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This Article is From Oct 03, 2012

ग्वालियर से दिल्ली चला सत्याग्रहियों का हुजूम

नई दिल्ली: ग्वालियर से सत्याग्रहियों का हुजूम दिल्ली के लिए चल पड़ा है। इस हुजूम में 50 हजार के करीब भूमिहीन लोग बताए जा रहे हैं। कोई बिहार से हजार किलोमीटर का सफर करके पहुंचा है, तो कोई उत्तर प्रदेश के पिछड़े इलाकों से। जमीन पर हक और भूमि सुधार नीति की मांग को लेकर जन सत्याग्रह यात्रा में शामिल होने देश के लिए कोने−कोने से गरीब और भूमिहीन आए हैं।

इन हजारों लोगों में ज्यादातर के पास दो गज जमीन भी नहीं है इसलिए अब वे दिल्ली चल पड़े हैं। 350 किलोमीटर लंबा ये मार्च सरकार पर दबाव बनाने के लिए है कि उन्हें जमीन का अधिकार मिलना चाहिए। देश आजाद हो गया 65 साल पहले, आज़ादी आज तक नहीं मिली।

जिनके पास थोड़ी बहुत ज़मीन है भी उन्हें डर है कि गांव के दबंग या सरकार कभी भी उनसे उनकी जमीन छीन सकते हैं। गांव में अमीर लोग सताते और मारते हैं। जानवरों को चरने भी नहीं देते।

इन 50 हजार से अधिक लोगों को एक ही मंच पर लाने में अहम भूमिका निभाने वाली संस्था एकता परिषद के अध्यक्ष पीवी राजगोपाल ने एनडीटीवी को बताया कि सरकार का रुख फिलहाल सकरात्मक नहीं है। एकता परिषद के अध्यक्ष पीवी राजगोपाल ने कहा, हमारी मांग है कि सरकार एक तय समय में रोडमैप पर हस्ताक्षर करे कि वह हमारी मांगों को लागू करने के लिए कटिबद्ध है।

देश में आज ढाई करोड़ भूमिहीन परिवार हैं जो पिछले कई साल से अपने हक की लड़ाई लड़ रहे हैं। उधर, केन्द्रीय ग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश ने एनडीटीवी से खास बातचीत में कहा कि सरकार सत्याग्रहियों की एक राष्ट्रीय भूमि सुधार नीति तैयार करने के साथ−साथ गरीबों को इंदिरा आवास योजना के तहत मिलने वाले फंड्स को दोगुना करने पर भी खुले दिमाग से विचार करने के लिए तैयार है।

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