विज्ञापन
This Article is From May 02, 2022

तलाक-ए-हसन को गैरकानूनी घोषित करने के लिए सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की गई याचिका

याचिकाकर्ता के मुताबिक ये परंपरा इस्लाम के मौलिक सिद्धांत में शामिल नहीं है. याचिकाकर्ता की कोर्ट से गुहार है कि उसके ससुराल वालों ने निकाह के बाद दहेज के लिए उसे प्रताड़ित किया. दहेज की लगातार बढ़ती मांग पूरी न किए जाने पर उसे तलाक दे दिया. ये प्रथा सती प्रथा की तरह ही सामाजिक बुराई है.

तलाक-ए-हसन को गैरकानूनी घोषित करने के लिए सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की गई याचिका
याचिकाकर्ता के मुताबिक ये परंपरा इस्लाम के मौलिक सिद्धांत में शामिल नहीं है
नई दिल्ली:

सुप्रीम कोर्ट में तलाक-ए-हसन को लेकर भी जनहित याचिका दाखिल की गई. बेनजीर हिना ने याचिका दाखिल कर तलाक- ए-हसन को एकतरफा, मनमाना और समता के अधिकार के खिलाफ बताया है. याचिकाकर्ता के मुताबिक ये परंपरा इस्लाम के मौलिक सिद्धांत में शामिल नहीं है. याचिकाकर्ता की कोर्ट से गुहार है कि उसके ससुराल वालों ने निकाह के बाद दहेज के लिए उसे प्रताड़ित किया. दहेज की लगातार बढ़ती मांग पूरी न किए जाने पर उसे तलाक दे दिया. ये प्रथा सती प्रथा की तरह ही सामाजिक बुराई है.

इसलिए याचिका में कोर्ट इसे खत्म कराने के लिए इसे गैरकानूनी घोषित करने की मांग की गई, क्योंकि हजारों मुस्लिम महिलाएं इस कुप्रथा की वजह से पीड़ित होती हैं. इस्लाम में तलाक़ के तीन तरीके ज्यादा प्रचलन में थे. एक है तलाक़-ए-अहसन. इस्लाम की व्याख्या करने वालों के मुताबिक तलाक़-ए-अहसन में शौहर बीवी को तब तलाक़ दे सकता है जब उसका मासिक धर्म चक्र न चल रहा हो.

इसके बाद तकरीबन तीन महीने एकांतवास की अवधि यानी इद्दत के बाद चाहे तो वह तलाक़ वापस ले सकता है. यदि ऐसा नहीं होता तो इद्दत के बाद तलाक़ को स्थायी मान लिया जाता है. लेकिन इसके बाद भी यदि यह जोड़ा चाहे तो भविष्य में निकाह यानी शादी कर सकता है. इसलिए इस तलाक़ को अहसन यानी सर्वश्रेष्ठ कहा जाता है. दूसरे प्रकार का तलाक़ है तलाक़-ए-हसन इसकी प्रक्रिया भी तलाक़-ए-अहसन की तरह है

इसमें शौहर अपनी बीवी को तीन अलग-अलग बार तलाक़ कहता है वो भी तब जब बीवी का मासिक धर्म चक्र न चल रहा हो. यहां शौहर को अनुमति होती है कि वह इद्दत की समयावधि खत्म होने के पहले तलाक़ वापस ले सकता है. यह तलाक़शुदा जोड़ा चाहे तो भविष्य में फिर से निकाह यानी शादी कर सकता है. इस प्रक्रिया में तीसरी बार तलाक़ कहने के तुरंत बाद वह अंतिम मान लिया जाता है. यानी तीसरा तलाक बोलने से पहले तक निकाह पूरी तरह खत्म नहीं होता.

ये भी पढ़ें: तपती गर्मी में यूपी-बिहार के लिए अच्छी खबर; अगले 5 दिन लू से राहत के आसार: बारिश की भी संभावना 

तीसरा तलाक बोलने और तलाक पर मुहर लगने के बाद तलाक़शुदा जोड़ा फिर से शादी तब ही कर सकता है जब बीवी इद्दत पूरी होने के बाद किसी दूसरे व्यक्ति से निकाह यानी शादी कर ले. इस प्रक्रिया को हलाला कहा जाता है. अगर पुराना जोड़ा फिर शादी करना चाहे तो बीवी नए शौहर से तलाक लेकर फिर इद्दत में एकांतवास करे, फिर वो पिछले शौहर से निकाह कर सकती है.

VIDEO: "PMO के इशारे पर सब हुआ": अपनी गिरफ्तारी पर NDTV से खुलकर बोले जिग्‍नेश मेवाणी

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com