कलकत्ता विश्वविद्यालय की कुलपति की पुन: नियुक्ति रद्द करने के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट की मुहर लग गई है. सुप्रीम कोर्ट ने पुनर्नियुक्ति को रद्द करने के कलकत्ता हाईकोर्ट के फैसले को बरकरार रखा. कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार, विश्वविद्यालय के कुलपति की नियुक्ति राज्यपाल से अनुमति लेने के प्रावधान को दरकिनार नहीं कर सकती है. 17 सितंबर को कलकत्ता विश्वविद्यालय की कुलपति की पुन: नियुक्ति को रद्द करने वाले कलकत्ता हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ पश्चिम बंगाल सरकार की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस हिमा कोहली की पीठ ने ये सुनवाई की थी.
13 सितंबर को, कलकत्ता हाईकोर्ट ने कलकत्ता विश्वविद्यालय की कुलपति के रूप में सोनाली चक्रवर्ती बनर्जी की पुन: नियुक्ति को यह कहते हुए रद्द कर दिया कि पश्चिम बंगाल सरकार को विश्वविद्यालय के अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार ऐसा करने का कोई अधिकार नहीं है. हाईकोर्ट ने आदेश दिया था कि राज्य को कलकत्ता विश्वविद्यालय अधिनियम का सहारा लेकर कुलपति की नियुक्ति या पुनर्नियुक्ति करने का कोई अधिकार नहीं है.
सोनाली चक्रवर्ती बनर्जी को 28 अगस्त, 2017 को चार साल के लिए कलकत्ता विश्वविद्यालय का कुलपति नियुक्त किया गया था और उनका कार्यकाल 27 अगस्त, 2021 को समाप्त हो गया था. इसके बाद, पश्चिम बंगाल सरकार के उच्च शिक्षा विभाग के विशेष सचिव के हस्ताक्षर के तहत एक अधिसूचना जारी की गई थी. जिसमें बनर्जी को 28 अगस्त, 2021 से चार साल के लिए कलकत्ता विश्वविद्यालय के कुलपति के रूप में फिर से नियुक्त किया गया.
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