अन्नपूर्णा रसोई के लॉन्च के मौके पर सीएम वसुंधरा राजे
जयपुर:
तमिलनाडु में अम्मा कैंटीन की तर्ज पर अब राजस्थान ने भी गरीबों के लिए रसोई शरू की गयी है. यहां 5 रुपये में नास्ता और 8 रुपये में पूरा भोजन उपलब्ध कराया जाएगा. ये भोजन गाड़ी द्वारा वितरित किया जाएगा.
जगह जगह ये अन्नपूर्णा रसोई वाली गाड़ियां खड़ी मिलेंगी. यहां गाड़ियों में गरीब लोगों को गरम और सस्ता भोजन उपलब्ध करवाया जाएगा. 5 रुपये में नास्ता और 8 रुपये में भोजन की.
शुरुआत हुई है 12 ज़िलों में 80 गाड़ियों के साथ. अन्नपूर्णा रसोई की शुरुआत की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने. उन्होंने बाजरे की खिचड़ी, गट्टे की सब्ज़ी और लहसुन की चटनी दो गरीब महिलाओं के साथ खाई और योजना की शुरुआत की. उन्होंने कहा, 'गर्मागर्म खाना सबको मिलेगा, मैंने अभी चखा, खाना बहुत स्वादिष्ट है और मेनू में तीन चार चीज़ें हैं.'
अम्मा कैंटीन की सफलता के बाद राजस्थान मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को लगता है कि उनकी अन्नपूर्णा रसोई भी राजनीतिक रूप से फायदेमंद रहेगी. शायद इसलिए अन्नपूर्णा रसोई का ज़ोर है राजस्थानी व्यंजन पर. दाल बाटी, बाजरे की रोटी और मक्के की खिचड़ी जैसे आइटम मेनू में रखे गए हैं.
ये भोजन गरीबों के लिए रियायती दरों पर उपलब्ध करवाया जा रहा है. भोजन का ज्यादातर खर्च सरकार उठाएगी. शुरुआत में इसका खर्च 4 करोड़ रुपये आएगा. जब ये स्कीम पूरह तरह लागू हो जाएगी और 200 से अधिक रसोइयां क्रियान्वित हो जाएंगी तो सरकार पर करीब 50 करोड़ रुपये सालाना का भार आएगा.
जगह जगह ये अन्नपूर्णा रसोई वाली गाड़ियां खड़ी मिलेंगी. यहां गाड़ियों में गरीब लोगों को गरम और सस्ता भोजन उपलब्ध करवाया जाएगा. 5 रुपये में नास्ता और 8 रुपये में भोजन की.
शुरुआत हुई है 12 ज़िलों में 80 गाड़ियों के साथ. अन्नपूर्णा रसोई की शुरुआत की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने. उन्होंने बाजरे की खिचड़ी, गट्टे की सब्ज़ी और लहसुन की चटनी दो गरीब महिलाओं के साथ खाई और योजना की शुरुआत की. उन्होंने कहा, 'गर्मागर्म खाना सबको मिलेगा, मैंने अभी चखा, खाना बहुत स्वादिष्ट है और मेनू में तीन चार चीज़ें हैं.'
अम्मा कैंटीन की सफलता के बाद राजस्थान मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को लगता है कि उनकी अन्नपूर्णा रसोई भी राजनीतिक रूप से फायदेमंद रहेगी. शायद इसलिए अन्नपूर्णा रसोई का ज़ोर है राजस्थानी व्यंजन पर. दाल बाटी, बाजरे की रोटी और मक्के की खिचड़ी जैसे आइटम मेनू में रखे गए हैं.
ये भोजन गरीबों के लिए रियायती दरों पर उपलब्ध करवाया जा रहा है. भोजन का ज्यादातर खर्च सरकार उठाएगी. शुरुआत में इसका खर्च 4 करोड़ रुपये आएगा. जब ये स्कीम पूरह तरह लागू हो जाएगी और 200 से अधिक रसोइयां क्रियान्वित हो जाएंगी तो सरकार पर करीब 50 करोड़ रुपये सालाना का भार आएगा.
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