मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने राजस्थान के सरकारी अस्पतालों में सुविधाओं को और बेहतर बनाने पर जोर दिया और अधिकारियों से इसके लिए 'आचरण संहिता' लाने को कहा. उन्होंने अधिकारियों से अस्पताल परिसरों में थूकने और कचरा फैलाने पर जुर्माना लगाने, मरीजों की लंबी कतारों को कम करने के लिए नवाचार अपनाने व अस्पतालों में सफाई तथा स्वच्छता में सुधार पर ध्यान देने का सुझाव दिया. गहलोत ने कहा कि अस्पतालों को साफ-सफाई और रखरखाव के मानकों पर आपस में प्रतिस्पर्धा करनी चाहिए.
अशोक गहलोत गुरुवार को राज्य में फिलहाल संचालित हो रहे और नवनिर्मित मेडिकल कॉलेजों के प्राचार्यों के साथ बैठक को संबोधित कर रहे थे. उन्होंने कहा कि निजी अस्पताल जनता को 'लूट' रहे हैं और इस पर लगाम लगनी चाहिए. उन्होंने कहा कि निजी अस्पताल व्यावसायिक उद्देश्यों के साथ काम करते हैं जबकि उन्हें भी मानवीय दृष्टिकोण से काम करना चाहिए.
उन्होंने कहा कि चिकित्सा और स्वास्थ्य राज्य के प्रमुख प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में है. गहलोत ने कहा, ‘‘देश भर के मेडिकल कॉलेजों में सीटों की संख्या में बहुत वृद्धि हुई है जो एक तरह की क्रांति है. केंद्र सरकार के साथ-साथ राज्य सरकारों ने स्वास्थ्य क्षेत्र पर ध्यान केंद्रित किया है.''
कई अस्पतालों में शौचालय जैसी सुविधाओं के खराब रखरखाव की शिकायतों पर नाराजगी व्यक्त करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि स्वच्छता के साथ कोई समझौता नहीं होना चाहिए, बिस्तर की चादरें प्रतिदिन बदली जानी चाहिए और ऐसी सभी चीजों को संभालने के लिए नये विकल्प तलाशने चाहिए.
उन्होंने कहा कि अस्पतालों को 'आचरण संहिता' (Code Of Conduct) लागू कर उसका पालन सुनिश्चित करना चाहिए ताकि सुविधाओं और प्रबंधन में सुधार किया जा सके और मरीजों को गुणवत्तापूर्ण सेवाएं मुहैया कराई जा सकें.
गहलोत ने शोध के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि अमेरिका डॉक्टरों के व्यापक शोध के कारण ही चिकित्सा के क्षेत्र में अग्रणी है और यहां के डॉक्टरों को भी इसका अनुपालन करना चाहिए. बैठक में स्वास्थ्य मंत्री परसादी लाल, मुख्य सचिव उषा शर्मा समेत अन्य अधिकारी मौजूद थे.
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