकिनार कर दिया गया है .
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