भारत-पाक टेंशन के बीच पंजाब के इस गांव के हालात जानिए.
भारत-पाकिस्तान के बीच टेंशन (India-Pakistan Attack) गुरुवार रात के बाद और भी ज्यादा बढ़ गई है. दुश्मन ने जम्मू-कश्मीर में आम नागरिकों को निशाना बनाने की पूरी कोशिश की, जिसमें वह नाकाम रहा. पाकिस्तान बॉर्डर (Pakistan Border) से सटा होने की वजह से पंजाब बहुत ही संवेदनशील (Punjab High Alert) राज्य है. चंडीगढ़ में एक बार फिर से दुश्मन के हमले की आशंका जताई जा रही है. वहीं अमृतसर भी हाई अलर्ट पर है. लेकिन खास बात यह है कि युद्ध जैसे हालात के बीच और पाकिस्तान से तीन तरफ से घिरे होने के बाद भी अमृतसर (Amritsar) के एक गांव के लोग बिल्कुल भी विचलित नहीं हैं. वे हर रोज की तरह अपना काम कर रहे हैं.
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युद्ध जैसे हालात में भी दाओके में नो टेंशन
पीछे कांटेदार तार की बाड़ है, मतलब पैर पीछे रखते ही पाकिस्तान, लेकिन इसके बाद भी दाओके गांव के लोगों में जरा भी खौफ नहीं है. टाइम्स ऑफ इंडिया में छपी खबर के मुताबिक, हालांकि गांव के लोग सतर्क जरूर हैं. जहां पूरा देश पाक-पाक अटैक से डर के साये में है. इस बीच गांव के लोग पेड़ की छांव के नीचे बैठकर स्थानीय मुद्दों को डिस्कस कर रहे हैं. ऐसा नहीं है कि इस अैक की उनके बीच कोई चर्चा नहीं हो रही लेकिन उनके चेहरों पर शिकन नहीं है. वे हंसी-ठिठोली कर रहे हैं. उनतो तो ऐसा लग रहा है कि भारत-पाक हमलों को मीडिया बढ़ा-चढ़ाकर पेश कर रही है.

PTI फोटो.
पाकिस्तान से सटा है पंजाब के दाओके गांव
दाओके गांव दुश्मन के लिहाज से कितना संवेदनशील है इस बात का अंदाजा ऐसे लगा लीजिए कि गांव के एक किसान ने कहा कि अगर पाक ने दाओके को जोड़ने वाली इकलौती सड़क अगर उड़ा दे तो उनका संपर्क पूरे भारत से कट जाएंगा. ये लोग गांव में ही फंस कर रह जाएंगे. इसके बाद भी इन लोगों के मन में यहां से भागने का जरा भी ख्याल नहीं आ रहा. क्यों कि ये उनका घर है और उनको भारतीय सेना पर पूरा भरोसा भी है.

भारत-पाक सीमा की फाइल फोटो)
पहले भी युद्ध देखा, अब भी कुछ नहीं बदला
गांव के ही एक अन्य बुजुर्ग का कहना है कि ये हालात उनके लिए नए नहीं हैं. उन्होंने 1965, 1971 और ऑपरेशन पराक्रम के समय पर भी ऐसे हालात देखे हैं. उस समय मंजर को बयां करते हुए उन्होंने कहा कि हर जगह सेना ही सेना थी. आते-जाते वे लोग यद्ध को महसस करते थे. खेतों में सेना के टैंक घूमते थे और आसमान में हर तरफ फाइटर जेट ही नजर आते थे. अब तो सेना के पास मॉर्डन तकनीक के हथियारों का जरीखा है. इसीलिए ये भरोसा भी है कि सेना दुश्मन को धूल चटा कर ही रहेगी. उस समय तो वे सब डरे हुए थे. उनके पास गांव छोड़ना ही एकमात्र विकल्प बचा था. हालांकि आज समय वैसा नहीं रहा. लेकिन उनका लाइफस्टाइल आज भी वसा ही है. वे लोग आज भी पहले की तरह पाकिस्तान के बिल्कुल बगल में अपने खेतों में काम कर रहे हैं. यहां सेना की मौजूदगी न के बराबर है.

PTI फोटो.
युद्ध का डर है लेकिन चिंता नहीं
ऐसा नहीं है कि बुधवार रात अमृतसर और उसके आसपास के इलाकों में विस्फोटों की आवाज से ये लोग डर नहीं रहे. डर तो गांव के कुछ लोगों को भी लग रहा है. गांव के लोगों ने एक पल के लिए तो ये सोच लिया कि युद्ध शुरू होने को है. लेकिन इसके बाद भी ये लोग चिंता में नहीं हैं.
हालात की टेंशन नहीं, लेकिन बच्चों से प्यार तो है
बता दें कि पाकिस्तान से सटे दओके गांव की आबादी 2,200 लोगों की है. पाकिस्तान के साथ इनकी सीमा 9 किलोमीटर की है. मौजूदा हालात से गांव के बहुत से लोग इस कदर परेशान हैं कि उन्होंने अपने बच्चों को अपने रिश्तेदारों के यहां सुरक्षित जगहों पर भेज दिया है. हालांकि उन्होंने कुछ गलत नहीं किया अपने बच्चे तो सभी को प्यारे होते हैं. इसीलिए सावधानी बरतना तो बनता है.
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