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NDTV Exclusive: जी सर... जब उज्‍ज्‍वल निकम की डांट से खौफजदा हो गए संजय दत्त

टाडा अदालत में मुंबई बमकांड का मुकदमा अपने आखिरी चरण में था. एक दिन उज्‍ज्‍वल निकम बाहर आए तो पुलिसवालों ने बताया कि मीडिया वाले तो संजय दत्त के पीछे चले गए हैं. यह बात उन्‍हें अखर गई.

NDTV Exclusive: जी सर... जब उज्‍ज्‍वल निकम की डांट से खौफजदा हो गए संजय दत्त
उज्‍ज्‍वल निकम ने एक बार संजय दत्त को डांट पिलाई थी.
  • महाराष्ट्र के वरिष्ठ वकील उज्ज्वल निकम को राष्ट्रपति ने राज्यसभा के लिए मनोनीत किया है, जिन्‍होंने कई महत्वपूर्ण मुकदमे लड़े हैं.
  • टाडा अदालत में एक बार सरकारी वकील उज्‍ज्‍वल निकम ने अभिनेता संजय दत्त को डांट दिया था, जिससे संजय दत्त खौफजदा हो गए थे.
  • संजय दत्त पर दाऊद गिरोह की ओर से भेजी एके-56 रखने का आरोप था. इसके लिए उन्‍हें सजा भी सुनाई गई थी.
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मुंबई :

महाराष्ट्र के वरिष्ठ वकील उज्ज्वल निकम को राष्ट्रपति ने राज्यसभा के लिए मनोनीत किया है. उज्जवल निकम ने पिछले साल लोकसभा चुनाव के जरिए राजनीति में एंट्री की थी. मुंबई उत्तर मध्य की सीट निगम कांग्रेस उम्मीदवार से हार गए, लेकिन उनकी कानून की दुनिया में पहचान हमेशा जीत हासिल करने वाले शख्स की रही है. बीते 30 सालों में उन्होंने महाराष्ट्र के कई आपराधिक मुकदमे सरकार की तरफ से लड़े और जीते भी. 

यह किस्सा उन दिनों का है, जब मुंबई की आर्थर रोड जेल में बनी टाडा अदालत में मुंबई बमकांड का मुकदमा अपने आखिरी चरण में था. जज प्रमोद कोदे मामले की रोज सुनवाई करते थे, जिन आरोपियों की जमानत नहीं हुई थी उन्हें जेल की चारदीवारी के भीतर बने बैरकों से अदालत के कमरे में लाया जाता था. एक बैरक को ही खाली करा कर अदालत की शक्ल दी गई थी. जिन आरोपियों की जमानत हो चुकी थी वे अपनी तारीख पर अदालत में हाजिर होते. इनमें फिल्म स्टार संजय दत्त भी थे जिन पर दाऊद गिरोह की ओर से भेजी गईं, एके 56 राईफलें अपने साथ रखने का आरोप था. संजय दत्त भी अपनी हाजिरी के वक्त एक आम आरोपी की तरह अदालत के पीछे बनाए गए हिस्से में बाकी आरोपियों के साथ बैठते थे.

नहीं थे मीडियाकर्मी... अखर गई बात 

संजय दत्त की जिस दिन तारीख होती, उस दिन अदालत के बाहर मीडिया के कैमरों की आम दिनों से ज्यादा भीड़ रहती थी. अदालत की कार्रवाई खत्म होने के बाद विशेष सरकारी वकील जेल के बाहर बनाए गए मीडिया स्टैंड में आकर दिनभर की कार्रवाई की जानकारी देते. अपनी बात वे अंग्रेजी, हिंदी और मराठी इन तीनों भाषाओं में रखते. उनके जाने के बाद बचाव पक्ष के वकील आकर मीडिया से मुखातिब होते.

एक बार अदालत की कार्रवाई जैसे ही खत्म हुई, संजय दत्त बाहर आ गए. सारे मीडियाकर्मी उनकी तस्वीरें लेने के लिए पीछे भागे. हालांकि तभी सरकारी वकील बाहर आए तो देखा कि कोई मीडियाकर्मी स्टैंड पर उन्हें रिकॉर्ड करने के लिए था ही नहीं. उन्हें पुलिसकर्मियों ने बताया कि मीडिया वाले संजय दत्त के पीछे भागे हैं. ये बात उन्‍हें अखर गई. उन्होंने मीडियाकर्मियों के वापस स्टैंड पर आने का इंतजार किया और फिर रोज की तरह अदालती कार्रवाई का ब्‍योरा दिया, लेकिन नाराजगी उनके चेहरे पर साफ झलक रही थी.

निकम के बर्ताव से खौफजदा हो गए थे संजय दत्त

अगली तारीख पर जब संजय दत्त वापस अदालत आए तो कार्रवाई खत्म होने के बाद वकील साहब ने कोर्ट के दरवाजे के पास उन्हें बुलाया और उंगली दिखाते हुए चेतावनी वाले अंदाज में कहा - “संजू, जब तक मैं निकल नहीं जाता तब तक तू कोर्ट से बाहर नहीं आएगा. समझ गया?”

“जी सर, बिलकुल नहीं आऊंगा.” संजय दत्त ने एक आज्ञाकारी बालक की तरह हामी भरी और वापस आरोपियों के लिए रखी बेंच पर जाकर बैठ गए. वहां मौजूद पत्रकारों ने देखा कि दत्त सरकारी वकील के सख्त बर्ताव से खौफजदा हो गए थे और उनके चेहरे से पसीना टपकने लगा था.

सुप्रीम कोर्ट ने सजा को घटाकर 5 साल किया 

इसके बाद जब सरकारी वकील रोज की तरह मीडिया को संबोधित करके चले गए तब ही संजय दत्त जेल के दरवाजे से बाहर निकले. वकील साहब का गुस्सा उनके लिए ठीक नहीं था. संजय दत्त बरी होंगे या फिर जेल जाएंगे, ये इस बात पर निर्भर था कि वकील साहब कितनी मजबूती से सरकारी पक्ष के लिए उनके खिलाफ जिरह करते हैं.

उस मामले में संजय दत्त को टाडा अदालत ने छह साल जेल की सजा सुनाई गई. अदालत ने उन्हें टाडा कानून के तहत आतंकवादी होने के कलंक से तो बरी कर दिया लेकिन आर्म्‍स एक्ट के तहत दोषी करार दिया. बाद में सुप्रीम कोर्ट ने उनकी छह साल की सजा को घटाकर पांच साल कर दिया. ये सजा दत्त ने पुणे की यरवदा जेल में पूरी की.

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