"सचिन पायलट को माफी मांगनी चाहिए": NDTV से बोले अशोक गहलोत

अपने पूर्व डिप्टी को बार-बार "गद्दार " बताते हुए गहलोत ने कहा कि अगर सचिन पायलट ने राजस्थान के विधायकों से माफी मांगी होती और उनका दिल जीत लिया होता तो अलग बात होती

पाली (राजस्थान):

सचिन पायलट को अपनी 2020 में की गई बगावत के लिए माफी मांगनी चाहिए थी लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया. उन्हें राजस्थान कांग्रेस के विधायक मुख्यमंत्री के रूप में स्वीकार नहीं कर सकते. यह बात अशोक गहलोत ने NDTV से एक खास इंटरव्यू में कही. अपने पूर्व डिप्टी सीएम को बार-बार "गद्दार" बताते हुए 71 वर्षीय अशोक गहलोत ने कहा कि अगर सचिन पायलट ने राजस्थान के विधायकों से माफी मांगी होती और उनका दिल जीत लिया होता तो अलग बात होती.

अशोक गहलोत को कांग्रेस अध्यक्ष के रूप में दिल्ली भेजे जाने का 90 से अधिक विधायकों  ने विरोध किया था. इस दौरान सोनिया गांधी के साथ हुई अपनी बातचीत का जिक्र करते हुए गहलोत ने कहा, "अब तक उन्होंने माफी नहीं मांगी है. अगर उन्होंने माफी मांगी होती, तो मुझे माफी नहीं मांगनी पड़ती." 

विधायकों ने कांग्रेस अध्यक्ष चुनाव से कई हफ्ते पहले सितंबर में पार्टी की एक बैठक में भाग लेने से इनकार कर दिया था, और घोषणा की थी कि वे सचिन पायलट को मुख्यमंत्री के रूप में स्वीकार नहीं करेंगे. उन्होंने गहलोत को कांग्रेस अध्यक्ष बनाकर दिल्ली भेजना स्वीकार नहीं किया था.

अशोक गहलोत द्वारा स्पष्ट रूप से समर्थित बगावत ने कांग्रेस पार्टी को उस समय बहुत शर्मिंदा किया जब राहुल गांधी की "भारत जोड़ो यात्रा" अच्छी तरह से चल रही थी. राजस्थान के मुख्यमंत्री ने कथित तौर पर कांग्रेस अध्यक्ष पद की दौड़ से बाहर होने से पहले दिल्ली में सोनिया गांधी से माफी मांगी.

अशोक गहलोत ने बगावत पर कहा, "विधायक मुख्यमंत्री (मेरे) प्रति वफादार नहीं थे, वे हाईकमान के प्रति वफादार थे." गहलोत ने कहा कि विधायक पायलट की 2020 की बगावत के कारण नाराज हैं. तब उन्होंने 19 विधायकों के साथ दिल्ली में डेरा डाल लिया था और पार्टी पर दबाव बनाया था.

सचिन पायलट ने उस समय दिल्ली में दो वरिष्ठ केंद्रीय मंत्रियों से मुलाकात की थी. गहलोत ने इंटरव्यू में आरोप लगाया, "अमित शाह और धर्मेंद्र प्रधान भी इसमें शामिल थे. सभी ने दिल्ली में एक बैठक की थी." उन्होंने अपने दावे का समर्थन किए बिना कहा, पायलट का समर्थन करने वाले विधायकों में से, "किसी को 5, कुछ को 10 करोड़ मिले. वास्तव में यह पैसा दिल्ली में भाजपा कार्यालय से उठाया गया था."

हालांकि सचिन पायलट ने अपने दोनों पद, उपमुख्यमंत्री और राजस्थान कांग्रेस प्रमुख, खो दिए. गहलोत ने कहा कि इस मामले में माफी मांगी जानी थी लेकिन वह कभी नहीं मांगी गई. दिग्गज कांग्रेस नेता ने कहा, ''आज विधायकों में काफी नाराजगी है. वे चाहते थे कि उन्हें कम से कम आलाकमान से माफी मांगनी चाहिए थी, उन्हें राजस्थान की जनता से माफी मांगनी चाहिए थी. उन्हें विधायकों से माफी मांगनी चाहिए थी कि 'मैंने जाकर गलती की.' 

उन्होंने कहा कि, "अगर उन्होंने राजस्थान के विधायकों से माफी मांगी होती और उनका दिल जीत लिया होता, राज्य के लोगों से माफी मांग ली होती, तो स्थिति बदल गई होती."

गहलोत ने कहा कि विधायकों द्वारा सितंबर की बगावत "पायलट के खिलाफ बगावत" थी. कई मंत्रियों ने कहा था कि वे "एक गद्दार को स्वीकार नहीं करेंगे." गहलोत ने कहा, "102 में से किसी एक को मुख्यमंत्री बनाओ जो (2020 में) वफादार थे. कोई समस्या नहीं है. लेकिन जिस आदमी ने गद्दारी की, उसे हमारे विधायक कैसे स्वीकार करेंगे?"

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गहलोत ने कहा कि उन्होंने सोनिया गांधी से माफी मांगी क्योंकि यह उनकी नैतिक जिम्मेदारी थी. "क्योंकि मैं मुख्यमंत्री हूं. मैं विधायक दल का नेता हूं. मेरे होने के बावजूद, वे बैठक में आने के लिए सहमत नहीं हुए."