हिन्दूवादी नेता विनायक दामोदर सावरकर द्वारा ब्रिटिश काल में स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान लिखी गई दया याचिकाओं को लेकर की गई आलोचना पर कांग्रेस नेता राहुल गांधी अडिग हैं, लेकिन कांग्रेस के सहयोगी और महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्ध ठाकरे ने गुरुवार को कहा कि उनकी पार्टी - शिवसेना का वह धड़ा, जिसका नेतृत्व उद्धव करते हैं - के मन में सावरकर के लिए 'बेतहाशा सम्मान' है.
कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के साथ गठबंधन करने को लेकर 'अपने पिता की हिन्दुत्ववादी विचारधार को धोखा देने' के आरोप और आलोचना झेलने वाले उद्धव ठाकरे ने कहा, "राहुल गांधी ने जो कहा, हम उससे सहमत नहीं हैं... हम वीर सावरकर का सम्मान करते हैं... लेकिन साथ ही जब हम पर सवाल उठाए जा रहे हैं, BJP को यह भी बताना चाहिए, वे जम्मू एवं कश्मीर में PDP के साथ मिलकर सत्ता में क्यों थे...?" उद्धव ने दावा किया, "PDP भी कभी 'भारत माता की जय' नहीं बोलेगी..."
पत्रकारों से बातचीत में उद्धव ठाकरे ने कहा, "हमने ब्रिटिश से मिली आज़ादी को बरकरार रखने के लिए कांग्रेस के साथ गठबंधन किया..." कांग्रेस और शिवसेना, दोनों ही पार्टियां इससे पहले भी तभी से इस तरह के विवादों का सामना करती रही हैं, जब उद्धव ठाकरे ने BJP से नाता तोड़कर राहुल गांधी और शरद पवार की पार्टियों के साथ मिलकर महा विकास अघाड़ी (MVA) बनाई थी.
बाद में कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने महाराष्ट्र के अकोला में एक संवाददाता सम्मेलन के दौरान अपनी टिप्पणी पर टिके रहने की बात कही, और सावरकर द्वारा लिखी गई दया याचिका की प्रति भी दिखाई. उस वक्त राहुल गांधी ने कहा, "सावरकर जी ने इसमें लिखा है, 'मैं प्रार्थना करता हूं, सर, मैं सदा आपका आज्ञाकारी सेवक बना रहूंगा...' जब उन्होंने इस खत पर दस्तखत किए, क्या वजह थी...? वह डर था... वह अंग्रेज़ों से डरते थे..."
सहयोगी दलों से इस मुद्दे पर मतभेद को लेकर राहुल गांधी ने कहा, "अगर कोई अपनी विचारधारा आगे रखना चाहता है, तो उन्हें ऐसा करना ही चाहिए..."
राहुल गांधी ने कहा, "इस खत पर दस्तखत करने की वजह से सावरकर जी के बारे में मेरे विचार ऐसे हैं..." उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू और वल्लभभाई पटेल ने सालों जेल में बिताए, लेकिन "उन्होंने कभी ऐसे खत पर दस्तखत नहीं किए..." राहुल गांधी ने कहा, "ये दो अलग-अलग विचारधाराएं हैं... हमारी पार्टी में चर्चा की अनुमति है... हमारे यहां कोई तानाशाह नहीं है..."
इससे पहले, उद्धव ठाकरे ने पूछा था कि BJP की केंद्र सरकार ने भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान 'भारत रत्न' अब तक दिवंगत विनायक दामोदर सावरकर को क्यों नहीं दिया है. उन्होंने तर्क दिया, "जो हम पर सवाल उठा रहे हैं, देश की आज़ादी की लड़ाई में उनका क्या योगदान है...? उन्हें सावरकर को लेकर हम पर सवाल खड़े करने का कोई अधिकार नही है..."
वाशिम में जनजातीय नायक बिरसा मुंडा की स्मृति में आयोजित एक कार्यक्रम में राहुल गांधी ने कहा था, "ब्रिटिश द्वारा ज़मीन की पेशकश किए जाने के बावजूद, उन्होंने (बिरसा मुंडा ने) झुकने से इंकार कर दिया... उन्होंने मौत को चुना... हम, कांग्रेस पार्टी, उन्हें आदर्श मानती है... BJP और RSS के लिए, सावरकर जी, जिन्होंने दया याचिकाएं लिखीं और पेंशन कबूल की, आदर्श हैं..."
कांग्रेस पार्टी भी राहुल गांधी के बयान का समर्थन करती नज़र आई. पार्टी के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने गुरुवार को ही गुजरात में कहा, "यह सच्चाई है... सावरकर ही थे, जिन्होंने ब्रिटिश से माफी मांगी थी, और देश को अंग्रेज़ों के हाथ बेच दिया था... मैं भी यही कहूंगा..."
इस बीच, महाराष्ट्र में जून में उद्धव ठाकरे को गद्दी से हटाकर "शिवसेना के BJP के साथ 'प्राकृतिक वैचारिक गठबंधन को पुनर्जीवित' करने वाले मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले सेना के धड़े के समर्थकों ने राहुल गांधी के विरोध में प्रदर्शन किया.
उपमुख्यमंत्री तथा BJP नेता देवेंद्र फडणवीस ने आरोप लगाया कि राहुल गांधी और कांग्रेस सावरकर के बारे में 'विकृत इतिहास फैला' रहे हैं, लेकिन 'महाराष्ट्र के लोग उन्हें सबक सिखा देंगे...'
उन्होंने उद्धव ठाकरे पर भी हमला बोला और कहा कि उन्हें बाल ठाकरे का नाम लेने का कोई अधिकार नहीं है. "बालासाहेब ठाकरे सारी उम्र सावरकर की हिन्दुत्व विचारधारा को आगे बढ़ाते रहे... उन्होंने उन लोगों पर हमला बोला था, जिन्होंने सावरकर को नीचा दिखाया... दुर्भाग्य से, उनके परिवार के सदस्यों ने राहुल गांधी की यात्रा में शिरकत की..." गौरतलब है कि उद्धव ठाकरे के पुत्र आदित्य ठाकरे ने इसी सप्ताह राहुल गांधी की 'भारत जोड़ो' यात्रा में शिरकत की थी.
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