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रामकृष्ण मिशन, भारत सेवाश्रम संघ, इस्कॉनः ममता परेशान, सियासी घमासान, जानें क्या है इन 3 आश्रमों की कहानी

ममता बनर्जी ने 15 मई को आरामबाग लोकसभा क्षेत्र के गोघाट में कहा था कि रामकृष्ण मिशन और भारत सेवाश्रम संघ के कुछ संत बीजेपी नेताओं के प्रभाव में हैं. वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पुरुलिया में ममता बनर्जी पर निशाना साधते हुए कहा था कि भारत सेवाश्रम संघ, इस्कॉन और रामकृष्ण मिशन के संतों का अपमान स्वीकार नहीं किया जाएगा.

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रामकृष्ण मिशन, भारत सेवाश्रम संघ, इस्कॉनः ममता परेशान, सियासी घमासान, जानें क्या है इन 3 आश्रमों की कहानी
नई दिल्ली:

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (Mamta Banerjee) ने भारत सेवाश्रम संघ (Bharat Sevashram Sangha), इस्कॉन (ISKCON) और रामकृष्ण मिशन (Ramakrishna Mission)पर बीजेपी (BJP) को मदद पहुंचाने का आरोप लगाया था.ममता ने 15 मई को आरामबाग लोकसभा क्षेत्र के गोघाट में आयोजित रैली में कहा था कि रामकृष्ण मिशन और भारत सेवाश्रम संघ के कुछ संत बीजेपी नेताओं के प्रभाव में हैं. इससे बंगाल की राजनीति गरमा गई थी. संतों ने सड़क पर ममता बनर्जी के खिलाफ प्रदर्शन भी किया था.मामला अदालत भी गया.

इसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने पुरुलिया में ममता बनर्जी सरकार पर निशाना भी साधा. उन्होंने कहा था कि भारत सेवाश्रम संघ, इस्कॉन और रामकृष्ण मिशन के संतों का अपमान स्वीकार नहीं किया जाएगा. वहीं एनडीटीवी को दिए इंटरव्यू में अमित शाह (Amit Shah) से इन संगठनों पर ममता बनर्जी के आरोपों को लेकर सवाल किया गया. इसके जवाब में शाह ने कहा कि भारत सेवाश्रम संघ देशभक्त संन्यासियों का जमघट है, जो सेवा, संस्कृति और धर्म की रक्षा का काम करता है.इस्कॉन को उन्होंने चैतन्य महाप्रभु के भक्ति संप्रदाय को भारत के साथ-साथ पूरी दुनिया में फैलाने वाला संगठन बताया. शाह ने रामकृष्ण मिशन को देश के दूर-दराज के इलाकों में शिक्षा, स्वास्थ्य, पीने का पानी और गरीबों की सेवा का शानदार काम किया है.देश में इन संगठनों पर जारी राजनीति के बीत आइए जानते हैं इन संगठनों के बारे में.

भारत सेवाश्रम संघ क्या करता है?

भारत सेवाश्रम संघ की स्थापना 1917 में आचार्य स्वामी प्रणवानंदजी महाराज ने की थी. स्वामी प्रणवानंदजी का जन्म 1896 में बंगाल के मदारीपुर जिले के बाजितपुर नामक गांव में हुआ था.मदारीपुर अब बांग्लादेश में है. भारत सेवाश्रम संघ का मुख्यालय कोलकाता में है. देश और दुनिया में संघ की करीब 50 शाखाएं हैं.भारत सेवाश्रम संघ सेवा के क्षेत्र में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेता है. साल 1923 में बंगाल में आए अकाल के समय भी इस संगठन ने सेवा का काम किया था. संगठन की वेबसाइट के मुताबिक यह संगठन सेवा के साथ-साथ स्वास्थ्य, शिक्षा, आदिवासी कल्याण, अध्यात्म के साथ-साथ विकास परियोजनाओं का संचालन करता है.यह संगठन गरीब और जरूरतमंत्र छात्रों को स्कॉलरशिप भी देता है. 

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भारत सेवाश्रम संघ भारत के अलावा फिजी, ब्रिटेन, गुयाना, त्रिनिनाद, सूरीनाम, अमेरिका,कनाडा और नेपाल जैसे देशों में भी काम करता है.भारत सेवाश्रम संघ नीति आयोग के अलावा संयुक्त राष्ट्र के यूनाइटेड नेशंस इकॉनमिक एंड सोशल काउंसिल में एक गैर सरकारी संगठन के रूप में रजिस्टर्ड है.भारत सेवाश्रम संघ का ध्येय वाक्य देश की सेवा और शिक्षा है. 

रामकृष्ण मिशन की स्थापना कब हुई?

रामकृष्ण मिशन और रामकृष्ण मठ की शुरुआत स्वामी रामकृष्ण ने की थी. इसे आगे बढ़ाने का काम रामकृष्ण परमहंस के शिष्य स्वामी विवेकानंद ने किया. इसका मुख्य कार्यालय कोलकाता के निकट हावड़ा जिले के बेलुर में है.संगठन का मुख्यालय बेलुर मठ के नाम से मशहूर है.यह गंगा नदी के पश्चिमी किनारे पर करीब 40 एकड़ में फैला है. इस मिशन का मकसद रामकृष्ण परमहंस की शिक्षाओं में आस्था रखने वाले साधु-संन्यासियों को संगठित करना और उनके उपदेशों का प्रचार-प्रसार है. यह मिशन दूसरों की सेवा और परोपकार को कर्म योग की संज्ञा देता है.यह संगठन पिछले करीब एक सदी से मानवता की सेवा में लगा हुआ है. रामकृष्ण मठ और रामकृष्ण मिशन कानूनी और आर्थिक रूप से अलग-अलग संगठन हैं,लेकिन वे कई तरह से एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं.मिशन की वेबसाइट के मुताबिक दोनों को जुड़वा संगठन माना जाता है.

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रामकृष्ण मिशन और रामकृष्ण मठ देशभर में करीब 1200 शिक्षण संस्थाओं का संचालन करता है. इनमें डिम्ड यूनिवर्सिटी तक शामिल हैं. यह संगठन कला और विज्ञान विषय के साथ-साथ तकनीकी शिक्षा के केंद्रों का संचालन करता है. इसके अलावा यह संगठन 14 अस्पताल और  116 डिस्पेंसरी और 57 मोबाइल डिस्पेंसरी और सात नर्सिंग कॉलेजों का संचालन करता है. ये संगठन स्वास्थ्य, राहत और पुनर्वास, ग्रामीण और आदिवासी विकास, प्रकाशन, शिक्षण और धार्मिक उपदेश की दिशा में काम करता है. 

इस्कॉन की स्थापना कहां हुई थी? 

इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर कृष्णा कॉन्शसनेस को संक्षेप में इस्कॉन के नाम से जाना जाता है. इसे लोग हरे कृष्ण आंदोलन के रूप में भी जानते हैं.इसकी स्थापना अमेरिका के न्यूयॉर्क में 1966 में भक्तिवेदांत स्वामी प्रभुपाद ने की थी. इसके बाद से इस संगठन का दुनिया भर में विस्तार हुआ है.अपनी स्थापना के बाद से इस्कॉन के दुनियाभर में 500 बड़े सेंटर, मंदिर और ग्रामीण समुदाय हैं. यह संगठन करीब 100 शाकाहारी रेस्टोरेंट का भी संचालन करता है.

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इस्कॉन गौड़ीय-वैष्णव संप्रदाय से जुड़ा है. यह हिंदू संस्कृति में एक एकेश्वरवादी परंपरा है.इसमें भगवान श्रीकृष्ण की भक्ति की जाती है. 

इस्कॉन शिक्षा और मानव कल्याण के काम करता है.भक्तिवेदांत स्वामी प्रभुपाद का मानना था कि इस्कॉन मंदिर के 10 किमी के दायरे में कोई भूखा नहीं रहना चाहिए. इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए इस्कॉन लगा रहता है. इसके लिए फूड फॉर लाइफ नाम का एक कार्यक्रम चलाया जाता है. इसके तहत जरूरतमंद लोगों को भोजन उपलब्ध कराया जाता है. इस प्रोग्राम के तहत इस्कॉन सरकारी स्कूलों में मिड-डे-मील भी उपलब्ध कराता है. 

इस्कॉन इस साल उस समय विवादों में आ गया था, जब बीजेपी सांसद और पशु अधिकार कार्यकर्ता ने आरोप लगाया था कि इस्कॉन अपनी गोशाला की गायों को कसाइयों को बेचता है. उनके इस आरोप से इस्कॉन ने इनकार किया था. 

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