विज्ञापन
This Article is From Mar 08, 2019

सुप्रीम कोर्ट का फैसला, अयोध्या विवाद हल होगा मध्यस्थता से, जस्टिस खलीफुल्ला की अध्यक्षता में होगी बातचीत

अयोध्या विवाद : मध्यस्थता समिति के अध्यक्ष जस्टिस खलीफुल्ला होंगे और पूरी प्रक्रिया गोपनीय रखी जाएगी. मध्यस्थों में श्री श्री रविशंकर (Sri Sri Ravi Shankar) भी शामिल होंगे. इसके अलावा वरिष्ठ वकील श्री राम पंचू होंगे. 

Ayodhya Mediation Case: अयोध्या पर फैसला सुप्रीम कोर्ट का फैसला

नई दिल्ली:

अयोध्या मामले (Ayodhya Case) पर मध्यस्थता को लेकर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने कहा है कि इस विवाद को मध्यस्थता और बातचीत के जरिए तय किया जाएग. मध्यस्थता समिति के अध्यक्ष जस्टिस खलीफुल्ला होंगे और पूरी प्रक्रिया गोपनीय रखी जाएगी. मध्यस्थों में श्री श्री रविशंकर (Sri Sri Ravi Shankar) भी शामिल होंगे. इसके अलावा वरिष्ठ वकील श्री राम पंचू होंगे. इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि इस मध्यस्थता की कार्रवाई पूरी तरह से गोपनीय रखी जाएगी और इसकी मीडिया रिपोर्टिंग नहीं की जाएगी. कोर्ट ने आदेश दिया है कि इस मामले में क्या प्रगति रही इसकी रिपोर्ट चार हफ्ते में दी जाए. इसके साथ ही मध्यस्थता के लिए बातचीत फैजाबाद में होगी. इससे पहले बुधवार को हुई सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने इस बात पर फैसला सुरक्षित रख लिया था कि अयोध्या विवाद को मध्यस्थ के पास भेजा जा सकता है या नहीं. प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने बुधवार को इस मुद्दे पर विभन्न पक्षों को सुना था. पीठ ने कहा था कि इस भूमि विवाद को मध्यस्थता के लिए सौंपने या नहीं सौंपने के बारे में बाद में आदेश दिया जायेगा. इस प्रकरण में निर्मोही अखाड़ा के अलावा अन्य हिन्दू संगठनों ने इस विवाद को मध्यस्थता के लिए भेजने के शीर्ष अदालत के सुझाव का विरोध किया था, जबकि मुस्लिम संगठनों ने इस विचार का समर्थन किया था. सुप्रीम कोर्ट ने विवादास्पद 2.77 एकड़ भूमि तीन पक्षकारों-सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और रामलला के बीच बराबर-बराबर बांटने के इलाहाबाद हाईकोर्ट के 2010 के फैसले के खिलाफ दायर 14 अपील पर सुनवाई के दौरान मध्यस्थता के माध्यम से विवाद सुलझाने की संभावना तलाशने का सुझाव दिया था.

Ayodhya Case : ये हैं वे तीन मध्यस्थ, जो सुलझाएंगे अयोध्या में मंदिर-मस्जिद विवाद

बता दें कि दीवानी प्रक्रिया संहिता की धारा 89 के तहत कोर्ट अयोध्या केस (Ayodhya Case) में ज़मीनी विवाद को अदालत के बाहर आपसी सहमति से सुलझाने को कह सकता है. कानून के जानकारों के अनुसार जमीनी विवाद को सुलझाने के लिए सभी पक्षों की सहमति जरूरी है, अगर कोई पक्ष इस समझौते से तैयार नहीं होता तो अदालत लंबित याचिका पर सुनवाई करेगा.

यह भी पढ़ें: जो बाबर ने किया, वह अब बदल नहीं सकते: पढ़ें अयोध्या मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने क्या-क्या कहा

कब-कब हुई आपसी से मामले को सुलझाने की कोशिश

1993-94 में केंद्र सरकार ने किया प्रयास
अखिल भारत हिन्दू महासभा के वकील हरि शंकर जैन मुताबिक़ अयोध्या केस (Ayodhya Case) को अदालत के बाहर सुलझाने के कई बार प्रयास किए गए. 1994 में केंद्र सरकार ने इस मामले में पहल करते हुए सभी पक्षों को आपसी सहमति से विवाद को सुलझाने को कहा था. हरि शंकर जैन के मुताबिक उस समय बातचीत के कई दौर चले, लेकिन सहमति नहीं बन पाई थी. 

यह भी पढ़ें: अयोध्या मामले में मध्यस्थता पर SC ने सुरक्षित रखा फैसला, कहा- यह केवल जमीन विवाद नहीं, दिल, दिमाग और हीलिंग का मामला है

लखनऊ हाईकोर्ट ने भी किया था प्रयास
इसके बाद लखनऊ हाईकोर्ट ने इस मामले में आपसी सहमति से मामले को सुलझाने का प्रयास किया. हरि शंकर जैन के मुताबिक हाईकोर्ट ने सभी पक्षों को बुलाकर इस मामले को सुलझाने की कोशिश की, लेकिन वहां भी सहमति नहीं बन पाई.

रमेश चंद्र त्रिपाठी ने दायर की याचिका
इसी बीच रमेश चंद्र त्रिपाठी ने 2010 में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर दी. रमेश चन्द्र त्रिपाठी ने दीवानी प्रक्रिया संहिता की धारा 89 के तहत विवाद को आपसी सहमति से सुलझाने की मांग की, लेकिन उस समय भी आपसी सहमति से मामले का निपटारा नही हो पाया.

मार्च 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने की पहल
तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश जस्टिस जे एस खेहर ने कहा था कि ये मामला धर्म और आस्था से जुड़ा है और ये बेहतर होगा कि इसको दोनों पक्ष आपसी बातचीत से सुलझाएं. जस्टिस खेहर ने कहा था मुद्दा कोर्ट के बाहर हल किया जाए तो बेहतर होगा. अगर ऐसा कोई हल ढूंढने में वे नाकाम रहे तो कोर्ट हस्तक्षेप करेगा. जस्टिस खेहर ने ये तब कहा था जब बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने अपनी अर्जी पर जल्द सुनवाई की मांग की थी. हालांकि बाद में कोर्ट को ये बताया गया कि स्वामी इस मामले में मुख्य पक्षकार नहीं है. उसके बाद कोर्ट ने कहा था कि अगर कोई पक्ष आपसी समझौते से विवाद को हल करने के लिए आएगा तो वो पहल करेंगे.

यह भी पढ़ें: क्या आपसी समझौते से सुलझेगा अयोध्या विवाद ?

शिया वक़्फ़ बोर्ड ने दाखिल किया हलफनामा
शिया वक़्फ़ बोर्ड ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर कहा कि विवादित जमीन पर वह अपना दावा छोड़ने के लिए तैयार है और वो चाहते हैं कि विवादित जमीन पर राममंदिर बने. हालांकि उन्होंने अपने हलफनामे में ये भी कहा कि लखनऊ के शिया बहुल इलाके में उन्हें मस्जिद बनाने की जगह दी जाए. इस हलफ़नामे का बाबरी मस्जिद ऐक्शन कमिटी 
ने विरोध किया था और कहा था शिया वक़्फ़ बोर्ड इस मामले में मुख्य पक्षकार नहीं है और कानून की नजर में उनके हलफ़नामे की कोई अहमियत नहीं है.

यह भी पढ़ें: अयोध्या विवादः सुप्रीम कोर्ट अपनी निगरानी में मध्यस्थता के जरिए चाहता है समझौता

अक्टूबर 2017 श्रीश्री रविशंकर ने की पहल
अक्टूबर 2017 आध्यात्मिक गुरु श्रीश्री रविशंकर ने भी विवाद को आपसी सहमति से हल करने के लिए प्रयास किये. इस संबंध में श्रीश्री रविशंकर ने सभी पक्षों से मुलाकात की, लेकिन बात नहीं बन पाई.

VIDEO: राम जन्मभूमि को लेकर मध्यस्थता पर फैसला सुरक्षित

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
Supreme Court, Ayodhya Title Case, Ram Janmabhoomi Controversy, Ayodhya, Ayodhya Mediation Case, Ram Temple Dispute, सुप्रीम कोर्ट, राम जन्मभूमि विवाद, अयोध्या, मध्यस्थता, राम मंदिर विवाद, Oogle News, Breaking News, India, Vishva Hindu Parishad, Ranjan Gogoi, Nirmohi Akhara, Hindu, All India Muslim Personal Law Board
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com