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कीर्ति और शौर्य को देश का सलाम : राष्ट्रपति ने जवानों को वीरता पुरस्कार से किया सम्मानित, जानें उनकी वीर गाथा

कीर्ति चक्र अशोक चक्र के बाद भारत का दूसरा सबसे बड़ा शांतिकालीन वीरता पुरस्कार है, जबकि शौर्य चक्र शांतिकाल का तीसरा सबसे बड़ा वीरता पुरस्कार है.

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कीर्ति और शौर्य को देश का सलाम : राष्ट्रपति ने जवानों को वीरता पुरस्कार से किया सम्मानित, जानें उनकी वीर गाथा
नई दिल्ली:

अदम्य साहस और वीरता का परिचय देने वाले सैन्य बलों, अर्धसैनिक बलों तथा पुलिसकर्मियों को शुक्रवार शाम कीर्ति चक्र और शौर्य चक्र से सम्मानित किया गया. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने राष्ट्रपति भवन में रक्षा अलंकरण समारोह (चरण-1) के दौरान 10 कीर्ति चक्र (सात मरणोपरांत) और 26 शौर्य चक्र (सात मरणोपरांत) प्रदान किए. इस अवसर पर पीएम नरेंद्र मोदी, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ व रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह भी मौजूद रहे.

ये पुरस्कार सशस्त्र बलों, केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों और राज्य तथा केंद्र शासित प्रदेश के पुलिसकर्मियों को विशिष्ट वीरता, अदम्य साहस और कर्तव्य के प्रति असाधारण प्रदर्शन के लिए प्रदान दिए गए. कीर्ति चक्र अशोक चक्र के बाद भारत का दूसरा सबसे बड़ा शांतिकालीन वीरता पुरस्कार है, जबकि शौर्य चक्र शांतिकाल का तीसरा सबसे बड़ा वीरता पुरस्कार है.

कीर्ति चक्र पुरस्कार :

सीआरपीएफ 210 कोबरा बटालियन के हेड कांस्टेबल/जीडी राज कुमार यादव को मरणोपरांत कीर्ति चक्र से सम्मानित किया गया. अप्रैल 2021 में छत्तीसगढ़ में एक संयुक्त ऑपरेशन के दौरान, उन्होंने असाधारण वीरता और अदम्य इच्छाशक्ति का प्रदर्शन किया और कई उग्रवादियों को खत्म करते हुए देश के लिए सर्वोच्च बलिदान दिया.

सीआरपीएफ 210 कोबरा बटालियन के कांस्टेबल/जीडी बब्लू राभा को मरणोपरांत कीर्ति चक्र से सम्मानित किया गया. अप्रैल 2021 में छत्तीसगढ़ में एक संयुक्त ऑपरेशन के दौरान, उन्होंने असाधारण वीरता का प्रदर्शन करते हुए कई उग्रवादियों को मौत के घाट उतारा और फिर देश के लिए सर्वोच्च बलिदान दिया.

सीआरपीएफ 210 कोबरा बटालियन के कांस्टेबल/जीडी संभू रॉय को मरणोपरांत कीर्ति चक्र से सम्मानित किया गया. अप्रैल 2021 में छत्तीसगढ़ में एक संयुक्त ऑपरेशन के दौरान, उन्होंने असाधारण वीरता दिखाते हुए कई उग्रवादियों को मार गिराया और देश के लिए सर्वोच्च बलिदान दिया.

राष्ट्रीय राइफल्स की 55वीं बटालियन के ग्रेनेडियर्स सिपाही पवन कुमार को मरणोपरांत कीर्ति चक्र से सम्मानित किया गया. फरवरी 2023 में जम्मू-कश्मीर के पुलवामा जिले में एक ऑपरेशन के दौरान, उन्होंने असाधारण सामरिक कौशल और परिचालन संयम का प्रदर्शन किया और एक आतंकवादी को मार गिराया, जबकि दूसरे को घायल कर दिया. सिपाही पवन कुमार ने देश के लिए सर्वोच्च बलिदान दिया.

पैराशूट रेजिमेंट (विशेष बल) की 9वीं बटालियन के हवलदार अब्दुल माजिद को मरणोपरांत कीर्ति चक्र से सम्मानित किया गया. नवंबर 2023 में जम्मू-कश्मीर के राजौरी जिले के वन क्षेत्रों में एक तलाशी अभियान के दौरान, उन्होंने असाधारण साहस और निस्वार्थता का प्रदर्शन किया, एक घायल अधिकारी को निकाला और एक आतंकवादी को मार गिराया. उन्होंने राष्ट्र की सेवा में सर्वोच्च बलिदान दिया.

शौर्य चक्र पुरस्कार :

जाट रेजिमेंट की 20वीं बटालियन के कैप्टन अक्षत उपाध्याय को शौर्य चक्र से सम्मानित किया गया. मई 2023 में एक ऑपरेशन के दौरान, कैप्टन अक्षत उपाध्याय ने एक टीम प्रयास में चार विद्रोहियों को खत्म करने और पांच को पकड़ने के लिए अद्वितीय बहादुरी और सामरिक कौशल के उच्चतम मानकों का प्रदर्शन किया था.

252 आर्मी एविएशन स्क्वाड्रन के मेजर मुस्तफा बोहारा को मरणोपरांत शौर्य चक्र से सम्मानित किया गया. अक्टूबर 2022 में, उन्होंने राष्ट्र के लिए सर्वोच्च बलिदान दिया और आग लगने वाले हेलीकॉप्टर को आबादी वाले क्षेत्र से दूर चलाकर असाधारण साहस और उड़ान कौशल का प्रदर्शन किया.

252 आर्मी एविएशन स्क्वाड्रन के मेजर विकास भांभू को मरणोपरांत शौर्य चक्र से सम्मानित किया गया. अक्टूबर 2022 में, उन्होंने राष्ट्र के लिए सर्वोच्च बलिदान दिया और आग लगने वाले हेलीकॉप्टर को आबादी वाले क्षेत्र से दूर चलाकर असाधारण साहस और उड़ान कौशल का प्रदर्शन किया.

जम्मू और कश्मीर राइफल्स, 52वीं बटालियन, राष्ट्रीय राइफल्स के राइफलमैन कुलभूषण मंटा को मरणोपरांत शौर्य चक्र से सम्मानित किया गया. वो जम्मू-कश्मीर के बारामूला जिले में एक संयुक्त अभियान का हिस्सा थे, जब उनकी वीरतापूर्ण कार्रवाई और अपार सामरिक कौशल के कारण एक आतंकवादी को जिंदा पकड़ लिया गया था. इस ऑपरेशन में उन्होंने देश की सेवा में सर्वोच्च बलिदान दिया.

राजपूताना राइफल्स की 5वीं बटालियन के हवलदार विवेक सिंह तोमर को मरणोपरांत शौर्य चक्र से सम्मानित किया गया. जनवरी 2023 में, उन्हें सेंट्रल ग्लेशियर में एक फॉरवर्ड पोस्ट पर तैनात किया गया था, जब उन्होंने व्यक्तिगत सुरक्षा की परवाह न करते हुए एक बड़ी आग की घटना को रोका और कई लोगों की जान बचाई. हालांकि, धुएं में सास लेने के कारण उनका स्वास्थ्य बिगड़ गया और उन्होंने सर्वोच्च बलिदान दिया.

18 असम राइफल्स के राइफलमैन आलोक राव को मरणोपरांत शौर्य चक्र से सम्मानित किया गया. मई 2023 में, वो मणिपुर के सबसे संवेदनशील क्षेत्र में तैनात आंतरिक सुरक्षा स्तंभ का हिस्सा थे. उन्होंने अनुकरणीय साहस दिखाया और सशस्त्र विद्रोहियों पर जवाबी गोलीबारी करके और उन्हें भागने पर मजबूर करके कई लोगों की जान बचाई. इस दौरान उन्हें गोली लगी और उन्होंने सर्वोच्च बलिदान दिया.

शौर्य चक्र से सम्मानित होने वालों में सीआरपीएफ के कांस्टेबल मुकेश कुमार, जम्मू कश्मीर पुलिस के सब इंस्पेक्टर अमित रैना, फिरोज अहमद डार, कांस्टेबल वरुण सिंह, सुपरिंटेंडेंट ऑफ़ पुलिस मोहनलाल, सीआरपीएफ के असिस्टेंट कमांडेंट बिभोर कुमार सिंह, आर्मी के मेजर राजेंद्र प्रसाद, मेजर रविंद्र सिंह रावत, नायक भीम सिंह, मेजर सचिन नेगी, मेजर मानेओ फ्रांसिस, एयर फोर्स के विंग कमांडर शैलेश सिंह, नेवी के लेफ्टिनेंट विमल रंजन, आर्मी के हवलदार संजय कुमार, एयरफोर्स के लेफ्टिनेंट ऋषिकेश जयन, आर्मी के कैप्टन अक्षत उपाध्याय, नायब सूबेदार संजय कुमार, मेजर अमनदीप जाखड़ और सिविलियन आर्मी के पुरुषोत्तम कुमार शामिल हैं. इस दौरान इन वीरों की शौर्य गाथा भी सुनाई गई.

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