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This Article is From Mar 08, 2023

"राजनीतिक रोटियां सेंकने के लिए शहीदों की वीरांगनाओं का अनादर कर रहे" : अशोक गहलोत के निशाने पर बीजेपी नेता

राजस्थान सीएम अशोक गहलोत ने कहा शहीद हेमराज मीणा की पत्नी उनकी तीसरी प्रतिमा एक चौराहे पर स्थापित करवाना चाहती हैं जबकि पूर्व में शहीद की दो मूर्तियां राजकीय महाविद्यालय, सांगोद के प्रांगण तथा उनके पैतृक गांव विनोद कलां स्थित पार्क में स्थापित की जा चुकी हैं. ऐसी मांग अन्य शहीद परिवारों को दृष्टिगत रखते हुए उचित नहीं है.

"राजनीतिक रोटियां सेंकने के लिए शहीदों की वीरांगनाओं का अनादर कर रहे" : अशोक गहलोत के निशाने पर बीजेपी नेता

राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने मंगलवार रात आरोप लगाया कि बीजेपी के कुछ नेता अपनी राजनीतिक रोटियां सेंकने के लिए शहीदों की वीरांगनाओं का इस्तेमाल कर उनका अनादर कर रहे हैं. उन्होंने वीरांगनाओं की मांगों को लेकर उनके साथ पिछले कुछ दिनों से धरने पर बैठे बीजेपी राज्यसभा सांसद किरोडी लाल मीणा का नाम लिये बिना ट्वीट में कहा, ‘‘बीजेपी के कुछ नेता अपनी राजनीतिक रोटियां सेंकने के लिए शहीदों की वीरांगनाओं का इस्तेमाल कर उनका अनादर कर रहे हैं. यह कभी भी राजस्थान की परम्परा नहीं रही है. मैं इसकी निंदा करता हूं.''

उन्होंने कहा, ‘‘हम सभी की जिम्मेदारी है कि हम शहीदों एवं उनके परिवारों का उच्चतम सम्मान करें. राजस्थान का हर नागरिक शहीदों के सम्मान का अपना कर्तव्य निभाता है परन्तु बीजेपी के कुछ नेता अपनी राजनीतिक रोटियां सेंकने के लिए शहीदों की वीरांगनाओं का इस्तेमाल कर उनका अनादर कर रहे हैं.'' गहलोत ने कहा शहीद हेमराज मीणा की पत्नी उनकी तीसरी प्रतिमा एक चौराहे पर स्थापित करवाना चाहती हैं जबकि पूर्व में शहीद की दो मूर्तियां राजकीय महाविद्यालय, सांगोद के प्रांगण तथा उनके पैतृक गांव विनोद कलां स्थित पार्क में स्थापित की जा चुकी हैं. ऐसी मांग अन्य शहीद परिवारों को दृष्टिगत रखते हुए उचित नहीं है.

मुख्यमंत्री ने कहा कि शहीद रोहिताश लाम्बा की पत्नी अपने देवर के लिए अनुकम्पा नियुक्ति मांग रही हैं. उन्होंने कहा कि यदि आज शहीद लाम्बा के भाई को नौकरी दे दी जाती है तो आगे सभी वीरांगनाओं के परिजन अथवा रिश्तेदार उनके एवं उनके बच्चे के हक की नौकरी अन्य परिजन को देने का अनुचित सामाजिक एवं पारिवारिक दबाव डालने लग सकते हैं. गहलोत ने कहा, ‘‘क्या हमें वीरांगनाओं के सामने एक ऐसी मुश्किल परिस्थिति खड़ी करनी चाहिए क्योंकि वर्तमान में बनाए गए नियम पूर्व के अनुभवों के आधार पर ही बनाए गए हैं. शहीदों के बच्चों का हक मारकर किसी अन्य रिश्तेदार को नौकरी देना कैसे उचित ठहराया जा सकता है? जब शहीद के बच्चे बालिग होंगे तो उन बच्चों का क्या होगा? उनका हक मारना उचित है क्या?''

उन्होंने कहा कि राजस्थान सरकार ने प्रावधान किया है कि यदि शहादत के वक्त वीरांगना गर्भवती है एवं वह नौकरी नहीं करना चाहे तो गर्भस्थ शिशु के लिए नौकरी सुरक्षित रखी जाएगी जिससे उसका भविष्य सुरक्षित हो सके.

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(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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