![प्रधानमंत्री ने नेहरू के भाषण की कुछ पंक्तियों को गलत तरीके से पेश किया: प्रियंका गांधी प्रधानमंत्री ने नेहरू के भाषण की कुछ पंक्तियों को गलत तरीके से पेश किया: प्रियंका गांधी](https://c.ndtvimg.com/2023-11/lh5utk88_priyanka-gandhi_625x300_22_November_23.jpg?downsize=773:435)
नई दिल्ली: कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाद्रा ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की ओर से देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू की आलोचना किए जाने के बाद मंगलवार को आरोप लगाया कि मोदी ने नेहरू के एक भाषण की कुछ पंक्तियों को गलत तरीके से पेश किया. यह दर्शाता है कि ‘‘स्वतंत्रता आंदोलन के संघर्षों के प्रति उनके मन में कितनी कटुता है.'' प्रधानमंत्री मोदी ने राष्ट्रपति के अभिभाषण पर लोकसभा में लाए गए धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा का जवाब देते हुए अतीत के कुछ प्रसंगों का उल्लेख करते हुए कांग्रेस और देश के प्रथम प्रधानमंत्री नेहरू की आलोचना की थी.
उन्होंने जम्मू-कश्मीर और कुछ अन्य मुद्दों को लेकर देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू की आलोचना करते हुए कहा था कि देश के लोगों को उनकी गलतियों की बहुत बड़ी कीमत चुकानी पड़ी. प्रियंका गांधी ने ‘एक्स' पर पोस्ट किया, ‘‘भारतीय चेतना के अभिभावक पंडित नेहरू क्या भारतीयों को आलसी मानते थे? कल लोकतंत्र के मंदिर संसद में प्रधानमंत्री मोदी जी ने ठीक यही आरोप पंडित नेहरू पर लगाया. क्या इसमें जरा सी भी सच्चाई है? ''
उन्होंने 15 अगस्त, 1959 को दिए नेहरू के उस भाषण का अंश साझा किया, जिसके एक हिस्से को प्रधानमंत्री ने सोमवार को लोकसभा में उद्धृत किया था. प्रियंका गांधी ने नेहरू को उद्धृत किया, ‘‘जब तक हिंदुस्तान के लाखों गांव नहीं जागते, आगे नहीं बढ़ते तो सिर्फ बड़े शहर हिंदुस्तान को नहीं आगे ले जाएंगे. वे बढ़ेंगे अपनी कोशिश से, अपनी हिम्मत से, अपने ऊपर भरोसा करके. हमारे लोग अपने ऊपर भरोसा करना भूलकर समझते हैं कि और लोग मदद करें.''
उनके मुताबिक, नेहरू ने कहा था, ‘‘मैं चाहता हूं कि लोग बागडोर अपने हाथों में लें.... तरक्की नापने का एक ही गज है कि कैसे हिंदुस्तान के 40 करोड़ लोग आगे बढ़ते हैं... कौम अपनी मेहनत से बढ़ती है. जो मुल्क खुशहाल हैं वे अपनी मेहनत और अक्ल से आगे बढ़े हैं.... हमारे हिंदुस्तान में काफी मेहनत करने की आदत आमतौर से नहीं हुई है... हम भी मेहनत और अक्ल से बढ़ सकते हैं.... इंसान की मेहनत से सारी दुनिया की दौलत पैदा होती है.''
प्रियंका गांधी के अनुसार, देश के प्रथम प्रधानमंत्री ने उस भाषण में कहा था, ‘‘ जमीन पर किसान काम करता है, या कारखाने में कारीगर, उनसे काम चलता है. कुछ बड़े अफसर दफ्तर में बैठकर दौलत पैदा नहीं करते. दौलत मेहनतकश लोगों की मेहनत से पैदा होती है. तो हमें अपनी मेहनत को बढ़ाना है.''
कांग्रेस महासचिव ने कहा, ‘‘आजादी के बाद हमारे करोड़ों लोगों के सामने पेट भरने की चुनौती थी. अंग्रेजों की गुलामी, लूट और शोषण ने देश को खोखला कर दिया था. अकाल और भुखमरी से लाखों मौतें होती थीं. ऐसे मुल्क का प्रधानमंत्री अपनी जनता से कहे कि हमें अपने पैरों पर खड़ा होना है, जीतोड़ मेहनत करनी है, विकसित मुल्कों का मुकाबला करना है. क्या यह गुनाह है? नये-नये आजाद हुए मुल्क का प्रधानमंत्री अपनी जनता को आत्मनिर्भर बनने के लिए प्रेरित करे, तो क्या यह जनता का अपमान है? ''
उन्होंने दावा किया, ‘‘देश के पहले प्रधानमंत्री के भाषण की कुछ पंक्तियां लेकर गलत तरीके से पेश करना शर्मनाक तो है ही, इससे ये भी पता चलता है कि हमारे स्वतंत्रता आंदोलन और राष्ट्र निर्माण के ऐतिहासिक संघर्षों के प्रति प्रधानमंत्री मोदी जी, भाजपा और आरएसएस के मन में कितनी कटुता भरी है.''
प्रियंका गांधी ने कहा, ‘‘बात सिर्फ इतनी नहीं है कि वो किसी एक पंक्ति/वक्तव्य/कार्यक्रम/निर्णय को विकृत करके पेश करेंगे और हम उसकी सफाई देंगे. बात ये है कि सत्ता और देश की मीडिया के शीर्ष पर बैठे मोदी जी जब ऐसी हरकत करते हैं - क्या यह उनको, उनके पद की गरिमा को शोभा देता है? या उनसे ये उम्मीद करना बेमानी है?''
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