
- राजस्थान के कोटा में दशहरा पर 233 फुट ऊंचे रावण के पुतले के दहन से विश्व रिकॉर्ड स्थापित किया गया.
- कोटा के सांसद ओम बिरला और मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने 132वें राष्ट्रीय दशहरा मेले का भव्य उद्घाटन किया.
- रावण के साथ 60 फुट ऊंचे कुंभकर्ण और मेघनाद के पुतलों का भी दहन समारोह में किया गया.
राजस्थान के कोटा शहर ने दशहरा पर इतिहास रच दिया. इतिहास दुनिया के सबसे ऊंचे रावण के दहन का. ये रावण इतना ऊंचा था कि लोगों को उसका सिर मुश्किल से ही दिखाई दे रहा था. आसपास खड़े उसके भाई कुंभकरण और बेटे मेघनाद उसके सामने बेहद छोटे दिख रहे थे. कोटा ने रावण के 233 फुट ऊंचे पुतले का दहन कर 'विश्व रिकॉर्ड' बनाया गया. कोटा से तीन बार के सांसद एवं लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला तथा राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने यहां एक भव्य समारोह में 132वें राष्ट्रीय दशहरा मेले का उद्घाटन किया. इसके बाद, रावण के विशाल पुतले के साथ-साथ दोनों ओर 60 फुट ऊंचे कुंभकर्ण और मेघनाथ के पुतलों का दहन भी किया गया.
कोटा के पूर्व राजपरिवार के मुखिया इज्यराज सिंह द्वारा छोड़े गए तीर से पुतलों को आग लगाई गई. वह भगवान लक्ष्मीनारायण की शोभायात्रा का नेतृत्व करते हुए दशहरा मैदान पहुंचे थे. इससे पहले, दिल्ली में 2024 में रावण के 210 फुट ऊंचे पुतले के दहन का रिकॉर्ड है.

विशाल जनसमूह को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री शर्मा ने लोगों को विजयादशमी की शुभकामनाएं दीं और कहा कि यह अवसर अन्याय पर न्याय की जीत को दर्शाता है. शर्मा ने कहा, ‘‘ कोटा दशहरा हमारी सांस्कृतिक विरासत, धार्मिक मान्यताओं और परंपराओं का संगम है. रावण के 233 फुट ऊंचे पुतले ने इस साल एक नया रिकॉर्ड बनाया है. ''
अंबाला के कारीगर तेजेंद्र चौहान (58) ने अपनी 25 सदस्यीय टीम के साथ इस रावण, कुंभकर्ण और मेघनाथ के पुतलों को तैयार करने के लिए चार महीने तक काम किया था.
#WATCH | कोटा, राजस्थान: दशहरा के अवसर पर रावण का पुतला दहन किया गया। #VijayaDashmi pic.twitter.com/GuJDyYMRFg
— ANI_HindiNews (@AHindinews) October 2, 2025
जलाने में करनी पड़ी मेहनत
दशहरा मेले में शनिवार शाम को रावण, कुंभकरण और मेघनाद के पुतलों का दहन होना था. रावण के पुतले को खास तरह सजाया गया था. लेकिन जब सेंसर सिस्टम फेल हुआ, तो नगर निगम की अग्निशमन टीम को मेनुअल तरीके से मोर्चा संभालना पड़ा. हाइड्रोलिक क्रेन की मदद से रावण के पुतले के बाकी हिस्सों को जलाने की कोशिश की गई. इस दौरान हजारों लोग दशहरा मैदान में रावण दहन का इंतजार करते रहे. तकनीकी खामी ने आयोजन समिति को मुश्किल में डाल दिया, लेकिन टीम ने हार नहीं मानी और रावण को जलाया गया.
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