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This Article is From Jul 31, 2020

रामविलास पासवान ने कहा-  बिहार में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून के तहत लाभार्थियों के साथ कोई भेदभाव नहीं

खाद्य मंत्री रामविलास पासवान ने बृहस्पतिवार को कहा कि बिहार में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (एनएफएसए) के तहत लाभार्थियों के साथ ‘‘कोई भेदभाव अथवा उनकी गलत पहचान’’ नहीं की गई है.

रामविलास पासवान ने कहा-  बिहार में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून के तहत लाभार्थियों के साथ कोई भेदभाव नहीं
रामविलास पासवान (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:

खाद्य मंत्री रामविलास पासवान ने बृहस्पतिवार को कहा कि बिहार में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (एनएफएसए) के तहत लाभार्थियों के साथ ‘‘कोई भेदभाव अथवा उनकी गलत पहचान'' नहीं की गई है. उन्होंने कहा कि वहां वास्तविक और जरूरतमंद व्यक्तियों की पहचान के लिए प्रयास किए जा रहे हैं. एनएफएसए के तहत बिहार में लगभग 8.71 करोड़ लाभार्थियों को लिया गया है जिनमें लगभग 25 लाख अंत्योदय अन्न योजना (एएवाई) वाले परिवार शामिल हैं. कानून के मुताबिक प्रत्येक लाभार्थी पांच किलोग्राम सब्सिडीयुक्त खाद्यान्न प़्राप्त करने का हकदार है.


पासवान ने एक बयान में कहा कि बिहार में एनएफएसए राशन कार्ड के मुद्दे के संदर्भ में लाभार्थियों की गलत पहचान की कुछ रिपोर्टें थीं. लेकिन, केंद्र सरकार स्पष्ट करती है कि खाद्य सुरक्षा कानून के तहत लाभार्थियों की पहचान कुछ मानदंडों के आधार पर की जाती है और यह जिम्मेदारी राज्य सरकारों की है. पासवान ने कहा, ‘‘बिहार में एनएफएसए लाभार्थियों के साथ कोई भेदभाव या गलत पहचान नहीं की गई है. मानदंडों के अनुसार लाभार्थियों की पहचान की प्रणाली सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में समान है.''


पासवान ने कहा कि मई में, बिहार सरकार ने उनके मंत्रालय (खाद्य मंत्रालय) से राज्य में पूरे के पूरे 8.71 करोड़ लाभार्थियों को लाभ मुहैया कराने के लिए मासिक खाद्यान्न आवंटन बढ़ाने का अनुरोध किया था जिस अनुरोध पर केंद्र ने तुरंत कार्रवाई की. हालांकि, हाल ही में, केंद्र ने राज्य सरकार से राज्य में लाभार्थियों के कवरेज पर एक रिपोर्ट देने के लिए कहा. पासवान ने आगे कहा कि राज्य ने बताया कि यह 15 लाख मौजूदा निष्क्रिय राशन कार्डों को हटाने की प्रक्रिया में था. इसके अलावा, राज्य ने पुष्टि की कि मौजूदा 1.41 करोड़ राशन कार्डों के अलावा लगभग 23.39 लाख नए राशन कार्ड जारी किए गए हैं.

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उन्होंने कहा, ‘‘राज्य ने यह भी बताया है कि जुलाई महीने के वितरण काम के पूरा होने के बाद एनएफएसए लाभार्थियों की सूची को अंतिम रूप दिया जा सकता है. राज्य ने बताया उसके पास सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत खाद्यान्न वितरण के लिए अपनी कोई योजना नहीं है.''पासवान ने कहा कि केंद्र सरकार एनएफएसए के तहत सालाना 55.24 लाख टन खाद्यान्न उपलब्ध करा रही है और लगभग 16,500 करोड़ रुपये का खाद्य सब्सिडी बिल का बोझ वहन कर रही है.

इस सब के ऊपर केंद्र सरकार अप्रैल-नवंबर 2020 की अवधि के लिए प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के तहत एनएफएसए लाभार्थियों को 34.8 लाख टन मुफ्त खाद्यान्न प्रदान कर रही है. इस पर लगभग 12,061 करोड़ रुपये का अतिरिक्त खाद्य सब्सिडी खर्च होगा. इसके अलावा आत्मनिर्भर भारत पैकेज के तहत दो महीने के लिये (87 लाख प्रवासियों को हर महीने वितरित करने के लिये) अतिरिकत 86,400 टन के करीब मुफ्त अनाज उपलब्ध कराया गया. इस पर भी करीब 322 करोड़ रुपये की सब्सिडी खर्च हुई है.

(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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