विज्ञापन
This Article is From Sep 06, 2019

अब न्यूज चैनलों के पास सिर्फ जिम जाने वाले और चॉकलेटी चेहरे वाले एंकर हैं, रिपोर्टर नहीं : रवीश कुमार

इससे पहले रवीश कुमार (Ravish kumar) ने अपने संबोधन में कहा, 'दो महीने पहले जब मैं 'Prime Time' की तैयारी में डूबा था, तभी सेलफोन पर फोन आया. कॉलर आईडी पर फिलीपीन्स फ्लैश कर रहा था. मुझे लगा कि किसी ट्रोल ने फोन किया है.

अब न्यूज चैनलों के पास सिर्फ जिम जाने वाले और चॉकलेटी चेहरे वाले एंकर हैं, रिपोर्टर नहीं : रवीश कुमार
रैमॉन मैगसेसे के मंच पर रवीश कुमार
नई दिल्ली:

रेमॉन मैगसेसे के मंच से स्पीच देने के बाद सवाल-जवाब सेशन में  रवीश कुमार (Ravish kumar)  ने मौजूदा पत्रकारिता के स्वरूप पर भी चिंता जताई उन्होंने कहा कि आज न्यूज चैनलों से रिपोर्टर खत्म किए गए जा चुके हैं और अब कोई भी इन्विस्टिगेट करके खबर निकालने वाला नहीं है. रवीश कुमार ने कहा कि अब न्यूज चैनलों के पास जिम जाने वाले और चॉकलेटी चेहरे वाले एंकर बचे हैं जो कार्यक्रम के दौरान अपनी 'मसल पावर' दिखाते हैं. उन्होंने कहा कि आपको बता दें कि 9 सितंबर को रवीश को इस सम्मान से नवाज़ा जाएगा. समाज के वंचित तबके की आवाज़ उठाने के लिए रवीश कुमार को रैमॉन मैगसेसे सम्मान से सम्मानित किया जा रहा है. अमूमन सामाजिक कार्यों के लिए दिए जाने वाला ये पुरस्कार रवीश की सामाजिक पत्रकारिता को रेखांकित करता है. इस पुरस्कार से नवाज़े जाने वाले रवीश पहले हिंदी पत्रकार हैं. बहुत नीचे से उन्होंने अपने सफ़र की शुरुआत की और यहां तक पहुंचे हैं. 1996 से रवीश कुमार NDTV से जुड़े रहे हैं. शुरुआती दिनों में NDTV में आई चिट्ठियां छांटने का काम करते थे. 

इससे पहले रवीश कुमार ने अपने संबोधन में कहा, 'दो महीने पहले जब मैं 'Prime Time' की तैयारी में डूबा था, तभी सेलफोन पर फोन आया. कॉलर आईडी पर फिलीपीन्स फ्लैश कर रहा था. मुझे लगा कि किसी ट्रोल ने फोन किया है. यहां के नंबर से मुझे बहुत ट्रोल किया जाता है. अगर वाकई वे सारे ट्रोल यहीं रहते हैं, तो उनका भी स्वागत है, मैं आ गया हूं'. ख़ैर, फिलीपीन्स के नंबर को उठाने से पहले अपने सहयोगियों से कहा कि ट्रोल की भाषा सुनाता हूं. मैंने फोन को स्पीकर फोन पर ऑन किया, लेकिन अच्छी-सी अंग्रेज़ी में एक महिला की आवाज़ थी, "May I please speak to Mr Ravish Kumar...?" हज़ारों ट्रोल में एक भी महिला की आवाज़ नहीं थी'. 

रवीश कुमार ने आगे कहा, 'मैंने फोन को स्पीकर फोन से हटा लिया. उस तरफ से आ रही आवाज़ मुझसे पूछ रही थी कि मुझे इस साल का रैमॉन मैगसेसे पुरस्कार दिया जा रहा है. मैं नहीं आया हूं, मेरी साथ पूरी हिन्दी पत्रकारिता आई है, जिसकी हालत इन दिनों बहुत शर्मनाक है. गणेश शंकर विद्यार्थी और पीर मूनिस मोहम्मद की साहस वाली पत्रकारिता आज डरी-डरी-सी है. उसमें कोई दम नहीं है. अब मैं अपने विषय पर आता हूं'. 

मैं सबका हूं, मुझे भारत के नागरिकों ने बनाया है : मैगसेसे स्पीच में रवीश कुमार​

अन्य खबरें :

सोशल मीडिया का इस्तेमाल बंद कर देंगी, तो सवाल कौन पूछेगा? रवीश कुमार ने दिया ये जवाब

रैमॉन मैगसेसे पुरस्कार : रवीश कुमार ने कहा- पीएम मोदी का बधाई न देना भी बधाई है, कोई बात नहीं

मैं रोजाना 2000 से 5000 शब्द लिखता हूं क्योंकि यह मेरे माइंडसेट को क्लियर रखता है: रवीश कुमार

नागरिकों को दो भागों में बांट दिया गया है, राष्ट्रवादी और राष्ट्रद्रोही : रवीश कुमार

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
डार्क मोड/लाइट मोड पर जाएं
Previous Article
जम्‍मू-कश्‍मीर विधानसभा चुनाव : पहले चरण में किस पार्टी में कितने करोड़पति उम्‍मीदवार? जानिए कितनी है औसत संपत्ति
अब न्यूज चैनलों के पास सिर्फ जिम जाने वाले और चॉकलेटी चेहरे वाले एंकर हैं, रिपोर्टर नहीं : रवीश कुमार
कंगना रनौत को 'इमरजेंसी' पर राहत नहीं, 6 सितंबर को फिल्म नहीं होगी रिलीज
Next Article
कंगना रनौत को 'इमरजेंसी' पर राहत नहीं, 6 सितंबर को फिल्म नहीं होगी रिलीज
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com