राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कैंसर के मरीजों के इलाज के लिए स्वदेश में विकसित ‘सीएआर टी-कोशिका' थेरेपी की बृहस्पतिवार को शुरुआत करते हुए इसे एक ‘‘बड़ी उपलब्धि'' बताया जो इस बीमारी के खिलाफ लड़ाई में ‘‘मानव जाति को एक नयी उम्मीद'' देती है.
अधिकारियों के अनुसार, आईआईटी बंबई और टाटा मेमोरियल सेंटर द्वारा विकसित यह जीन आधारित थेरेपी विभिन्न प्रकार के रक्त कैंसर समेत कैंसर के इलाज में मदद करेगी. नेक्ससीएआर19 सीएआर टी-कोशिका थेरेपी भारत की पहली ‘मेड इन इंडिया' सीएआर टी-कोशिका थेरेपी है जो इलाज की लागत कम करने में मददगार साबित होगी.
उन्होंने कहा, ‘‘इस थेरेपी का विकास ‘मेक इन इंडिया' पहल का भी उदाहरण है और यह भारतीय वैज्ञानिकों व चिकित्सकों की क्षमता के बारे में बताती है.''
मुर्मू ने कहा, ‘‘भारत की पहली जीन थेरेपी की शुरुआत कैंसर के खिलाफ हमारी लड़ाई में एक बड़ी उपलब्धि है. सीएआर टी-कोशिका थेरेपी इस प्रकार के इलाज को सुगम व किफायती बनाती है जिससे यह पूरी मानव जाति को एक नयी उम्मीद देती है.''
उन्होंने कहा, ‘‘नेक्ससीएआर19 का भारत के बाहर उपलब्ध इलाज की कीमत से तकरीबन 10 गुना कम खर्च है.''
आईआईटी बंबई के निदेशक प्रोफेसर शुभाशीष चौधरी ने कहा कि विदेश में इस इलाज की कीमत तकरीबन चार करोड़ रुपये है जबकि भारत में यह खर्च लगभग 30 लाख रुपये होगा.
चौधरी ने कहा, ‘‘जिस तरह चंद्रयान-3 ने भारत को विशिष्ट अंतरिक्ष क्लब में प्रवेश दिलाया, ठीक उसी तरह सीएआर-टी कोशिका थेरेपी ने कोशिका एवं जेनेटिक इंजीनियरिंग समूह में भारत का प्रवेश कराया है.''
गुप्ता ने कहा कि नेक्ससीएआर19 का विकास कैंसर देखभाल व आनुवंशिक इंजीनियरिंग के क्षेत्र में एक ऐतिहासिक उपलब्धि है और इससे हर साल लगभग 20 हजार भारतीयों को मदद मिलेगी.
उन्होंने कहा, ‘‘यह उपचार न केवल सर्वोच्च कोटि की वैज्ञानिक उपलब्धि है, बल्कि इसका अत्यधिक व्यावहारिक अनुप्रयोग भी है. नेक्ससीएआर19 अनेक जिंदगियों को बचाएगी.''
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं