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9 साल बाद पाकिस्तान जा रहे भारतीय विदेश मंत्री, SCO में लेंगे हिस्सा; जानें क्यों खास होगा ये दौरा

करीब नौ साल बाद यह पहला मौका है जब भारत के विदेश मंत्री पाकिस्तान की यात्रा करेंगे, जबकि कश्मीर मुद्दे और पाकिस्तान की ओर से सीमा पार आतंकवाद को लेकर दोनों पड़ोसी देशों के बीच संबंधों में अब भी बर्फ जमी हुई है.

9 साल बाद पाकिस्तान जा रहे भारतीय विदेश मंत्री, SCO में लेंगे हिस्सा; जानें क्यों खास होगा ये दौरा
भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर के पाकिस्तान दौरे पर नजर

देश मंत्री एस. जयशंकर शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए मंगलवार को पाकिस्तान पहुंचने वाले हैं. पिछले कई वर्षों से दोनों पड़ोसी देशों के बीच संबंधों में जारी तनाव के बीच भारत की ओर से पाकिस्तान की यह पहली उच्च स्तरीय यात्रा होगी. अधिकारियों ने बताया कि इस्लामाबाद पहुंचने के तुरंत बाद विदेश मंत्री जयशंकर एससीओ सदस्य देशों के स्वागत के लिए पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की मेजबानी में आयोजित स्वागत भोज में शामिल होंगे. दोनों पक्षों ने एससीओ शासनाध्यक्षों के शिखर सम्मेलन से इतर जयशंकर और उनके पाकिस्तानी समकक्ष इशाक डार के बीच किसी भी द्विपक्षीय वार्ता से इनकार किया है.

9 साल बाद पाकिस्तान जाएंगे भारतीय विदेश मंत्री

करीब नौ साल बाद यह पहला मौका है जब भारत के विदेश मंत्री पाकिस्तान की यात्रा करेंगे, जबकि कश्मीर मुद्दे और पाकिस्तान की ओर से सीमा पार आतंकवाद को लेकर दोनों पड़ोसी देशों के बीच संबंधों में अब भी बर्फ जमी हुई है. ऐसी सूचना है कि जयशंकर पाकिस्तान में 24 घंटे से भी कम समय रुकेंगे. पाकिस्तान एससीओ शासनाध्यक्ष परिषद (सीएचजी) की बैठक की मेजबानी कर रहा है जो 15 और 16 अक्टूबर को होगी. पाकिस्तान की यात्रा करने वाली भारत की आखिरी विदेश मंत्री सुषमा स्वराज थीं. उन्होंने अफगानिस्तान पर एक सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए दिसंबर 2015 में इस्लामाबाद की यात्रा की थी. पाकिस्तान ने एससीओ शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए अगस्त में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को न्योता दिया था.

  1. पाकिस्तान का दौरा करने वाली आखिरी भारतीय विदेश मंत्री सुषमा स्वराज थीं. वे दिसंबर 2015 में अफगानिस्तान पर एक सम्मेलन में भाग लेने के लिए इस्लामाबाद गई थीं. अगस्त में, पाकिस्तान ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एससीओ शिखर सम्मेलन में आमंत्रित किया था.
  2. जयशंकर की पाकिस्तान यात्रा महत्वपूर्ण है, क्योंकि इसे नई दिल्ली की ओर से एक महत्वपूर्ण निर्णय के रूप में देखा जा रहा है. हाल ही में एक कार्यक्रम में जयशंकर ने कहा कि किसी भी पड़ोसी की तरह, भारत भी पाकिस्तान के साथ अच्छे संबंध रखना चाहेगा. लेकिन सीमा पार आतंकवाद को नजरअंदाज करके ये नहीं हो सकता.
  3. फरवरी 2019 में पुलवामा आतंकी हमले के जवाब में पाकिस्तान के बालाकोट में जैश-ए-मोहम्मद के आतंकवादी ट्रेनिंग कैंप पर बमबारी करने के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच संबंध में तनाव चरम पर पहुंच गया था. भारत द्वारा अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के बाद पाकिस्तान ने भारत के साथ राजनयिक संबंधों को कम कर दिया था.
  4. भारत भी पाकिस्तान के साथ सामान्य पड़ोसी संबंध चाहता है, लेकिन आतंकवाद को नजरअंदाज कर के नहीं. भारत जोर देता है कि इस तरह की भागीदारी के लिए आतंक और शत्रुता से मुक्त वातावरण बनाने की जिम्मेदारी इस्लामाबाद पर है. पाकिस्तान के तत्कालीन विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी गोवा में एससीओ देशों के विदेश मंत्रियों की व्यक्तिगत बैठक में भाग लेने के लिए मई 2023 में भारत आए थे. यह लगभग 12 वर्षों में किसी पाकिस्तानी विदेश मंत्री की पहली भारत यात्रा थी.

विदेश मंत्री जयशंकर की पाकिस्तान यात्रा क्यों खास

जयशंकर की पाकिस्तान की यात्रा महत्वपूर्ण मानी जा रही है क्योंकि इसे भारत की ओर से एक अहम निर्णय के रूप में देखा जा रहा है. एक कार्यक्रम में अपने हालिया संबोधन में जयशंकर ने कहा था, ‘‘किसी भी पड़ोसी देश की तरह भारत निश्चित रूप से पाकिस्तान के साथ बेहतर संबंध चाहेगा. लेकिन यह सीमापार आतंकवाद को नजरअंदाज करके और ऐसी (सीमा पार आतंकवाद खत्म करने की) इच्छा करने से नहीं हो सकता.'' इस सम्मेलन के लिए वरिष्ठ मंत्री को भेजने का फैसला एससीओ के प्रति भारत की प्रतिबद्धता को दर्शाता है. फरवरी 2019 में पुलवामा आतंकी हमले के जवाब में भारत के लड़ाकू विमानों द्वारा पाकिस्तान के बालाकोट में जैश-ए-मोहम्मद के आतंकवादी प्रशिक्षण शिविर पर बमबारी के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच संबंधों में जबरदस्त तनाव आ गया था.

शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के सम्मेलन की दो दिवसीय बैठक में अर्थव्यवस्था, व्यापार, पर्यावरण और सामाजिक-सांस्कृतिक संबंधों के क्षेत्रों में चल रहे सहयोग पर चर्चा की जाएगी और एससीओ के प्रदर्शन की समीक्षा की जाएगी. 

भारत और पाकिस्तान के रिश्तों में लंबे वक्त से तल्खियां

पांच अगस्त, 2019 को जम्मू कश्मीर से विशेष दर्जा वापस लिए जाने और राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांटने की भारत की घोषणा के बाद संबंध और बिगड़ गए. भारत द्वारा अनुच्छेद 370 को निरस्त किए जाने के बाद पाकिस्तान ने भारत से अपने राजनयिक संबंधों को सीमित कर लिया था. भारत यह कहता रहा है कि वह पाकिस्तान के साथ सामान्य पड़ोसी जैसा रिश्ता चाहता है जबकि उसने इस बात भी जोर दिया कि इस तरह की बातचीत के लिए आतंक और शत्रुता से मुक्त माहौल बनाने की जिम्मेदारी पड़ोसी देश पर है. पाकिस्तान के तत्कालीन विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी ने गोवा में एससीओ देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक में हिस्सा लेने के लिए मई 2023 में भारत की यात्रा की थी. करीब 12 साल बाद किसी पाकिस्तानी विदेश मंत्री की भारत की यह पहली यात्रा थी.

पाकिस्तान में विरोध प्रदर्शन

शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) शिखर सम्मेलन से पहले हो रहे विरोध प्रदर्शनों ने पाकिस्तान के लिए परेशानी का सबब बने हुए थे. लेकिन राहत की बात ये रही कि इमरान खान की पार्टी पीटीआई ने अपना विरोध-प्रदर्शन वापस ले लिया क्योंकि एससीओ के सदस्य देशों के शासनाध्यक्षों की परिषद (सीएचजी) की 23वीं बैठक यहां कड़ी सुरक्षा के बीच शुरू हो रही है. पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ ने कल रात इस्लामाबाद में अपना विरोध प्रदर्शन वापस लेने पर सहमति जताई, क्योंकि सरकार ने आश्वासन दिया था कि जेल में बंद उसके नेता 72 वर्षीय इमरान खान से मेडिकल टीम को मिलने की अनुमति दी जाएगी. 

(भाषा इनपुट्स के साथ)

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