केरल में आयोजित तीन-दिवसीय 'अखिल भारतीय समन्वय बैठक' के बाद शनिवार को कई संदेश निकलकर आए. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) से प्रेरित' 32 संगठनों के राष्ट्रीय स्तर की मीटिंग से जातिगत जनगणना को लेकर बड़ा बयान सामने आया. आरएसएस के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर ने कहा कि आरएसएस को विशेष समुदायों या जातियों के आंकड़े एकत्र करने पर कोई आपत्ति नहीं है, बशर्ते इस जानकारी का उपयोग उनके कल्याण के लिए हो, ना कि चुनावी लाभ के लिए राजनीतिक औजार के रूप में इसका इस्तेमाल किया जाए.
कांग्रेस देश में जातिगत जनगणना की मांग कर रही है. इस पर बीजेपी खामोश है और अब आरएसएस ने इसको लेकर लाइन खींच दी है.
सुनील आंबेकर ने कहा कि जाति और जाति-संबंध हिंदू समाज के लिए एक बहुत संवेदनशील मुद्दा है और ये हमारी राष्ट्रीय एकता और अखंडता के लिए भी अहम है. इससे बहुत गंभीरता से निपटा जाना चाहिए.
आंबेकर ने कहा, "लेकिन ये केवल उन समुदायों और जातियों के कल्याण के लिए होना चाहिए. इसे चुनाव प्रचार के लिए एक राजनीतिक औजार के रूप में इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए. इसलिए हमने सभी के लिए एक लक्ष्मण रेखा तय की है."
आंबेकर का बयान विपक्षी दलों कांग्रेस, समाजवादी पार्टी और ‘इंडिया' गठबंधन के अन्य सहयोगी दलों द्वारा प्रभावी नीति निर्माण के लिए जाति आधारित जनगणना कराने की मांग को लेकर अभियान चलाने के बीच आया है.
संघ ने ये भी कहा कि एससी/एसटी के उपवर्गीकरण का सुप्रीम कोर्ट का फैसला आम राय बनाकर लागू होना चाहिए. हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने एससी/एसटी आरक्षण में उपवर्गीकरण का फैसला दिया है. हालांकि इसमें दिए गए क्रीमी लेयर के सुझाव को केंद्र सरकार ने खारिज कर दिया है.
पश्चिम बंगाल में राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग से सहमत नहीं दिखा संघ
समन्वय बैठक में महिला सुरक्षा के मुद्दे पर भी चिंता व्यक्त की गई. कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज में प्रशिक्षु महिला डॉक्टर के साथ बलात्कार और हत्या तथा अन्य राज्यों में भी आए ऐसे मामलों को लेकर विस्तार से चर्चा हुई. संघ ने पांच स्तरों पर काम करने की जरूरत बताई. कानूनी तौर पर, समाज में जागरुकता, परिवार में संस्कार देना, औपचारिक और अनौपचारिक शिक्षा तथा आत्मरक्षा. हालांकि पश्चिम बंगाल की ममता सरकार को बर्खास्त कर राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग से संघ सहमत नहीं दिखा.
आरएसएस प्रवक्ता सुनील आंबेकर ने कहा कि ये सरकार को फैसला करना है, लेकिन इस दौर में किसी भी सरकार को अस्थिर करना लोकतांत्रिक रूप से ठीक नहीं है, लेकिन किसी भी लोकतांत्रिक सरकार को लोग कानून के हिसाब से शासन चलाने को कहेंगे.
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'अखिल भारतीय समन्वय बैठक' के अहम बिन्दू :
- जातीय जनगणना पर संघ ने कहा- सरकार को कल्याणकारी योजनाओं के लिए नंबर चाहिए होते हैं, लेकिन इसे राजनीति के लिए प्रयोग नहीं करना चाहिए.
- कोलकाता डॉक्टर रेप-हत्या पर कहा- महिला सुरक्षा चिन्ता का विषय है, लेकिन सरकार को अस्थिर करना लोकतांत्रिक रूप से ठीक नही हैं. लोकतंत्र में कानून के हिसाब से शासन चले.
- SC/ST आरक्षण में वर्गीकरण के मुद्दे पर कहा- संवैधानिक आरक्षण बहुत महत्वपूर्ण, आम राय से कदम उठाने की जरूरत पर जोर दिया.
- तीन दिन की बैठक में मणिपुर पर भी चर्चा हुई. संघ ने कहा कि हमने पहले भी अपनी चिंता व्यक्त की है. उम्मीद जताई कि समस्या का हल जल्द ही निकले.
- वक्फ के मुद्दे पर संघ ने कहा- वक्फ बोर्ड के कामकाज को लेकर कई शिकायतों का सरकार ने संज्ञान लिया है और संघ के विभिन्न संगठन भी जेपीसी में बात रखेंगे.
- UCC पर कहा- उत्तराखंड मॉडल पब्लिक डोमेन में है. जनता इसे अनुभव करे, फिर चर्चा करेंगे.
- बैठक में बांग्लादेश पर भी चर्चा हुई. संघ ने कहा- बांग्लादेश सरकार से हमें एक्शन की उम्मीद है. हिंदुओं और अल्पसंख्यकों की सुरक्षा पर चिंता जताई.
तीन दिनों की इस बैठक में बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा भी मौजूद रहे. लोकसभा चुनाव के दौरान एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा था कि बीजेपी को पहले संघ की जरूरत पड़ती थी, अब वो सक्षम है और अपने आप को चलाती है. हालांकि इन तीन दिनों में संघ से वैचारिक रूप से जुड़े सभी संगठनों में बेहतर तालमेल पर जोर दिया गया.
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