
देश में आज कांशीराम की जयंती मनाई जा रही है. उत्तर प्रदेश में चार बार सरकार चलाने वाली बहुजन समाज पार्टी की स्थापना कांशीराम ने ही की थी. पंजाब में पैदा हुए कांशीराम को देश बाबा साहब आंबेडकर के बाद दलितों का सबसे बड़ा नेता माना जाता है. आज उनकी जयंती पर पक्ष-विपक्ष के तमाम नेताओं ने उन्हें श्रद्धांजलि दी है. इनमें कांग्रेस नेता राहुल गांधी भी शामिल हैं. उन्होंने कहा है कि दलितों, वंचितों और शोषितों के अधिकारों के लिए उनका संघर्ष सामाजिक न्याय की लड़ाई में कांग्रेस का हर कदम पर मार्गदर्शन करता रहेगा.
राहुल गांधी ने कहा क्या है
लोकसभा में नेता विपक्ष राहुल गांधी ने सोशल मीडिया साइट 'एक्स' पर पोस्ट किया, ''महान समाज सुधारक, मान्यवर कांशीराम जी की जयंती पर उन्हें सादर नमन. दलितों, वंचितों और शोषितों के अधिकारों के लिए उनका संघर्ष, सामाजिक न्याय की इस लड़ाई में हमारा हर कदम पर मार्गदर्शन करता रहेगा.''
महान समाज सुधारक, मान्यवर कांशीराम जी की जयंती पर उन्हें सादर नमन।
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) March 15, 2025
दलितों, वंचितों और शोषितों के अधिकारों के लिए उनका संघर्ष, सामाजिक न्याय की इस लड़ाई में हमारा हर कदम पर मार्गदर्शन करता रहेगा। pic.twitter.com/HVGIn8kwSm
कांशीराम की जयंती पर राहुल गांधी के इस बयान के राजनीतिक मायने भी हैं. राहुल ने अभी कुछ दिन पहले ही कांशीराम की पार्टी बहुजन समाज पार्टी पर बीजेपी की बी टीम की तरह काम करने का आरोप लगाया था. उन्होंने बसपा प्रमुख मायावती पर बीजेपी को फायदा पहुंचाने का आरोप लगाते हुए कहा था कि अगर बीएसपी 'इंडिया' गठबंधन में होती तो पिछले साल के चुनावों में एनडीए की जीत नहीं होती. राहुल के इस बयान का बसपा और मायावती ने तगड़ा प्रतिवाद करते हुए कांग्रेस पर दिल्ली विधानसभा चुनाव में बीजेपी की बी टीम की तरह काम करने का आरोप लगाया था.
कैसी है कांग्रेस की हालत
कांग्रेस इन दिनों अपने सबसे बुरे दौर से गुजर रही है. साल 2014 के लोकसभा चुनाव के बाद से उसे लगातार हार का सामना करना पड़ा है. कांग्रेस पार्टी को हाल के दिनों में हुए विधानसभा चुनाव में हार का सामना करना पड़ा है. इनमें हरियाणा और महाराष्ट्र के विधानसभा चुनाव प्रमुख हैं. कांग्रेस के लिए थोड़ी सी अच्छी खबर झारखंड से आई थी.जहां वह झारखंड मुक्ति मोर्चा और राजद के साथ सरकार में है.इसके अलावा कांग्रेस की केवल हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक और तेलंगाना में ही सरकार है.लगातार मिल रही हारों से परेशान कांग्रेस में इन दिनों कांग्रेस में मंथन का दौर चल रहा है.

समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के गठबंधन ने पिछले साल हुए लोकसभा चुनाव में अच्छा प्रदर्शन किया था.
कांग्रेस नेता राहुल गांधी अपनी पार्टी को संकट से निकालने के लिए लगातार दलितों,पिछड़े और आदिवासियों से जुड़े मुद्दों को हवा दे रहे हैं.इसलिए उनसे जुड़े मुद्दों को प्रमुखता से उठा रहे हैं. इसी वोट बैंक को साधने के लिए वो संविधान और आरक्षण के खतरे में होने का नैरेटिव सेट करने की कोशिश कर रहे हैं. उनका कहना है कि संविधान खत्म या उसकी समीक्षा किए जाने के बाद संविधान के तहत दलितों-पिछड़ों को मिलने वाला आरक्षण खत्म हो जाएगा.
दलित वोटों की माया
उत्तर प्रदेश में बसपा के लगातार कमजोर होते प्रदर्शन से उसके समर्थकों में निराशा है. इसे देखते हुए हर राजनीतिक दल उन्हें अपने पाल में करने की कोशिश कर रहे हैं. इनमें कांग्रेस और समाजवादी पार्टी प्रमुख हैं. एक तरफ जहां राहुल गांधी संविधान और आरक्षण का मुद्दा उठा रहे हैं. वहीं सपा प्रमुख अखिलेश यादव पीडीए (पिछड़ा-दलित-अल्पसंख्यक) का फार्मूला लेकर आए हैं. कांग्रेस के नैरेटिव और सपा का पीडीए फार्मूला काम करता हुआ भी दिख रहा है. पिछले साल लोकसभा चुनाव में सपा-कांग्रेस के गठबंधन ने उत्तर प्रदेश में 43 सीटें जीत ली थीं. इस गठबंधन ने बीजेपी को सबसे बड़ा झटका दिया था. उस चुनाव में सपा को करीब 33 फीसदी, कांग्रेस को करीब 10 फीसदी और बसपा को भी करीब 10 फीसदी वोट मिली थीं. वहीं बीजेपी ने 42 फीसदी वोटों के साथ 33 सीटें जीती थीं. लेकिन अगर वह चुनाव सपा-कांग्रेस और बसपा ने मिलकर लड़ा होता तो बीजेपी को और बड़ा झटका मिलना तय था. इसलिए दलित वोट बैंक को ध्यान में रखते हुए दलित आइकान को अपना बनाने की कोशिश कर रहे हैं. वो इसमें कितना सफल हो पाते हैं, इसके लिए हमें थोड़ा इंतजार करना होगा.
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