RSS ने 5 मार्च को टाला रूट मार्च, अब 17 मार्च को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई

जस्टिस वी रामासुब्रमण्यम ने रोहतगी से कहा- यहां सत्ता और लोकतंत्र का मुद्दा है. सत्ता भ्रष्ट करती है, पूर्ण शक्ति पूरी तरह से भ्रष्ट करती है.  पता नहीं इस मामले में हम कह सकते हैं या नहीं .  एक लोकतंत्र की भाषा है और एक सत्ता की भाषा है.  आप कौन-सी भाषा बोलते हैं यह इस बात पर निर्भर करता है कि आप कहां हैं.

RSS ने 5 मार्च को टाला रूट मार्च, अब 17 मार्च को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई

तमिलनाडु में RSS रूट मार्च के खिलाफ याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. RSS पांच मार्च को तमिलनाडु में  रूट मार्च टालने को सहमत हुआ.  तमिलनाडु सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से समय मांग  कि वो इस मामले में कोई समाधान निकालेंगे कि किन शर्तों पर रूट मार्च की इजाजत दी जाए.  साथ ही वो RSS से रूट मार्च तो लेकर बातचीत भी करेंगे.  RSS ने सहमति जताई  कि उनको कोई परेशानी नहीं है.  सुप्रीम कोर्ट अब 17 मार्च को इस मामले में सुनवाई करेगा. सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार की याचिका पर सुनवाई की.

जस्टिस वी रामासुब्रमण्यम ने रोहतगी से कहा- यहां सत्ता और लोकतंत्र का मुद्दा है. सत्ता भ्रष्ट करती है, पूर्ण शक्ति पूरी तरह से भ्रष्ट करती है.  पता नहीं इस मामले में हम कह सकते हैं या नहीं .  एक लोकतंत्र की भाषा है और एक सत्ता की भाषा है.  आप कौन-सी भाषा बोलते हैं यह इस बात पर निर्भर करता है कि आप कहां हैं.

तमिलनाडु सरकार की ओर से पेश मुकुल रोहतगी ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि  राज्य सरकार  6 जिलों में मार्च को इजाजत नहीं दे सकती. हम रूट मार्च के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन ये हर मोहल्ले, हर गली में नहीं हो सकता,  कुछ जिलों को हम कानून और व्यवस्था, सार्वजनिक शांति के आधार पर अनुमति नहीं दे सकते. कोयंबटूर जैसे जिले हैं. कुल मिलाकर रूट मार्च को लेकर कोई समस्या नहीं हैं,  लेकिन सभी जिलों में नहीं.  सितंबर 2022 में पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया पर प्रतिबंध के मद्देनजर दिक्कत है. पांच या छह जिलों में जहां से प्रस्तावित मार्च गुजरेगा, पीएफआई मजबूत है और वहां सांप्रदायिक झड़पें हो सकती है.  इन इलाकों में PFI व बम ब्लास्ट आदि का खतरा है. मद्रास हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने इजाजत नहीं दी थी, लेकिन डिवीजन बेंच ने इसकी इजाजत दे दी. ॉ

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आरएसएस की ओर से महेश जेठमलानी ने विरोध किया, जिन इलाको का जिक्र राज्य सरकार कर रही है पहले भी हमने वहां जुलूस निकाला है. तमिलनाडु सरकार ने कहा, हमारे पास इंटेलिजेंस की रिपोर्ट है, बॉर्डर से सटे कुछ संवेदनशील इलाके है वहां पर मार्च नहीं निकालने की बात कही है. उदाहरण के लिए कोयंबटूर में बम ब्लास्ट हो सकते हैं.  PFI को प्रतिबंधित किया गया है. तमिलनाडु सरकार ने RSS को मार्चनिकालने की अनुमति देने के मद्रास हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है. तमिलनाडु सरकार ने अपनी याचिका में कहा है कि आरएसएस के मार्च से राज्य में कानून व्यवस्था की स्थिति बिगड़ सकती है. राज्य सरकार ने हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगाने की मांग की है. हाईकोर्ट ने अनुमति देते हुए कहा था लोकतंत्र की बेहतरी के लिए विरोध भी जरूरी है.  आजादी के 75 साल पूरे होने पर आरएसएस राज्य भर में एक निश्चित तारीख को एक मार्च निकालना चाहता था जिस पर मद्रास हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने 4 नवंबर 2022 को रोक लगा दी थी. आरएसएस ने कोर्ट में ये भी कहा था कि प्रशासन को कहा जाए कि गणवेश पहने स्वयंसेवकों को अलग अलग रूट पर मार्च करने की अनुमति मिले .