एक साल के भीतर रोहिंग्या और बांग्लादेशी घुसपैठियों सहित सभी अवैध प्रवासियों को वापस भेजने की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर केंद्र सरकार इस मामले में जवाब दाखिल करती है तो वो सुनवाई को तैयार हैं. चीफ़ जस्टिस एन वी रमना ने कहा कि केंद्र का जवाब दाखिल होने पर वो सुनवाई की तारीख देंगे. दरअसल बीजेपी नेता अश्विनी उपाध्याय ने पिछले साल जनहित याचिका दाखिल की थी. जिसमें केंद्र और सभी राज्यों को एक साल के भीतर रोहिंग्या और बांग्लादेशी घुसपैठियों सहित सभी अवैध प्रवासियों का पता लगाने, हिरासत में लेने और निर्वासित करने का निर्देश देने की मांग की थी.
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उपाध्याय ने अदालत को बताया कि एक साल से अधिक समय पहले 27 मार्च, 2021 को नोटिस जारी किया गया था. लेकिन उसके बाद मामले में कोई प्रगति नहीं हुई. अश्विनी उपाध्याय ने दलील देते हुए कहा करोड़ों लोगों के रोज़गार पर घुसपैठियों का कब्ज़ा है. CJI ने मामले में कहा कि केंद्र का जवाब दाखिल होने के बाद मामला सुनवाई के लिए लगाया जाएगा. शुरुआत में CJI उपाध्याय के जल्द सुनवाई करने के आग्रह को मानने के इच्छुक नहीं थे. उन्होंने कहा हर दिन हमें केवल आपके मामले की सुनवाई करनी होती है. फिर यहां निर्वाचित प्रतिनिधि क्यों हैं? किस लिए? सरकार के पास जाइए.
वहीं उपाध्याय ने कहा 5 करोड़ रोहिंग्या अवैध रूप से भारत में रह रहे हैं और आवास योजनाओं सहित नागरिकों के हक वाले लाभ ले रहे हैं. इसी दौरान CJI ने SG तुषार मेहता जो किसी अन्य मामले के सिलसिले में अदालत में मौजूद थे. उनसे कहा कि यह मामला क्या है? यदि आप जवाब के साथ तैयार हैं तो हम मामले को सूचीबद्ध करेंगे.
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