- जगद्गुरु रामभद्राचार्य ने अपने बचपन, शिक्षा और राम मंदिर आंदोलन में अपनी भूमिका के बारे में बताया
- उन्होंने कहा कि आरक्षण केवल आर्थिक आधार पर होना चाहिए और जाति आधारित आरक्षण राष्ट्र के लिए हानिकारक है
- रामभद्राचार्य ने शास्त्रों का ज्ञान न रखने वालों को ही असली दृष्टिहीन बताया और आधुनिक कथावाचन की आलोचना की
एनडीटीवी के विशेष शो में जगद्गुरु रामभद्राचार्य ने बेबाक अंदाज में तमाम मुद्दों पर अपनी राय रखी. दृष्टिहीन होने के बावजूद संस्कृत और वेदों के प्रकांड विद्वान माने जाने वाले रामभद्राचार्य ने इंटरव्यू में अपने बचपन, शिक्षा, संन्यास की यात्रा से लेकर राम मंदिर आंदोलन में अपनी भूमिका तक कई अनकही बातें साझा कीं. उन्होंने खुलकर कहा कि आज कथावाचन विद्या विद्वानों के बजाय लोकप्रियता की होड़ में फंस चुकी है, आरक्षण केवल आर्थिक आधार पर होना चाहिए, मनुस्मृति भारत का शाश्वत संविधान है और हिंदू राष्ट्र के लिए संसद में बहुमत जरूरी है.
राम मंदिर आंदोलन में अपनी गवाही और पीओके की मुक्ति के संकल्प पर बोलते हुए उन्होंने पाकिस्तान के साथ क्रिकेट तक का विरोध किया. प्रेमानंद जी की लोकप्रियता पर भी उन्होंने चुप्पी नहीं साधी और कहा कि चमत्कार वही है जो शास्त्रों में पारंगत हो. गांधी जी की गलतियों से लेकर आज के शंकराचार्यों की योग्यता और राजनीति में धर्म की भूमिका तक, उन्होंने हर सवाल का सीधा और साफ जवाब दिया. उनके मुताबिक सफलता वही है जो निष्ठा और मर्यादा से अपने कर्म को निभाए, न कि भीड़ और प्रचार पर टिका हो.
उपाध्याय,चौबे, पाठक को लेकर क्या सफाई दी?
रामभद्राचार्य ने कहा कि उनके वक्तव्य को लोग गलत तरीके से पेश कर रहे हैं. दरअसल, उन्होंने यह कहा था कि पुराने समय में उपाध्याय, चौबे, पाठक आदि को निम्न श्रेणी में इसलिए रखा गया था क्योंकि वे विद्यार्थियों से धन लेकर पढ़ाते थे. उस समय शिक्षा को सेवा माना जाता था, व्यवसाय नहीं. इसलिए जो गुरु पैसे लेकर पढ़ाते थे, उन्हें शास्त्रों में अधम माना गया. उन्होंने साफ किया कि यह बात आज के संदर्भ में नहीं कही जानी चाहिए क्योंकि समय बदल चुका है, पर उस दौर में यही परंपरा थी.
जिसे शास्त्रों का ज्ञान नहीं,वही वास्तव में अंधा है: रामभद्राचार्य
एनडीटीवी से बात करते हुए उन्होंने कहा कि मेरा जन्म 14 जनवरी 1950 को जौनपुर जिले के सचिवम गांव में हुआ, जन्म के दो महीने बाद ही दृष्टिहीन हो गए थे. बचपन का नाम गिरधर मिश्रा था. उन्होंने बताया कि पा.च वर्ष की उम्र तक गीता और सात वर्ष की उम्र तक संपूर्ण रामायण उन्हें कंठस्थ हो गई थी. उन्होंने न ब्रेल सीखी, न ही किसी ब्लाइंड स्कूल में पढ़ाई की, बल्कि सामान्य विद्यालयों से शिक्षा प्राप्त की और हमेशा 99% से ऊपर अंक लाए. उनका कहना है कि “जिसके पास शास्त्रों का ज्ञान नहीं, वही वास्तव में अंधा है.”
राम मंदिर आंदोलन को लेकर क्या कहा?
रामभद्राचार्य ने बताया कि मैं शुरुआती पांच-छह लोगों में था जिन्होंने आंदोलन शुरू किया. उच्च न्यायालय और सुप्रीम कोर्ट में मैंने 441 प्रमाण दिए, जिनमें से 437 तत्काल स्वीकार हुए. मेरी गवाही ने न्यायिक निर्णय की दिशा बदली, हालांकि मैं श्रेय अकेले नहीं लेना चाहता. वहीं उन्होंने मथुरा के मुद्दे पर कहा कि मैं आंदोलन का हिस्सा नहीं बनूंगा, पर अदालत जब बुलाएगी तो शास्त्रीय साक्ष्य देने जरूर जाऊंगा.
जातिवाद और आरक्षण के मुद्दे पर रामभद्राचार्य ने क्या कहा?
रामभद्राचार्य ने कहा किचारों वर्ण पवित्र हैं, ऊ.च-नीच का भेद गलत है. आरक्षण केवल आर्थिक आधार पर होना चाहिए. प्रतिभा को दरकिनार कर आरक्षण देना राष्ट्र के लिए घातक है.
#NDTVExclusive | 'उपेंद्र द्विवेदी राम मंत्र की दीक्षा मुझसे लेकर गए..उन्होंने कहा, 'क्या दक्षिणा दूं मैं आपको, गुरुदेव?' मैने कहा, POK चाहिए'
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शंकराचार्यों और कथावाचकों पर भड़के रामभद्राचार्य
आज के अधिकांश शंकराचार्य पारंपरिक कसौटी पर खरे नहीं उतरते क्योंकि उन्होंने गीता, उपनिषद और ब्रह्मसूत्र पर भाष्य नहीं लिखा. कथावाचकों पर तो कहना चाहू.गा पहले सबसे विद्वान कथा कहता था, आज सबसे मूर्ख कथा कहता है.
प्रेमानंद जी को लेकर भी कह गए बड़ी बात
रामभद्राचार्य ने कहा कि प्रेमानंद जी महाराज से मैं द्वेष नहीं रखता, पर चमत्कार वही है जो शास्त्रों में पारंगत हो. भीड़ जुटा लेना या सेलिब्रिटीज का आना चमत्कार नहीं है, यह लोकप्रियता क्षणभंगुर है.
#NDTVExclusive | "मैं चैलेंज करता हूं, प्रेमानंद जी एक अक्षर मेरे सामने संस्कृत बोलकर दिखा दें"
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आजादी की लड़ाई में गांधी जी का योगदान सीमित था: रामभद्राचार्य
रामभद्राचार्य ने कहा कि गांधी जी का योगदान आजादी की लड़ाई में सीमित था. असली योगदान भगत सिंह, आज़ाद, सुभाष बोस जैसे क्रांतिकारियों का था. गांधी जी की गलतियों से ही देश का विभाजन हुआ.
#NDTVExclusive | "गांधी जी के ही कारण देश का विभाजन हुआ"
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हिंदू राष्ट्र के लिए संसद में बहुमत जरूरी: रामभद्राचार्य
रामभद्राचार्य ने कहा कि धर्म और राजनीति का संबंध पति-पत्नी जैसा है. हिंदू राष्ट्र के लिए संसद में बहुमत जरूरी है. दलितों और धर्मांतरण कर चुके लोगों को पुनः हिंदू धर्म में लाने की आवश्यकता है.
पाकिस्तान के साथ क्रिकेट नहीं होना चाहिए: रामभद्राचार्य
मैं हनुमान जी के यज्ञ द्वारा पीओके की मुक्ति के लिए प्रार्थना कर रहा हू.. जब तक विवाद हल न हो, पाकिस्तान के साथ क्रिकेट नहीं होना चाहिए.
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