लाइन ऑफ कंट्रोल पर पाकिस्तानी पोस्ट की चेतावनी देता एक बोर्ड
जम्मू:
आधी रात को लाइन ऑफ कंट्रोल पर बीस साल के कुछ जवानों ने कमान संभाल रखी है। इन्हें लंबी शिफ्ट में काम करना पड़ रहा है, वजह है पिछले कुछ घंटो से बॉर्डर पार से लगातार बढ़ रही गोलाबारी। साथ ही हाल ही में पंजाब में हुआ हमला और फिर जम्मू के उधमपुर में पकड़ा गया आतंकवादी नवेद जिसके सीमा पार करके भारत में घुसने की बात कही जा रही है।
उधर दिल्ली में नवेद से कड़ी पूछताछ की जा रही है और इधर लाइन ऑफ कंट्रोल से लगे फॉरवर्ड पोस्ट पर हमे इंटरव्यू लिए जाने वाले किसी भी सेना के अधिकारी के नाम या उपाधि का खुलासा करने से मना किया गया है - भारतीय सेना से इस तरह की गुज़ारिश कम ही सुनने को मिलती है जिससे पता चलता है कि दस साल पुराना संघर्ष विराम अब कुछ ज्यादा ही ढीला पड़ता जा रहा है।
लूटनेन्ट जनरल आर आर निम्भोरकर ने बताया '15 अगस्त को उन लोगों ने हमारे नागरिकों पर गोलीबारी की जिसमें हमारे लोग मारे गए। इससे तो यही पता चलता है कि वो लोग रिहायशी इलाकों को ही निशाना बना रहे हैं। ये तो एकदम ही गलत, अनैतिक और गैर-जिम्मेदाराना हरकत है। पेशेवर सेनाएं ऐसा नहीं करती।' लूटनेन्ट जनरल ने बताया कि पिछले कुछ हफ्तों में भारत के खिलाफ इस्तेमाल किए जाने वाले पाकिस्तानी सेना के हथियारों की क्षमता काफी बढ़ गई है।
पाकिस्तान के 120 एमएम के भारी मोर्टार अब ज्यादा विस्फोटक होने के साथ साथ ज्यादा दूर तक भी जा सकते हैं। जनरल ने एनडीटीवी से बातचीत में कहा 'मोर्टार से होने वाला किसी भी तरह का ब्लास्ट काफी खतरनाक हो सकता है क्योंकि उसमें नुकसान करने की काफी क्षमता होती है। इसलिए यह जहां कहीं भी फटेगा, किसी को भी चोट पहुंचा सकता है।'
वहीं सीमा पर तैनात सैनिकों एक सेंकड के लिए भी अपने सुरक्षा गार्ड को नीचे नहीं रख सकते। फॉरवर्ड पोस्ट पर तैनात एक जवान अफसर ने हमसे बातचीत में कहा 'हम 24 घंटे अलर्ट पर हैं क्योंकि हमारे दुश्मन भी 24 घंटे सक्रिय हैं। वो आराम नहीं करते और ना ही हमें अपने गार्ड नीचे रखने का मौका दे रहे हैं। हमारे ज़हन में सिर्फ तीन बातें चलती हैं - घुसपैठ, गोलाबारी और दुश्मन की छुपकर की गई कार्यवाही। इन्हीं के हिसाब से हम अपने मोर्चे को संभालते हैं।'
ऐसे में सीमा पर तैनात जवानों के मनोबल को बनाए रखने का काम किसी एक का नहीं रहता। एक जवान अफसर के मुताबिक 'यहां फोन या इंटरनेट जैसा कुछ नहीं है इसलिए हम ही एक दूसरे का परिवार हैं।' लाइन ऑफ कंट्रोल से कुछ ही दूरी पर जम्मू के पुंछ इलाके में मोहम्मद शरीफ का घर पाकिस्तानी फायरिंग का निशाना बन गया जिसमें उनके सीधे हाथ पर भी काफी चोट आई। आज ये 25 साल का नौजवान बेघर है क्योंकि जिंदा बम के गोले अभी भी इसके घर और खेत में पड़े हुए हैं।
अगले हफ्ते भारत और पाकिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों की बैठक होने वाली है जिसमें इलाके में बढ़ रहे तनाव को कम करने पर चर्चा की जाएगी। लेकिन भारतीय अधिकारियों का कहना है कि सीमा पार से लगातार हो रही गोलाबारी के बीच पाकिस्तान के सामने एक सवाल खड़ा है - क्या उसकी सरकार और सेना के अलग अलग मंसूबे हैं ?
उधर दिल्ली में नवेद से कड़ी पूछताछ की जा रही है और इधर लाइन ऑफ कंट्रोल से लगे फॉरवर्ड पोस्ट पर हमे इंटरव्यू लिए जाने वाले किसी भी सेना के अधिकारी के नाम या उपाधि का खुलासा करने से मना किया गया है - भारतीय सेना से इस तरह की गुज़ारिश कम ही सुनने को मिलती है जिससे पता चलता है कि दस साल पुराना संघर्ष विराम अब कुछ ज्यादा ही ढीला पड़ता जा रहा है।
लूटनेन्ट जनरल आर आर निम्भोरकर ने बताया '15 अगस्त को उन लोगों ने हमारे नागरिकों पर गोलीबारी की जिसमें हमारे लोग मारे गए। इससे तो यही पता चलता है कि वो लोग रिहायशी इलाकों को ही निशाना बना रहे हैं। ये तो एकदम ही गलत, अनैतिक और गैर-जिम्मेदाराना हरकत है। पेशेवर सेनाएं ऐसा नहीं करती।' लूटनेन्ट जनरल ने बताया कि पिछले कुछ हफ्तों में भारत के खिलाफ इस्तेमाल किए जाने वाले पाकिस्तानी सेना के हथियारों की क्षमता काफी बढ़ गई है।
पाकिस्तान के 120 एमएम के भारी मोर्टार अब ज्यादा विस्फोटक होने के साथ साथ ज्यादा दूर तक भी जा सकते हैं। जनरल ने एनडीटीवी से बातचीत में कहा 'मोर्टार से होने वाला किसी भी तरह का ब्लास्ट काफी खतरनाक हो सकता है क्योंकि उसमें नुकसान करने की काफी क्षमता होती है। इसलिए यह जहां कहीं भी फटेगा, किसी को भी चोट पहुंचा सकता है।'
जवान के हाथ में स्वीडन का डिज़ाइन किया कार्ल गुस्ताव रॉकेट लॉंचर
वहीं सीमा पर तैनात सैनिकों एक सेंकड के लिए भी अपने सुरक्षा गार्ड को नीचे नहीं रख सकते। फॉरवर्ड पोस्ट पर तैनात एक जवान अफसर ने हमसे बातचीत में कहा 'हम 24 घंटे अलर्ट पर हैं क्योंकि हमारे दुश्मन भी 24 घंटे सक्रिय हैं। वो आराम नहीं करते और ना ही हमें अपने गार्ड नीचे रखने का मौका दे रहे हैं। हमारे ज़हन में सिर्फ तीन बातें चलती हैं - घुसपैठ, गोलाबारी और दुश्मन की छुपकर की गई कार्यवाही। इन्हीं के हिसाब से हम अपने मोर्चे को संभालते हैं।'
ऐसे में सीमा पर तैनात जवानों के मनोबल को बनाए रखने का काम किसी एक का नहीं रहता। एक जवान अफसर के मुताबिक 'यहां फोन या इंटरनेट जैसा कुछ नहीं है इसलिए हम ही एक दूसरे का परिवार हैं।' लाइन ऑफ कंट्रोल से कुछ ही दूरी पर जम्मू के पुंछ इलाके में मोहम्मद शरीफ का घर पाकिस्तानी फायरिंग का निशाना बन गया जिसमें उनके सीधे हाथ पर भी काफी चोट आई। आज ये 25 साल का नौजवान बेघर है क्योंकि जिंदा बम के गोले अभी भी इसके घर और खेत में पड़े हुए हैं।
अगले हफ्ते भारत और पाकिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों की बैठक होने वाली है जिसमें इलाके में बढ़ रहे तनाव को कम करने पर चर्चा की जाएगी। लेकिन भारतीय अधिकारियों का कहना है कि सीमा पार से लगातार हो रही गोलाबारी के बीच पाकिस्तान के सामने एक सवाल खड़ा है - क्या उसकी सरकार और सेना के अलग अलग मंसूबे हैं ?
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