Rajasthan Election Results 2023 : राजस्थान में विधानसभा चुनाव (Rajasthan Assembly elections) में मतदाताओं ने हर पांच साल में सरकार बदलने का 'रिवाज' कायम रखते हुए 'राज' यानी सरकार को बदल दिया है. राज्य की 200 सीटों वाली विधानसभा में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा)को स्पष्ट बहुमत मिल गया है. विधानसभा की 199 सीटों पर हुए मतदान के वोटों की गिनती रविवार को हुई. इसमें भाजपा ने 115 सीटें जीतीं. कांग्रेस 69 सीटों पर सिमट गई. आठ निर्दलीय जीत चुके हैं, तीन सीटों पर भारत आदिवासी पार्टी के उम्मीदवार जीते हैं. दो सीटें बहुजन समाज पार्टी (बसपा)के खाते में गई हैं.
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने 'जनादेश' को स्वीकार करते हुए अपना इस्तीफा राज्यपाल को सौंप दिया. गहलोत ने चुनाव परिणामों को सभी के लिए अप्रत्याशित बताया.
परिणाम आने के बाद गहलोत ने सोशल मीडिया पर लिखा, ‘‘राजस्थान की जनता द्वारा दिए गए जनादेश को हम विनम्रतापूर्वक स्वीकार करते हैं. यह सभी के लिए एक अप्रत्याशित परिणाम है. यह हार दिखाती है कि हम अपनी योजनाओं, कानूनों और नवाचारों को जनता तक पहुंचाने में पूरी तरह कामयाब नहीं रहे.''
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सीपी जोशी ने कहा कि यह जीत प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा, गृहमंत्री अमित शाह के कुशल मार्गदर्शन की जीत है.
बीजेपी के चुनाव जीतने और हारने वाले दिग्गजभाजपा के जीतने वाले प्रमुख नेताओं में पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे, लोकसभा सदस्य राज्यवर्धन राठौड़ (झोटवाड़ा), बाबा बालक नाथ (तिजारा) व दीया कुमारी (विद्याधर नगर) शामिल हैं. भाजपा के हारने वाले प्रमुख नेताओं में नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ तथा उपनेता प्रतिपक्ष सतीश पूनिया शामिल हैं.
कांग्रेस में इन दिग्गजों की हुई जीत और हारवहीं, कांग्रेस की ओर से मुख्यमंत्री गहलोत, पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट, कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा जीत गए. कांग्रेस के हारने वाले नेताओं की लंबी सूची में विधानसभा अध्यक्ष डॉ. सीपी जोशी, मंत्री गोविंद मेघवाल, भंवर सिंह भाटी (कोलायत), विश्वेंद्र सिंह (डीग कुम्हेर), सालेह मोहम्मद (पोकरण), उदयलाल आंजना (निम्बाहेड़ा) व प्रताप सिंह खाचरियावास (सिविल लाइंस) का नाम भी है.
राजस्थान में राज और रिवाज बदलने की लड़ाईउल्लेखनीय है कि राजनीतिक गलियारों में राजस्थान के विधानसभा चुनाव को राज (सरकार) और 'रिवाज' बदलने की लड़ाई के रूप में देखा जा रहा था. बीते कुछ दशकों में, परंपरागत रूप से राज्य में हर विधानसभा चुनाव में सरकार बदल जाती है... एक बार कांग्रेस, एक बार भाजपा. इस बार भी ऐसा ही हुआ है.
राजस्थान में 75.45 प्रतिशत हुआ था मतदानराज्य में 200 में से 199 सीटों पर 25 नवंबर को मतदान हुआ था जहां 75.45 प्रतिशत मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया था. राज्य की करणपुर सीट पर कांग्रेस उम्मीदवार के निधन के कारण चुनाव स्थगित किया गया है.
भाजपा और कांग्रेस में दो फीसदी का अंतरमत प्रतिशत के मामले में भाजपा व कांग्रेस को मिले कुल मतों में लगभग दो प्रतिशत का अंतर रहा. चुनाव आयोग के अस्थायी आंकड़ों के अनुसार भाजपा को 41.69 प्रतिशत वोट मिले और कांग्रेस को 39.53 प्रतिशत वोट मिले. गत विधानसभा चुनाव में हालांकि यह अंतर एक प्रतिशत से भी कम का था.
राजस्थान में कौन होगा मुख्यमंत्री ?परिणाम आने के बाद, तुरंत यह स्पष्ट नहीं है कि भाजपा अगले मुख्यमंत्री के रूप में किसे चुनेगी. अभियान के दौरान, मोदी ने स्पष्ट कर दिया था कि पार्टी का चुनाव चिन्ह 'कमल' ही उसका चेहरा होगा. झालरापाटन विधानसभा सीट से जीतने वाली पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे इस पद के प्रमुख दावेदारों में से हैं. लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला और केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल भी दौड़ में बताए जा रहे हैं. जयपुर ग्रामीण सांसद राज्यवर्धन सिंह राठौड़ झोटवाड़ा विधानसभा सीट से जीते हैं. उन्हें भी संभावित दावेदार बताया जा रहा है.
मध्य प्रदेश व छत्तीसगढ़ में भी भाजपा की जीतउल्लेखनीय है कि राजस्थान के साथ-साथ मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, तेलंगाना और मिजोरम में विधानसभा चुनाव हुए हैं जिसे 2024 के लोकसभा चुनावों से पहले 'सेमीफाइनल' बताया जा रहा है. भाजपा ने मध्य प्रदेश व छत्तीसगढ़ में भी जीत दर्ज की है.
भाजपा में जश्न, लगे पीएम मोदी के नारेरुझानों में पार्टी के बहुमत का आंकड़ा पार करते ही जयपुर में भाजपा के प्रदेश मुख्यालय में जश्न शुरू हो गया. पार्टी कार्यकर्ताओं ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नारे लगाए. केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने गहलोत पर कटाक्ष करते हुए कहा,‘‘जादूगर की जादूगरी और तिलिस्म अब समाप्त हो गया है.'' शेखावत भी मुख्यमंत्री पद की दौड़ में शामिल नेताओं में से एक माने जा रहे हैं.
कांग्रेस की कलह खुलकर आई थी सामनेचुनावों से पहले, कांग्रेस और भाजपा दोनों ही अपने भीतर गुटबाजी से जूझ रहे थे. लेकिन कांग्रेस के भीतर अंदरूनी कलह अधिक खुलकर सामने आ गई.2020 में सचिन पायलट ने कुछ विधायकों के साथ गहलोत के खिलाफ विद्रोह कर दिया. चुनाव से ठीक पहले, पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व ने दोनों के बीच समझौता सुनिश्चित कराया.
भाजपा-कांग्रेस ने एक दूसरे पर लगाए थे ये आरोपचुनाव प्रचार के दौरान भाजपा ने सांप्रदायिक हिंसा को लेकर कांग्रेस सरकार पर निशाना साधा और उस पर तुष्टिकरण, भ्रष्टाचार के आरोप लगाए. वहीं कांग्रेस ने अपनी कल्याणकारी योजनाओं को पेश करने के अलावा पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना को एक प्रमुख मुद्दा बनाने की कोशिश की और केंद्र सरकार पर इसे राष्ट्रीय परियोजना का दर्जा नहीं देने का आरोप लगाया.
निवर्तमान विधानसभा में सत्तारूढ़ कांग्रेस के 107, भाजपा के 70 और राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (आरएलपी) के तीन विधायक थे. इसके अलावा माकपा और भारतीय ट्राइबल पार्टी (बीटीपी) के पास दो-दो सीटें थीं और राष्ट्रीय लोक दल के पास एक सीट थी. निवर्तमान विधानसभा में 13 निर्दलीय थे और दो सीटें (उदयपुर और करणपुर) खाली थीं.
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