नई दिल्ली:
हरियाणा के रोहतक के जसियां गांव में जाट आंदोलनकारियों ने ऐलान किया कि दो मार्च को यूपी और दिल्ली के जाट नेता दिल्ली में प्रदर्शन करेंगे. उसी दिन इस बात कि घोषणा होगी कि किस दिन संसद का 50 हजार ट्रैक्टर ट्रॉलियों के साथ घेराव किया जाए. बाद में हरियाणा में जाट समाज के साथ किये जा रहे अन्याय के खिलाफ राष्ट्रपति को ज्ञापन भी देंगे. वैसे तो अपनी मांगों को को लेकर हरियाणा के 20 जिलों में 22 दिनों से जाट धरने पर बैठे हैं लेकिन बलिदान दिवस के मौके पर जसियां में लाखों लोग जुटे. अखिल भारतीय जाट आरक्षण संघर्ष समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री यशपाल मलिक ने कहा कि अब राज्य में एक मार्च से 10 जिलों में 10 धरने और बढ़ाये जाएंगे. 26 फरवरी को पूरे हरियाणा में काला दिवस मनाया जाएगा.
जाट समुदाय ये कदम सरकार की भाईचार तोड़ने और अन्यायपूर्ण नीतयों के वजह से उठाया जा रहा है. उस दिन धरने पर महिलाएं काला दुपट्टा और पुरुष काली पगड़ी पहनकर आएंगे. एक मार्च से जाट न तो बिजली और न पानी के बिल का भुगतान करेंगे बल्कि सरकारी कर्जों का भुगतान भी नहीं करेंगे. इसके अलावा एक दिन के लिये सभी लोग अपनी दूध व अपनी सब्जी की सप्लाई दिल्ली नहीं करेंगे.
इनकी मांग है कि सरकार केन्द्र और राज्य की नौकरियों में आरक्षण दे, पिछले साल आंदोलन के दौरान दर्ज सभी मुकदमे वपस लिये जाएं और जेल में बंद लोगों को रिहा किया जाए. आंदोलन के दौरान शहीद एवं घायल हुए लोगों को मुआवजा दिया जाए, उनके आश्रितों को नौकरी दी जाए. जब तक सरकार उनकी मंगों को नहीं मानती है तब तक उनका आंदोलन ऐसे ही जारी रहेगा. इतना नहीं धीरे-धीरे आंदोलन को इतना तेज करेंगे कि केन्द्र और राज्य में मौजूद बीजेपी सरकार की खटिया खड़ी कर देंगे.
जाट समुदाय ये कदम सरकार की भाईचार तोड़ने और अन्यायपूर्ण नीतयों के वजह से उठाया जा रहा है. उस दिन धरने पर महिलाएं काला दुपट्टा और पुरुष काली पगड़ी पहनकर आएंगे. एक मार्च से जाट न तो बिजली और न पानी के बिल का भुगतान करेंगे बल्कि सरकारी कर्जों का भुगतान भी नहीं करेंगे. इसके अलावा एक दिन के लिये सभी लोग अपनी दूध व अपनी सब्जी की सप्लाई दिल्ली नहीं करेंगे.
इनकी मांग है कि सरकार केन्द्र और राज्य की नौकरियों में आरक्षण दे, पिछले साल आंदोलन के दौरान दर्ज सभी मुकदमे वपस लिये जाएं और जेल में बंद लोगों को रिहा किया जाए. आंदोलन के दौरान शहीद एवं घायल हुए लोगों को मुआवजा दिया जाए, उनके आश्रितों को नौकरी दी जाए. जब तक सरकार उनकी मंगों को नहीं मानती है तब तक उनका आंदोलन ऐसे ही जारी रहेगा. इतना नहीं धीरे-धीरे आंदोलन को इतना तेज करेंगे कि केन्द्र और राज्य में मौजूद बीजेपी सरकार की खटिया खड़ी कर देंगे.
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