
Bihar Assembly Elections 2025:बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले चल रहे वोटर लिस्ट के विशेष गहन पुनरीक्षण (Special Intense Revision) को लेकर भारी बवाल मचा है. विपक्ष इसे वोटबंदी करार देते हुए विरोध कर रहा है तो सत्ता पक्ष से चुनाव आयोग की एक निष्पक्ष कार्रवाई. इस बीच चुनाव आयोग ने घोषणा की है कि बिहार में अभी तक 61.1 लाख ऐसे मतदाता हैं, जो नहीं मिले है. ऐसे में इन्हें हटाया जा सकता है. यह बदलाव आने वाले 2025 विधानसभा चुनावों पर बड़ा प्रभाव डाल सकता है.
चुनाव आयोग ने कहा- 99 फीसदी वोटरों तक पहुंचा आयोग
चुनाव आयोग के अनुसार अब तक 99% मतदाताओं तक आयोग पहुंचा है. कुल 7.9 करोड़ मतदाताओं में से 7.21 करोड़ ने नामांकन फॉर्म जमा कर दिए हैं और उनका डिजिटलीकरण हो चुका है. केवल 7 लाख मतदाताओं ने अभी तक अपने फॉर्म नहीं लौटाए हैं. फॉर्म जमा करने की अंतिम तिथि 25 जुलाई है.
61 लाख वोटरों का नाम हटाने के कारण, जो चुनाव आयोग ने बताए
चुनाव आयोग ने बताया कि 61.1 लाख मतदाताओं में से-
- 21.6 लाख मतदाता दिवंगत हो चुके हैं.
- 31.5 लाख स्थायी रूप से बिहार से बाहर चले गए.
- 7 लाख का नाम कई स्थानों पर दर्ज था.
- 1 लाख मतदाता का पता नहीं चल पाया.
प्रति विधानसभा 25 हजार से ज्यादा वोटरों का नाम कट सकता है
चुनाव आयोग के आंकड़े के अनुसार औसतन बिहार की 243 विधानसभा सीटों में प्रति क्षेत्र 25,144 नाम हट सकते हैं. इसका बिहार में आने वाले दिनों में विधानसभा चुनाव पर भी असर पड़ेगा. वोटरों का नाम हटाने की प्रक्रिया का बिहार के चुनावी नतीजों पर क्या असर पड़ेगा, इसे समझने के लिए राज्य के पिछले विधानसभा चुनाव के परिणाम पर नजर डालना होगा.
बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में करीबी मुकाबलों पर नज़र
पिछले बिहार विधानसभा चुनाव में कई सीटों पर मुकाबला बेहद कांटे का था:
- 11 सीटों का फैसला 1,000 वोट से कम अंतर पर हुआ
- 35 सीटों पर अंतर 3,000 वोट से कम
- 52 सीटों पर अंतर 5,000 वोट से कम
महागठबंधन को मामूली अंतर से हार मिली
- 27 सीटों पर 5,000 वोट से कम अंतर से हार
- 18 सीटों पर 3,000 वोट से कम अंतर
- 6 सीटों पर अंतर 1,000 वोट से भी कम
राहुल गांधी बनाम चुनाव आयोग
SIR प्रक्रिया को लेकर, इंडिया ब्लॉक की पार्टियों ने संसद में विरोध किया और चुनाव आयोग पर अनियमितताओं के आरोप लगाए. विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने चुनाव आयोग पर निशाना साधते हुए कहा, "अगर आप सोचते हैं कि आप बच जाएंगे, तो आप गलत हैं. हमारे पास 100% सबूत है कि चुनाव आयोग ने कर्नाटक में गड़बड़ी की अनुमति दी. यह एक पैटर्न है; एक के बाद एक सीटों पर नए वोट जोड़े जा रहे हैं जबकि पुराने मतदाताओं को हटाया जा रहा है."
राहुल गांधी के आरोपों पर चुनाव आयोग ने कड़ी प्रतिक्रिया दी और इसे "निराधार" बताया. आयोग ने कहा कि विपक्षी नेता ने जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 80 के तहत निर्धारित प्रक्रिया का पालन करने के बजाय सार्वजनिक आरोप और संवैधानिक निकाय को धमकाने का रास्ता चुना.
क्यों है यह अहम?
61 लाख से अधिक मतदाताओं के नाम हटाए जाने और कई सीटों पर 1,000 वोट से भी कम अंतर से नतीजे तय होने के चलते 2025 बिहार चुनाव का नतीजा इन बदलावों पर निर्भर हो सकता है. राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि महत्वपूर्ण स्विंग सीटों में प्रमुख जनसांख्यिकीय समूहों के नाम हटाने से समीकरण बदल सकते हैं.
जैसे-जैसे बिहार नवंबर में होने वाले हाई-स्टेक्स चुनाव के करीब पहुंच रहा है, मतदाता सूची और चुनावी पारदर्शिता को लेकर तनाव बढ़ रहा है. चुनाव आयोग और विपक्ष, दोनों आमने-सामने हैं.
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