प्रतीकात्मक फोटो
नई दिल्ली:
राम जन्मभूमि मामले में सुप्रीम कोर्ट में मुस्लिम पक्ष की तरफ से बहस पूरी हो गई है. गुरुवार को हिन्दू पक्ष की तरफ से बहस होगी.
मुस्लिम पक्ष की तरफ से कहा गया कि हमने इस मामले में कोई भी बयान देने से खुद को अनुशासित किया है, लेकिन हिन्दू पक्ष की तरफ से ऐसा नहीं है. हिन्दू पक्ष की तरफ से लगातार बयानबाजी हो रही है. इस मामले में खुद को अनुशासित करने की जरूरत है.
मुस्लिम पक्ष कि तरफ से यह भी कहा गया कि हिन्दू पक्ष की तरफ से भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण (ASI) के सबूत होने की बात कही गई है लेकिन इस पर चर्चा तभी होगी जब यह तय होगा कि इस्माइल फारुखी के फैसले को संवैधानिक पीठ में समीक्षा के लिए भेजा जाए या नहीं.
यह भी पढ़ें : राम जन्मभूमि विवाद : एक पक्ष ने कहा मामला संवैधानिक पीठ में जाए, अन्य ने कहा जल्द निपटाएं
मुस्लिम पक्ष की तरफ से पेश हुए वकील राजीव धवन ने कहा कि इस मामले को लेकर अदालत के बाहर बयानबाज़ी बंद होनी चाहिए. एक-दूसरे के ऊपर कीचड़ उछालना बंद होना चाहिए. मुस्लिम पक्ष की तरफ से कहा गया कि इस मामले में बहुत ज्यादा प्रेशर है और ये संवेदनशील मामला है. इस मामले में पहले से कोई निर्णय कर लेना सही नहीं है.
VIDEO : अयोध्या मामले पर अंतिम बहस
सुप्रीम कोर्ट में अभी इस बात पर बहस हो रही है कि इस्माइल फारुखी के फैसले को संवैधानिक पीठ के समक्ष भेजा जाए या नहीं. इस फैसले में कोर्ट ने कहा था कि मस्जिद में नमाज़ पढ़ना इस्लाम का अभिन्न हिस्सा नहीं है.
मुस्लिम पक्ष की तरफ से कहा गया कि हमने इस मामले में कोई भी बयान देने से खुद को अनुशासित किया है, लेकिन हिन्दू पक्ष की तरफ से ऐसा नहीं है. हिन्दू पक्ष की तरफ से लगातार बयानबाजी हो रही है. इस मामले में खुद को अनुशासित करने की जरूरत है.
मुस्लिम पक्ष कि तरफ से यह भी कहा गया कि हिन्दू पक्ष की तरफ से भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण (ASI) के सबूत होने की बात कही गई है लेकिन इस पर चर्चा तभी होगी जब यह तय होगा कि इस्माइल फारुखी के फैसले को संवैधानिक पीठ में समीक्षा के लिए भेजा जाए या नहीं.
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मुस्लिम पक्ष की तरफ से पेश हुए वकील राजीव धवन ने कहा कि इस मामले को लेकर अदालत के बाहर बयानबाज़ी बंद होनी चाहिए. एक-दूसरे के ऊपर कीचड़ उछालना बंद होना चाहिए. मुस्लिम पक्ष की तरफ से कहा गया कि इस मामले में बहुत ज्यादा प्रेशर है और ये संवेदनशील मामला है. इस मामले में पहले से कोई निर्णय कर लेना सही नहीं है.
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सुप्रीम कोर्ट में अभी इस बात पर बहस हो रही है कि इस्माइल फारुखी के फैसले को संवैधानिक पीठ के समक्ष भेजा जाए या नहीं. इस फैसले में कोर्ट ने कहा था कि मस्जिद में नमाज़ पढ़ना इस्लाम का अभिन्न हिस्सा नहीं है.
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