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कानून अपना काम करेगा: आरोपों पर पूजा खेडकर ने तोड़ी चुप्पी

फिलहाल संघ लोक सेवा आयोग ने प्रक्रिया शुरू कर दी है, जिसके तहत प्रशिक्षु अधिकारी का चयन रद्द किया जा सकता है, जिसकी जांच दृष्टि और मानसिक विकलांगता के बारे में झूठ बोलने के लिए की जा रही है.

कानून अपना काम करेगा: आरोपों पर पूजा खेडकर ने तोड़ी चुप्पी
नई दिल्ली:

पद के कथित दुरुपयोग को लेकर विवादों में घिरी प्रशिक्षु आईएएस अधिकारी पूजा खेडकर ने आज कहा कि कानून अपना काम करेगा. इस मामले पर अपनी पहली प्रतिक्रिया में 34 वर्षीय पूजा ने कहा, "अब न्यायपालिका अपना काम करेगी. जो भी सवाल होंगे, मैं उनका जवाब दूंगी. मैं वापस आ रही हूं और आपको अपनी बात कहूंगी."

फर्जी सर्टिफिकेट

फिलहाल संघ लोक सेवा आयोग ने प्रक्रिया शुरू कर दी है, जिसके तहत प्रशिक्षु अधिकारी का चयन रद्द किया जा सकता है, जिसकी जांच दृष्टि और मानसिक विकलांगता के बारे में झूठ बोलने के लिए की जा रही है. उन्होंने कथित तौर पर अपनी पहचान भी फर्जी बताई है और सिविल सेवा प्रवेश परीक्षा पास करने के लिए अपने माता-पिता का नाम भी बदल दिया है.

कारण बताओ नोटिस जारी

यूपीएससी ने खेडकर को कारण बताओ नोटिस भेजकर पूछा है कि उनकी उम्मीदवारी क्यों न रद्द कर दी जाए. उनके जवाब पर ही कार्रवाई निर्भर करेगी.दिल्ली पुलिस ने दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम और आईटी अधिनियम के तहत जालसाजी के आरोपों सहित एक मामला दर्ज किया है.

यह आरोप लगाया गया है कि सुश्री खेडकर अन्य पिछड़ा वर्ग के गैर-मलाईदार वर्ग का हिस्सा नहीं हैं, क्योंकि उनके पिता दिलीप खेडकर, जो एक पूर्व सिविल सेवक थे, के पास 40 करोड़ रुपये की संपत्ति थी.

महाराष्ट्र सरकार ने इस मामले पर अपनी रिपोर्ट केंद्र को सौंप दी है. उनके खिलाफ डीओपीटी की जांच दो सप्ताह में पूरी हो जाएगी. कानून अपना काम करेगा: पूजा खेडकर ने आरोपों पर तोड़ी चुप्पी

यह आरोप लगाया गया है कि खेडकर अन्य पिछड़ा वर्ग के नॉन क्रिमी सेक्शन का हिस्सा नहीं हैं, क्योंकि उनके पिता दिलीप खेडकर, जो एक पूर्व सिविल सेवक थे, के पास 40 करोड़ रुपये की संपत्ति थी.

महाराष्ट्र सरकार ने इस मामले पर अपनी रिपोर्ट केंद्र को सौंप दी है. उनके खिलाफ डीओपीटी की जांच दो सप्ताह में पूरी हो जाएगी. प्रशिक्षु अधिकारी तब सुर्खियों में आईं जब उन्हें अपनी निजी ऑडी पर एम्बर बत्ती और राज्य सरकार का लोगो इस्तेमाल करते देखा गया. उन्होंने एक अलग घर और कार की भी मांग की, जिसके लिए जूनियर अधिकारी पात्र नहीं हैं.

महाराष्ट्र सरकार की रिपोर्ट में पुणे कलेक्टरेट में उनके अभद्र व्यवहार का भी उल्लेख है, जहां वे तैनात थीं. रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि कार के इस्तेमाल को लेकर उनका एक वरिष्ठ अधिकारी से विवाद भी हुआ था.

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