चीन सीमा पर दुश्‍मन से निपटने की तैयारी पूरी, युद्ध स्‍तर पर सड़कें, पुल और सुरंग बनाने में जुटा BRO

बॉर्डर रोड्स की ओर बनाई जा रही इस सुरंग की वजह से सेना के लिए चीन से लगी सीमा पर आवाजाही काफी आसान हो जाएगी. दो किलोमीटर से  ज्यादा लंबी इस सुरंग का इस्तेमाल सभी मौसम में किया जाएगा.

नई दिल्ली:

सेना के जवान चीन से लगने वाली सीमा के पास आसानी से और कम समय में पहुंच सकें इसके लिए बॉर्डर रोड्स ऑर्गेनाइजेशन (सीमा सड़क संगठन) इन दिनों अरुणाचल प्रदेश समेत देश के अलग-अलग हिस्सों में सुरंगें, पुल और सड़कों के निर्माण का कार्य युद्ध स्तर पर चला रहा है. यही वजह है कि बीते तीन साल में अंतरराष्ट्रीय सीमा से लगे इलाकों में ढांचागत विकास पर करीब 1300 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं. अरुणाचल प्रदेश के तवांग में बनाई जा रही सेला टनल (सुरंग) भी बॉर्डर रोड ऑर्गानाइजेशन द्वारा बनाई जा रही सुरंगों में से एक है. 

बॉर्डर रोड्स की ओर बनाई जा रही इस सुरंग की वजह से सेना के लिए चीन से लगी सीमा पर आवाजाही काफी आसान हो जाएगी. दो किलोमीटर से  ज्यादा लंबी इस सुरंग का इस्तेमाल सभी मौसम में किया जाएगा. उम्मीद जताई जा रही है इस सुरंग का काम इस साल जुलाई तक पूरा कर लिया जाएगा. सेला टनल की तरह ही नेचिफू टनल का काम भी तेजी से चल रहा है. करीब 500 मीटर लंबी यह सुरंग 5700 फुट की ऊंचाई पर है. इन दोनों सुरंगों के बनने के बाद सेना के लिए असम से तवांग तक जाना आसान हो जाएगा.

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सीमा सड़क संगठन (BRO) के डीजी लेफ्टिनेंट जनरल राजीव चौधरी ने बताया कि सेला टनल विश्व की सबसे ऊंची बाई लिंक टनल होगी. उन्होंने कहा कि इसका काम अगले कुछ महीनों में पूरा कर लिया जाएगा. उन्होंने कहा कि यह टनल 13 हजार फुट से ऊपर की ऊंचाई पर स्थित है. उसके साथ निचुपे टरनल है. आज हमारी टीम करीब 11 टर्नल पर निर्माण का काम कर रही है. मैं आपको बता दूं कि पिछले 60 साल में बीआरओ ने 4 टर्नल बनाए हैं. जबकि पिछले 2 साल में 11 टनल को बनाने का काम शुरू किया गया है. जो अगले कुछ वर्षों में पूरे कर लिए जाएंगे.

उन्होंने आगे कहा कि हलांकि चीन से लगी सीमा पर सड़क या पुल बनाना आसान नहीं होता है. मौसम प्रतिकूल होता है. तापमान माइनस में होता है. बावजूद इसके BRO के जवान दिन रात मेहनत करते हैं ताकि आम लोगों की सुविधा के साथ-साथ सेना दुश्मन की चुनौतियों का जवाब दे सकें. और जब जरूरत हो सीमा पर तोप, टैंक समेत दूसरा साजोसामान को जल्द से जल्द पहुंचाया जा सके.

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बीते दिनों सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे ने भी बताया था कि LAC पर बुनियादी ढांचे का तेजी से विकास किया गया है. पिछले 5 साल में अंतरराष्ट्रीय सीमा से लगे क्षेत्रों में करीब 6000 किलोमीटर सड़क का निर्माण पूरा किया गया है. इनमें से उत्तरी सीमा पर लगभग 2100 किलोमीटर निर्माण कार्य हुआ है. इसके अलावा 7450 मीटर पुल का निर्माण किया गया है. सेना प्रमुख ने बताया था कि राज्य में फ्रंटियर हाईवे भी बनाया जा राह है. अब हमारे सैनिकों के लिए 12 महीने हर मौसम में कनेक्टिविटी बनी रहेगी. बीते दो सालों में 55,000 सैनिकों के आवास के लिए इंतज़ाम किया गया है. पिछले तीन साल में सीमा क्षेत्र में ढांचागत विकास पर करीब 1300 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं.
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उन्होंने कहा कि घाटी को लद्दाख से जोड़ने वाली जोज़िला टनल 2023 के अंत तक बनकर तैयार हो जाएगी. वहीं, शिंकुन ला सुरंग लद्दाख के लिए अंतिम चरण में है. यह लेह को अतिरिक्त कनेक्टिविटी प्रदान करेगी. इसके अलावा सासेर ला सुरंग से डीएस-डीबीओ सड़क के लिए वैकल्पिक कनेक्टिविटी होगी. केवल सुरंग ही नहीं बल्कि उत्तरी और पूर्वी सीमा पर पुल और सड़कें बनाने का काम भी जोर शोर से हो रहा है, ताकि सेना का मूवमेंट तेजी से हो सके.