
मुगल शासक औरंगजेब को लेकर देशभर में हो रहे विवाद पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का बयान सामने आया है. आरएसएस ने कहा है कि वो औरंगजेब को अप्रांसगिक मानता है, न कि उसे लेकर चल रहे विषय को. संघ ने कहा कि उसकी कब्र पर जाकर फातिहा पढ़ना, फूल चढ़ाना और उसका महिमामंडन करना किसी भी हालत में स्वीकार्य नहीं है और यह निंदनीय है.
बुधवार को बैंगलुरु में सुनील आंबेकर की प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद कुछ जगहों पर यह चलाया गया कि आरएसएस ने कहा है कि औरंगजेब प्रासंगिक नहीं है. इसी को लेकर आरएसएस के सूत्रों ने स्थिति स्पष्ट की है.

दरअसल महाराष्ट्र की राजनीति में नागपुर हिंसा के बाद से उबाल आया हुआ है. समाजवादी पार्टी के विधायक अबू आजमी के मुगल शासक औरंगजेब की तारीफ के बाद हिन्दू संगठनों द्वारा औरंगजेब की कब्र हटाने को लेकर धरना प्रदर्शन के बीच नागपुर हिंसा ने महाराष्ट्र के साथ पूरे देश को हिलाकर रख दिया है. विपक्ष देवेंद्र फडणवीस की सरकार पर हमलावर है. हालांकि, सरकार ने दावा किया है कि दंगों के आरोपियों को बख्शा नहीं जाएगा.
बीजेपी ने कहा कि महाराष्ट्र में छत्रपति शिवाजी की पूजा होती है. औरंगजेबवादी छत्रपति शिवाजी की जगह लेने की कोशिश कर रहे हैं, जो संभव नहीं है. महाराष्ट्र में शिवाजी महाराज महान थे, हैं और रहेंगे.

इधर विश्व हिंदू परिषद (विहिप) के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष आलोक कुमार ने औरंगजेब की मजार के महिमामंडन को गलत ठहराया और कहा कि औरंगजेब ने भारतीय समाज और हिंदू धर्म के खिलाफ जो अत्याचार किए, उसे कभी भी आदर्श के रूप में प्रस्तुत नहीं किया जा सकता. आलोक कुमार ने कहा कि औरंगजेब के खिलाफ आंदोलन जारी रहेगा. यह आंदोलन संविधान और कानून के दायरे में रहकर चलाया जाएगा. उन्होंने कहा कि भारतीय समाज में राम और कृष्ण के मूल्यों का महिमामंडन होना चाहिए.
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