बिलकिस बानो के दोषियों की रिहाई मामले में दोषियों ने सुप्रीम कोर्ट में जवाब दाखिल किया है और समय से पहले रिहाई को जायज ठहराया है. सुप्रीम कोर्ट ने 9 सितंबर को सामाजिक कार्यकर्ता सुभाषिनी अली और टीएमसी सांसद मोहुआ मोइत्रा द्वारा बिलकिस बानो गैंगरेप मामले में 11 दोषियों की रिहाई को चुनौती देने वाली याचिका पर गुजरात सरकार को नोटिस जारी किया था. साथ ही 11 दोषियों से भी जवाब मांगा था.
सुप्रीम कोर्ट में दायर जवाब में दोषियों ने अपनी समयपूर्व रिहाई को यह कहते हुए उचित ठहराया है कि 1992 के नियम, जो बलात्कार, सामूहिक बलात्कार या हत्या के दोषियों की रिहाई पर रोक नहीं लगाते थे, गुजरात सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुसार ये नियम लागू किए गए थे. दोषियों ने याचिकाकर्ताओं- सामाजिक कार्यकर्ता सुभाषिनी अली और टीएमसी सांसद मोहुआ मोइत्रा के लोकस पर भी सवाल उठाया है कि आपराधिक मामलों में तीसरे पक्ष का कोई अधिकार नहीं है.
जवाब में कहा गया है कि न तो सरकार और न ही पीड़ित और न ही शिकायतकर्ता ने इस न्यायालय में याचिका दाखिल की है. अगर इस तरह के मामलों पर इस अदालत द्वारा विचार किया जाता है, तो कानून की एक व्यवस्थित स्थिति निश्चित रूप से कानून की एक अस्थिर स्थिति बन जाएगी.
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