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This Article is From Mar 01, 2020

सहकारी बैंकों को रिजर्व बैंक के नियमन के दायरे में लाने की तैयारी, विधेयक को बजट सत्र में मिल सकती है मंजूरी

पिछले महीने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बैंकिंग नियमन अधिनियम में संशोधन को मंजूरी दी थी.

सहकारी बैंकों को रिजर्व बैंक के नियमन के दायरे में लाने की तैयारी, विधेयक को बजट सत्र में मिल सकती है मंजूरी
सहकारी बैंकों को रिजर्व बैंक के नियमन के दायरे में लाने की तैयारी की जा रही है.
नई दिल्ली:

सहकारी बैंकों की कमजोरियों को दूर करने के लिए इन्हें भारतीय रिजर्व बैंक के नियमन के तहत लाने की तैयारी हो रही है. बहु-राज्य सहकारी बैंकों को रिजर्व बैंक के प्रभावी नियमन के दायरे में लाने के लिये बैंकिंग नियमन कानून में संशोधन से संबंधित विधेयक संसद के बजट सत्र में पारित किया जा सकता है. सूत्रों ने कहा कि प्रस्तावित कानून से पंजाब एंड महाराष्ट्र कोऑपरेटिव बैंक जैसे संकट की पुनरावृत्ति को रोका जा सकेगा. देश में कुल 1,540 सहकारी बैंक हैं. इनमें बैंकों के जमाकर्ताओं की संख्या 8.60 करोड़ है. इन जमाकर्ताओं की सहकारी बैंकों में कुल जमा पांच लाख करोड़ रुपये है.

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पिछले महीने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बैंकिंग नियमन अधिनियम में संशोधन को मंजूरी दी थी. इस विधेयक को संसद के बजट सत्र के दूसरे चरण में मंजूरी मिलने की उम्मीद है. बता दें कि बजट सत्र का दूसरा चरण सोमवार से शुरू हो रहा है. यह तीन अप्रैल को समाप्त होगा. 

सरकार ने सार्वजनिक बैंकों, निजी क्षेत्र के बैंकों, आईएलएंडएफएस जैसे वित्तीय संस्थानों, गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी), ऑडिटरों और रेटिंग एजेंसियों की ‘साफ-सफाई' के लिए कई उपाय किए हैं.

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पूरे पारिस्थतिकी तंत्र को पूरी तरह गड़बड़ी मुक्त करने की दिशा में सहकारी बैंकों को केंद्रीय बैंक के नियमन के तहत लाना एक आखिरी कदम होगा. इस कदम के पीछे मुख्य मकसद जमाकर्ताओं के धन को सुरक्षित रखना है.

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