- दिल्ली के चांदनी चौक में सोमवार शाम को हुए तेज धमाके ने इलाके को भयभीत और अफरातफरी में बदल दिया था.
- धमाके की आवाज कई किलोमीटर दूर तक सुनाई दी और आसपास की गाड़ियों में आग लगी तथा दुकानों के शीशे टूट गए थे.
- LNJP अस्पताल में घायल लोगों का इलाज चल रहा है जबकि कई परिवार अपने गुमशुदा और मृतक रिश्तेदारों की तलाश में हैं.
देश की राजधानी दिल्ली का चांदनी चौक जहां हर दिन जिंदगी अपने सबसे रौशन और रंगीन रूप में दिखती है. यहां के जायके, रौनक और धार्मिक एकता और सद्भाव की तस्वीर दुनिया भर में मिसाल मानी जाती है. सोमवार की शाम भी कुछ अलग नहीं थी. गौरीशंकर मंदिर में आरती की घंटियां गूंज रही थीं, शीशगंज गुरुद्वारे से शबद सुनाई दे रही थी और पास ही सुनहरी मस्जिद से अजान की आवाज पूरे माहौल में घुली हुई थी.
रौशन गलियां अफरातफरी में बदल गईं
ठीक इन्हीं लम्हों में जैन मंदिर के पास की सड़क, मेट्रो स्टेशन के गेट के नजदीक और लाल किला के ठीक सामने, एक जबरदस्त धमाके की आवाज सुनाई दी. शाम 6 बजकर 52 मिनट पर हुए इस धमाके ने पूरे इलाके को दहला दिया. धमाका इतना तेज़ था कि उसकी गूंज कई किलोमीटर तक सुनाई दी. कुछ ही सेकंड में हजारों लोगों की भीड़, रंगीन बाजार और रौशन गलियां अफरातफरी में बदल गईं. गाड़ियों में आग लगी थी, दुकानों के शीशे टूट चुके थे और जमीन पर इंसानी मांस के टुकड़े बिखरे पड़े थे. लोग अपनी जान बचाने को भाग रहे थे, घायल लोग चीख पुकार रहे थे और पूरा इलाका सायरनों, रोने और चिल्लाने की आवाज़ों में डूब गया.

अस्पताल के पीछे मोर्चरी के पास सन्नाटा
कुछ ही देर में मीडिया टीमें, पुलिस और राहतकर्मी मौके पर पहुंचे. कैमरों के सामने यह मंजर किसी भयावह सपने जैसा था. अगली सुबह मैं LNJP अस्पताल पहुंची - जहां धमाके में घायल लोग भर्ती थे. कुछ जिंदगी से जूझ रहे थे. कुछ ने हमेशा के लिए हार मान ली थी. अस्पताल के पीछे मोर्चरी के पास सन्नाटा पसरा था. कुछ परिवार वहां अपने गुमशुदा अपनों की तलाश में खड़े थे, तो कुछ टूट चुके थे अपने प्रियजनों की पहचान के इंतज़ार में.
'क्या जुम्मन का पता चला...'
वहीं, मेरी मुलाकात हुई इदरीस से. थके, डरे और परेशान चेहरे वाले इदरीस बार-बार अपने भतीजे के बारे में पूछ रहे थे, “क्या जुम्मन का पता चला?” जुम्मन, 32 साल का ई-रिक्शा चालक, रोज की तरह शाम को घर से निकला था. लेकिन धमाके के बाद से उसका कोई पता नहीं चला. “उसकी ई-रिक्शा में GPS लगा था. रात साढ़े नौ तक वो चलता रहा, फिर बंद हो गया,” इदरीस ने बताया. “उसकी तीन छोटी औलादें हैं और एक दिव्यांग पत्नी. अब हम सिर्फ दुआ कर रहे हैं कि वो जिंदा हो.”

इदरीस ने आगे बताया कि वो पहले घटनास्थल पहुंचे, लेकिन पुलिस ने कहा- “अस्पताल जाकर देखिए, शायद घायलों में हो.” अस्पताल में भी जब कुछ पता नहीं चला, तो उन्होंने थाने जाकर शिकायत दर्ज कराई. “अब हम लगातार तलाश करते हुए यहां तक पहुंचे हैं. उनकी आंखों में अब भी उम्मीद और थकान दोनों साफ झलक रही थीं.
घर में शादी की तैयारी, सफेद कफन में लिपटा उसका शव
वहीं, एक और परिवार था, जिसकी दुनिया कुछ घंटों में उजड़ चुकी थी. पवन साहनी, 22 साल के ओला कैब ड्राइवर, जो धमाके के वक्त उसी रास्ते से गुज़र रहे थे. परिवार की तैयारियां चल रही थीं. उसकी शादी के लिए. लेकिन अब घर में सिर्फ मातम है. मोर्चरी के बाहर खड़ी एंबुलेंस में सफेद कफन में लिपटा उसका शव रखा था.

अस्पताल के इमरजेंसी वॉर्ड के बाहर सुरक्षा कड़ी थी. किसी को भी अंदर जाने की इजाजत नहीं थी. ड्यूटी पर मौजूद एक डॉक्टर ने नाम न छापने की शर्त पर बताया - “करीब 22 से ज़्यादा लोगों का इलाज यहां चल रहा है. कुछ की हालत काफ़ी गंभीर है.”

इमरजेंसी में जयवीर नाम के एक शख्स से बात हुई- वो भी धमाके में घायल हुए थे. पेशे से कार पार्किंग में काम करने वाले जयवीर ने बताया, “जहां ब्लास्ट हुआ, वहां से कुछ ही मीटर दूर था. कांच के टुकड़े गले और बाजू में धंस गए. टांके लगे, लेकिन डर अब भी है कि कोई टुकड़ा अंदर न रह गया हो इसलिए यहां डॉक्टर को दिखाने आए हैं."
रिपोर्टिंग के दौरान कई बार ऐसे पल आते हैं जो सिर्फ़ नोटबुक या कैमरे में नहीं, दिल में दर्ज हो जाते हैं. ये मंज़र कुछ ऐसा ही था.
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