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This Article is From Sep 25, 2022

पंजाब : भगवंत मान के साथ तीखी नोकझोंक के बाद राज्यपाल ने विशेष विधानसभा सत्र को दी मंजूरी

पहले राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित ने विश्वास प्रस्ताव लाने के लिए 22 सितंबर को विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने के राज्य सरकार के प्रस्ताव को खारिज कर दिया था

पंजाब : भगवंत मान के साथ तीखी नोकझोंक के बाद राज्यपाल ने विशेष विधानसभा सत्र को दी मंजूरी
पंजाब विधानसभा के विशेष सत्र में विश्वास मत प्रस्ताव लाया जाएगा या नहीं, यह अब तक साफ नहीं है.
चंडीगढ़:

पंजाब (Punjab) के राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित (Banwarilal Purohit) ने मुख्यमंत्री भगवंत मान (Bhagwant Mann) के साथ उनके ''कर्तव्यों'' को लेकर हुई तीखी नोकझोंक के बाद विधानसभा के दूसरे विशेष सत्र को आज मंजूरी दे दी. आम आदमी पार्टी (AAP) के विधायक और विधानसभा अध्यक्ष कुलतार सिंह संधवां ने आज सुबह ट्वीट किया, राज्यपाल ने हमारे अनुरोध को "बहुत विनम्रता से" स्वीकार कर लिया और मंगलवार को सुबह 11 बजे तीसरे सत्र के लिए पंजाब विधानसभा (Punjab Assembly) की बैठक बुलाई है.

यह अभी तक स्पष्ट नहीं है कि सत्र के दौरान विश्वास मत लाया जाएगा या नहीं. 'आप' सरकार ने कहा है कि 27 सितंबर के प्रस्तावित सत्र में पराली जलाने और बिजली क्षेत्र के मुद्दों पर चर्चा होगी. 

इससे पहले राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित ने विश्वास प्रस्ताव लाने के लिए 22 सितंबर को विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने की राज्य सरकार की योजना को खारिज कर दिया था. सरकार का उद्देश्य सत्र में विश्वास मत हासिल करना और "ऑपरेशन लोटस" आयोजित करने के भाजपा के कथित प्रयासों के बीच बहुमत साबित करना था.

पार्टी ने आरोप लगाया है कि भाजपा ने 'आप' के कई विधायकों को 25-25 करोड़ की पेशकश की है और उन्हें पार्टी बदलने के लिए प्रेरित करने की कोशिश की है. पार्टी ने यह भी दावा किया है कि उसके पास इससे जुड़े ऑडियो-वीडियो सबूत हैं, जिन्हें पुलिस को सौंप दिया गया है.

राज्यपाल पुरोहित द्वारा कैबिनेट की ओर से प्रस्तावित विशेष विधानसभा सत्र के एजेंडे के बारे में पूछे जाने के बाद राजभवन और आम आदमी पार्टी के बीच विवाद हो गया था. विधानसभा सत्र के लिए राज्यपाल की सहमति मांगते समय, आम तौर पर विधायी कार्यों की एक सूची दी जाती है. हालांकि मुख्यमंत्री भगवंत मान ने ट्वीट किया कि ''75 साल में सत्र बुलाने से पहले किसी राष्ट्रपति या राज्यपाल ने विधायी कार्यों की सूची नहीं मांगी." आगे वे सरकार के सभी भाषणों को भी उनके द्वारा अनुमोदित कराने के लिए कहेंगे. यह बहुत अधिक है." 

राज्यपाल पुरोहित ने शनिवार को पलटवार करते हुए पंजाब के मुख्यमंत्री को अपने कर्तव्य याद रखने के लिए कहा. उन्होंने कहा कि उनके कानूनी सलाहकार उन्हें इस बारे में पर्याप्त जानकारी नहीं दे रहे हैं.

पुरोहित ने भगवंत मान को एक पत्र में लिखा, "आज के समाचार पत्रों में आपके बयानों को पढ़ने के बाद मुझे ऐसा प्रतीत होता है कि शायद आप मुझसे 'बहुत ज्यादा' नाराज़ हैं." उन्होंने आगे कहा, "मुझे लगता है कि आपके कानूनी सलाहकार आपको पर्याप्त रूप से जानकारी नहीं दे रहे हैं. शायद मेरे बारे में आपकी राय संविधान के अनुच्छेद 167 और 168 के प्रावधानों को पढ़ने के बाद निश्चित रूप से बदल जाएगी, जिसे मैं आपके संदर्भ के लिए उद्धृत कर रहा हूं."  अनुच्छेद 167 राज्यपाल के प्रति मुख्यमंत्री के कर्तव्यों को परिभाषित करता है, अनुच्छेद 168 राज्य विधायिका की संरचना के बारे में है.

पंजाब के राज्यपाल के फैसले पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए दिल्ली के मुख्यमंत्री और आप के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने ट्वीट किया, "राज्यपाल कैबिनेट द्वारा बुलाए गए सत्र को कैसे मना कर सकते हैं? फिर तो लोकतंत्र खत्म हो गया. दो दिन पहले, राज्यपाल ने सत्र की अनुमति दी थी. जब ऑपरेशन लोटस फेल होने लगा और नंबर पूरा नहीं हुआ, ऊपर से एक कॉल आया, जिसमें इजाजत वापस लेने को कहा गया."

पंजाब में विधानसभा सत्र को लेकर भगवंत मान सरकार और राज्यपाल आमने-सामने

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