पंजाब (Punjab) देश का ऐसा नौवां राज्य बन गया है कि जिसने सेंट्रल ब्यूरो ऑफ इनवेस्टीगेशन यानी सीबीआई (CBI) से राज्य में किसी मामले की जांच करने वाली सामान्य सहमति (General Consent) वापस ले ली है.वह विपक्ष के उन खास राज्यों में शामिल हो गया है जिन्होंने अपने 'दरवाजे' केंद्रीय जांच एजेंसी के लिए बंद कर दिए है. इस कदम के बाद सीबीआई को अब पंजाब में किसी भी मामले की जांच के लिए राज्य सरकार की इजाजत लेना जरूरी होगा.झारखंड राज्य द्वारा उठाए गए ऐसे कदम के दो दिन बाद पंजाब का यह फैसला आया है. पंजाब में इस समय कैप्टन अमरिंदर सिंह के नेतृत्व में कांग्रेस पार्टी की सरकार है.सोमवार रात को जारी एक नोटिफिकेशन में अमरिंदर सिंह सरकार ने कहा है कि वह सामान्य सहमति वापस ले रही है अब सीबीआई को भविष्य में राज्य में किसी भी मामले की जांच के लिए केस-दर-केस पंजाब सरकार से पूर्व सहमति लेना जरूरी होगा.
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इससे पहले, विपक्ष की ओर से शासित केरल बंगाल, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र और राजस्थान सामान्य सहमति वापस ले चुके हैं. इन राज्यों का आरोप है कि बीजेपी शासित केंद्र सरकार, राजनीतिक विरोधियों को परेशान करने के लिए केंद्रीय जांच एजेंसी का दुरुपयोग कर रही है.
ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस की ओर से शासित बंगाल ने वर्ष 2018 में सामान्य सहमति वापस ली थी. बंगाल की तर्ज पर चंद्रबाबू नायडू के नेतृत्व वाली आंध्र प्रदेश की तत्कालीन आंध्र प्रदेश सरकार ने भी नवंबर 2018 में ऐसा ही फैसला लिया था. एनडीए से हटने के बाद चंद्रबाबू नायडू ने आरोप लगाया था कि केंद्र सरकार अपने लाभ के लिए जांच एजेंसियों का इस्तेमाल कर रही है. हालांकि जगन मोहन रेड्डी के सत्ता में आने के बाद आंध्र प्रदेशने इस कदम को वापस ले लिया था.
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