पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के सहायक निदेशक निरंजन सिंह के तबादले पर रोक को 26 फरवरी तक बढ़ा दिया है।
निरंजन सिंह वही अफसर हैं, जिन्होंने पिछले 26 दिसंबर को जलंधर में पंजाब के राजस्व मंत्री बिक्रम मजीठिया से पूछताछ की थी। इसके बाद उनका तबादला कोलकाता कर दिया गया था।
कोर्ट के निर्देश के मुताबिक प्रवर्तन निदेशालय ने आज न्यायिक खंडपीठ के सामने निरंजन सिंह के तबादले से सम्बद्ध कागजात पेश किए और बताया कि अधिकारी का तबादला पश्चिम बंगाल के चर्चित सारदा चिट फण्ड घोटाले की जांच के लिए किया गया है।
लेकिन याचिकाकर्ता के अधिवक्ता नवकिरण सिंह के मुताबिक, प्रवर्तन निदेशालय का यह रुख विरोधाभासी है, अगर सारदा घोटाले की जांच अहम है, तो पंजाब का ड्रग्स मामला उससे भी ज़्यादा अहमियत रखता है, क्योंकि इससे युवाओं का भविष्य जुड़ा है। नवकिरण सिंह ने NDTV को बताया कि खुद अदालत ने भी माना है कि जिस तरह से तबादले को सही ठहराने कि कोशिश हो रही है, उससे इस आरोप को बल मिलता है कि इसके पीछे सियासत है।
नवकिरण सिंह के एनजीओ लॉयर्स फॉर ह्यूमन राइट्स इंटरनेशनल ने ही तबादले को हाईकोर्ट में चुनौती दी है। निरंजन सिंह छह हजार करोड़ रुपये के सिंथेटिक ड्रग रैकेट मामले से जुड़े हवाला केस की जांच कर रहे थे और पिछले दो साल से प्रवर्तन निदेशालय के जालंधर दफ्तर में तैनात थे।
हवाला रैकेट से जुड़े NRI आरोपियों से सांठ-गांठ के आरोपों के सिलसिले में उन्होंने बिक्रम मजीठिया से पूछताछ की थी। इसके बाद कांग्रेस ने आरोप लगाया था कि कि दिल्ली चुनावों में सिख वोटरों को लुभाने के लिए केंद्र की बीजेपी सरकार ने अकाली दल के दबाव में निरंजन सिंह का तबादला किया।
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