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पंजाब पर पहले भी टूट चुका है सतलुज, ब्यास और रावी का कहर, सैकड़ों लोगों को हुई है मौत

Punjab Floods History: पंजाब में साल 1955 में पहली बार भयानक बाढ़ आई थी, जब सतलुज और घागर नदी के उफान में कई जिले पूरी तरह से जलमग्न हो गए.

पंजाब पर पहले भी टूट चुका है सतलुज, ब्यास और रावी का कहर, सैकड़ों लोगों को हुई है मौत
पंजाब में पहली बार तबाही नहीं मचा रहा है पानी
  • पंजाब के सभी 23 जिलों को बाढ़ प्रभावित घोषित किया गया है, जहां 1,400 से अधिक गांव जलमग्न हो चुके हैं
  • बाढ़ से लगभग 3.5 लाख लोग प्रभावित हुए हैं और लाखों को अपने घर छोड़ने पड़े हैं
  • गुरदासपुर जिले में सबसे ज्यादा 324 गांव बाढ़ की चपेट में हैं, इसके बाद अमृतसर और होशियारपुर हैं
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Punjab Floods: पंजाब के सैकड़ों गांव भयंकर बाढ़ से जूझ रहे हैं. भारी बारिश के बाद पंजाब की नदियां उफान पर हैं और हर जगह सिर्फ पानी ही पानी नजर आ रहा है. हालात ये हैं कि सभी 23 जिलों को बाढ़ प्रभावित घोषित कर दिया गया है. बाढ़ से लगभग 1,48,590 हेक्टेयर कृषि भूमि जलमग्न हो गई है और 1,400 से ज्यादा गांव बाढ़ की चपेट में हैं. ऐसे में आज पंजाब में बाढ़ के इतिहास को जानते हैं और आपको बताते हैं कि नदियों के प्रदेश में कब-कब बाढ़ ने तबाही मचाई है. 

लाखों लोग हुए बेघर 

मौजूदा हालात की बात करें तो इसमें 3.5 लाख से ज्यादा लोग प्रभावित हुए हैं, वहीं लाखों लोगों को अपना घर छोड़ना पड़ रहा है. गुरदासपुर में बाढ़ से सबसे ज्यादा असर दिखा है, यहां के 324 गांव बाढ़ की चपेट में हैं. इसके बाद अमृतसर (135 गांव) और होशियारपुर (119 गांव) में हालात काफी खराब हैं. अब तक 40 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है. फिलहाल नुकसान का आकलन किया जा रहा है और केंद्र सरकार भी पंजाब में मदद मुहैया करवा रही है. 

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कब आई थी सबसे भयंकर बाढ़?

पंजाब के इतिहास की सबसे भयानक बाढ़ साल 1988 में आई थी. इस बाढ़ में 600 से ज्यादा लोगों की मौत हुई थी और 34 लाख लोग प्रभावित हुए थे. इस बाढ़ की चपेट में पंजाब के 9 हजार से ज्यादा गांव आ गए थे और हजारों एकड़ की कृषि भूमि बर्बाद हो गई थी. 

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ये है बाढ़ का पूरा इतिहास 

पंजाब में साल 1955 में भयानक बाढ़ आई थी, जब सतलुज और घागर नदी के उफान में कई जिले पूरी तरह से जलमग्न हो गए. ये पहली बार था जब पंजाब में ऐसे हालात देखे गए थे. 

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इसके बाद 1978 में सतलुज नदी ने लोगों को फिर से परेशान किया था और कई जिले इसकी चपेट में आए थे. सबसे ज्यादा नुकसान लुधियाना, फरोजपुर और कपूरथला में देखा गया था. भाखड़ा डैम से पानी छोड़े जाने से स्थिति और ज्यादा गंभीर हो गई थी. इसके बाद 1988 में भी बाढ़ ने खूब तबाही मची, जिसका जिक्र हम पहले ही कर चुके हैं. 

सतलुज और बाकी नदियों के उफान ने 1993 में भी काफी तबाही मचाई थी. इस बाढ़ में 300 से ज्यादा लोगों की मौत हुई थी, वहीं लाखों लोग प्रभावित हुए थे. बाढ़ के चलते कई इलाकों में भूस्खलन भी हुआ था. इसके बाद साल 2019 में भी पंजाब में बाढ़ का कहर दिखा था. 

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