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MP में मंत्रिमंडल फेरबदल की सुगबुगाहट, 4 पैरामीटर पर बना मंत्रियों का रिपोर्ट कार्ड

NDTV ने जब मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव से पूछा था कि रिपोर्ट तैयार होने के बाद क्या कैबिनेट फेरबदल तय है, तो उन्होंने संकेत भरा जवाब दिया था. उन्होंने कहा, बारीकी से हर चीज़ देखी जाती है. लगभग दो वर्ष का हमारा मंत्रिमंडल का समय हो रहा है, तो स्वाभाविक है कि समीक्षा होगी. पार्टी जो निर्णय लेगी, हम उसके साथ बंधे हैं.

MP में मंत्रिमंडल फेरबदल की सुगबुगाहट, 4 पैरामीटर पर बना मंत्रियों का रिपोर्ट कार्ड
सिर्फ़ मंत्री ही नहीं, विधायक भी इस समीक्षा के दायरे में हैं.
  • बिहार चुनाव नतीजों के बाद मध्यप्रदेश की राजनीति में नई हलचल शुरू हो गई है.
  • संकेत साफ हैं डॉ. मोहन यादव सरकार में बड़ा मंत्रिमंडलीय फेरबदल होने वाला है.
  • सूत्रों ने पुष्टि की है कि सभी मंत्रियों का रिपोर्ट कार्ड तैयार कर BJP केंद्रीय नेतृत्व को भेजा गया है.
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भोपाल:

बिहार चुनाव नतीजों के बाद मध्यप्रदेश की राजनीति में नई हलचल शुरू हो गई है. संकेत साफ हैं डॉ. मोहन यादव सरकार में बड़ा मंत्रिमंडलीय फेरबदल होने वाला है. उच्च पदस्थ सूत्रों ने NDTV को पुष्टि की है कि सभी मंत्रियों का विस्तृत “चार-पैरामीटर प्रदर्शन मूल्यांकन” तैयार कर बीजेपी केंद्रीय नेतृत्व को भेज दिया गया है. सरकार के दो वर्ष पूरे होने से पहले किया गया यह आंकलन कुछ नए चेहरों के लिए मंत्रिमंडल के दरवाज़े खोल सकता है. जबकि कुछ मौजूदा मंत्रियों को संगठनात्मक जिम्मेदारियों की ओर भेजा जा सकता है.

चार बिंदुओं पर बना रिपोर्ट कार्ड

सूत्रों के अनुसार मंत्रियों का रिपोर्ट कार्ड चार बिंदुओं पर बनाया गया है. उनके विभागों में नवाचार और योजनाओं का क्रियान्वयन, राज्य और केंद्र की प्रमुख योजनाओं व अभियानों जैसे विकसित भारत संकल्प यात्रा की सफलता, सरकार और संगठन के बीच समन्वय और जमीनी स्तर पर कार्यकर्ताओं, अधिकारियों व जनता के साथ सक्रियता.

जिला-स्तर के कामकाज को भी बारीकी से परखा गया है. मंत्री अपने प्रभार वाले जिलों में कितना समय रहे, कितनी विकास बैठकें कीं, कितने गांवों में रुककर चौपालें कीं और जनता से सीधे संवाद किया. 31 सदस्यीय मंत्रिमंडल में चार पद खाली हैं, माना जा रहा है कि संभावित विस्तार या फेरबदल के ज़रिए सरकार क्षेत्रीय संतुलन को मज़बूत करने और 2028 के विधानसभा चुनावों से पहले टीम को पुनर्गठित करने की तैयारी में है.

सिर्फ़ मंत्री ही नहीं, विधायक भी इस समीक्षा के दायरे में हैं. उनसे हाल ही में अपने-अपने क्षेत्रों के लिए चार साल का विकास रोडमैप तैयार करने को कहा गया था. विधायक निधि के उपयोग, क्षेत्रीय समस्याओं पर काम और जनसंपर्क को भी रिपोर्ट में शामिल किया गया है. यह रिपोर्ट भी शीघ्र मुख्यमंत्री को सौंपी जाएगी, जिससे स्पष्ट है कि यह प्रक्रिया केवल मंत्रिमंडलीय बदलाव तक सीमित नहीं है.

"पार्टी जो निर्णय लेगी, हम उसके साथ बंधे हैं"

NDTV ने जब मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव से पूछा था कि रिपोर्ट तैयार होने के बाद क्या कैबिनेट फेरबदल तय है, तो उन्होंने संकेत भरा जवाब दिया था. उन्होंने कहा, “हमारी पार्टी अखिल भारतीय पार्टी है माननीय प्रधानमंत्री जी हैं, अमित शाह जी हैं, जे.पी. नड्डा जी हमारे राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं इनके नेतृत्व में हमारी पार्टी चलती है. पार्टी की पद्धति बहुत अच्छी है, बारीकी से हर चीज़ देखी जाती है. लगभग दो वर्ष का हमारा मंत्रिमंडल का समय हो रहा है, तो स्वाभाविक है कि समीक्षा होगी. पार्टी जो निर्णय लेगी, हम उसके साथ बंधे हैं. काम करना पड़ता है और करना भी चाहिए. जब मंत्री बने तो कई लोगों की आशा अपेक्षा के हिसाब से पार्टी मौका देती है. कई जन्मों के पुण्य के बाद ही अवसर आता है, तो जो अच्छा है, उसे भी बताना चाहिए.”

सूत्रों का कहना है कि बीजेपी मध्यप्रदेश में “गुजरात फ़ॉर्मूला” लागू करने पर विचार कर रही है, जिसके तहत कई वरिष्ठ विधायकों को फिर से मंत्री बनने का मौका मिल सकता है, जबकि कुछ मौजूदा मंत्रियों को संगठन में महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां मिल सकती हैं. पार्टी के नए राष्ट्रीय अध्यक्ष की नियुक्ति भी इस समीकरण में अहम भूमिका निभाएगी और यह तय करेगी कि मध्यप्रदेश के कौन से वरिष्ठ नेता दिल्ली में जगह पाएंगे. इसी तस्वीर के साफ़ होने के बाद मोहन यादव मंत्रिमंडल का अंतिम स्वरूप तय होगा.

वर्तमान मंत्रिमंडल का गठन लोकसभा चुनावों को ध्यान में रखकर किया गया था, जिसमें जातीय संतुलन पर खास ध्यान दिया गया था. मुख्यमंत्री समेत 12 मंत्री ओबीसी समुदाय से आते हैं, जो राज्य की राजनीति में निर्णायक भूमिका रखता है. उपमुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ल सहित नौ मंत्री सवर्ण वर्ग से हैं, जबकि अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति से पांच-पांच मंत्री शामिल हैं. बिहार चुनावों के बाद और 2028 की तैयारी के मद्देनज़र सूत्रों का कहना है कि इन जातीय समीकरणों में फेरबदल लगभग तय है.

राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा भी तेज़ है कि पूर्व में मंत्री रह चुके दो वरिष्ठ बीजेपी विधायक फिर से मंत्रिमंडल में आ सकते हैं. कांग्रेस से बीजेपी में आए एक विधायक को भी मौका मिलने की संभावना है, जबकि दो महिला विधायकों के नाम भी दौड़ में हैं. वहीं प्रदर्शन आधारित मूल्यांकन में कमज़ोर पाए गए कम से कम तीन मंत्रियों के बाहर होने की चर्चा है.

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