सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को केंद्र के टॉप लॉ ऑफिसर को निर्देश दिया कि वह जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा से बात करें और पता लगाएं कि केंद्र शासित प्रदेश के शिक्षा विभाग के एक लेक्चरर को अनुच्छेद 370 को खत्म करने के खिलाफ बहस करने के लिए अदालत में पेश होने के कुछ दिनों बाद निलंबित क्यों किया गया? क्या ये निलंबन अदालत के समक्ष उपस्थिति से जुड़ा था. इस निलंबन को कपिल सिब्बल अदालत के संज्ञान में लाए. उन्होंने कहा कि वे यहां आए और कुछ मिनटों के लिए बहस की... उन्हें 25 अगस्त को निलंबित कर दिया. उन्होंने दो दिन की छुट्टी ली थी और वो वापस चले गए थे... उन्हें निलंबित कर दिया गया.
370 मामले में दलीलें देने के कारण निलंबित हुए तो चिंता की बात
CJI डीवाई चंद्रचूड़ ने अटार्नी जनरल को मामले को देखने के लिए कहा है. CJI ने कहा कि अगर 370 मामले में दलीलें देने के कारण निलंबित हुए तो ये चिंता की बात. अगर किसी और कारण से कार्रवाई हुई तो अलग बात है. मुख्य न्यायाधीश ने अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी को इस मुद्दे को देखने के लिए कहा. "मिस्टर AG, देखिए क्या हुआ है. इस अदालत में पेश होने वाले किसी व्यक्ति को अब निलंबित कर दिया गया है... उपराज्यपाल से बात करें." पिछले सप्ताह बुधवार को सरकारी लेक्चरर जहूर अहमद भट मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ के नेतृत्व वाली सुप्रीम कोर्ट की पांच-न्यायाधीशों की संविधान पीठ के सामने पेश हुए थे.
अगर पेशी के चलते हुए तो यह प्रतिशोध : जस्टिस बीआर गवई
जस्टिस बीआर गवई ने कहा- अगर यह पेशी के चलते हुआ तो यह 'प्रतिशोध' हो सकता है. ऐसे में आज़ादी का क्या होगा? वहीं SG तुषार मेहता ने कहा कि यहां अफसर आए हुए हैं वो पता कर लेंगे.
पेशी के 2 दिन बाद ही कर दिया था निलंबित
दरअसल, प्रशासन ने श्रीनगर के एक सरकारी लेक्चरर जहूर अहमद भट को निलंबित कर दिया, जिन्होंने हाल ही में सुप्रीम कोर्ट में अनुच्छेद 370 के पक्ष में दलीलें पेश की थीं. इसके दो दिन बाद शुक्रवार को प्रशासन ने भट के निलंबन को "उनके आचरण की जांच लंबित रहने तक" घोषित किया. निलंबन जम्मू-कश्मीर सिविल सेवा विनियम, जम्मू-कश्मीर सरकार कर्मचारी (आचरण) नियम 1971 और जम्मू-कश्मीर अवकाश नियमों में उल्लिखित प्रावधानों के उल्लंघन पर आधारित है. जम्मू में स्कूल शिक्षा के संयुक्त निदेशक को जांच अधिकारी बनाया गया है.
कोर्ट में लेक्चरर ने कही थी ये बात
बता दें कि भट अदालत में स्वयं उपस्थित हुए थे और पांच मिनट तक बहस की. उन्होंने कोर्ट को बताया कि जम्मू-कश्मीर में छात्रों को राजनीति पढ़ाना अगस्त 2019 (जब केंद्र ने अनुच्छेद 370 को रद्द कर दिया) के बाद से और कठिन हो गया है, क्योंकि छात्र उनसे पूछते हैं कि क्या हम अभी भी एक लोकतंत्र हैं? भट ने तर्क दिया था कि जम्मू-कश्मीर ने विशेष राज्य का दर्जा खो दिया है और "भारतीय संविधान की नैतिकता का उल्लंघन करते हुए इसे दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित कर दिया है.
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